मेरी प्रिय मित्र मंडली

बुधवार, 29 मई 2019

याद तुम्हारी-- नवगीत


  
मन कंटक वन में
 याद  तुम्हारी  -
खिली फूल सी 
 जब -ब महकी  

हर दुविधा 
उड़ चली  धूल सी!!

 रूह से लिपटी जाय

तनिक विलग ना होती,
  रखूं   इसे संभाल 
 जैसे सीप में मोती ;
सिमटी  इसके  बीच 
दर्द  हर चली भूल -सी !!


होऊँ जरा   उदास

 मुझे  हँस बहलाए,
 हो जो इसका साथ
 तो कोई साथ न  भाये ,
 जाए  पल भर   ये दूर 
 हिया में चुभे शूल - सी !!

 तुम नहीं हो जो पास 

 तो सही याद  तुम्हारी ,
रहूं  मगन मन  बीच 
चढी ये अजब खुमारी ;
बना प्यार मेरा अभिमान 
गर्व  में रही फूल सी !!
मन कंटक वन में
 याद  तुम्हारी  
खिली फूल सी !!!!




स्वरचित -रेणु

चित्र---गूगल से साभार --

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