गा रे! कोई ऐसा गीत जोगी ,
बढ़े हर मन में प्रीत जोगी !
जहाँ थी प्यार ठाँव जोगी ;
भूले पनघट के गीत प्यारे
खो गई पीपल की छाँव जोगी ,
बढ़ी दूरी ऐसी मनों में
बिछड़े मन के मीत जोगी !!
बैठ फुर्सत में गाँव टीले
कस सारंगी के तार ढीले ,
छेड़ कोई तान प्यारी
सजें उल्फत के रंग सजीले ;
पनपे प्यार हर दिल में
सुन मस्त संगीत जोगी !
सुना है , तेरी दुआ पुरअसर जोगी
जो जाती खुदा के दर जोगी ,
तू पढ़ कलमा मुहब्बत का
उतरे नफरत का जहर जोगी ;
हारे हर बुरी फितरत
छेड़ कोई तान प्यारी
सजें उल्फत के रंग सजीले ;
पनपे प्यार हर दिल में
सुन मस्त संगीत जोगी !
सुना है , तेरी दुआ पुरअसर जोगी
जो जाती खुदा के दर जोगी ,
तू पढ़ कलमा मुहब्बत का
उतरे नफरत का जहर जोगी ;
हारे हर बुरी फितरत
प्यार की हो जीत जोगी !!
गारे कोई ऐसा गीत जोगी
बढ़े हर मन में प्रीत जोगी ! !
गारे कोई ऐसा गीत जोगी
बढ़े हर मन में प्रीत जोगी ! !
वाह ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आदरणीय मीना जी ------
हटाएंगा रे ! कोई ऐसा गीत जोगी - बढे हर मन में प्रीत जोगी!!!!
जवाब देंहटाएंईश्वर करे आप ऐसा ही गीत गाकर हमें सदा मंत्रमुग्ध करती रहें। बहुत बहुत बधाई रेणु जी।
आदरणीय पुरुषोत्तम जी -- आपके भावभीने शब्दों के लिए आभारी हूँ आपकी --
हटाएंबहुत ही मधुर ...
जवाब देंहटाएंजोगी कुछ ऐसा कर की वो प्रेम वो प्रीत फिर से जाग उठे ... ऐसी तन सुना की उल्फत का राज हो जाये चहुँ और ...
बहुत ही लाजवाब रचना ...
आदरणीय दिगंबर जी -- अभिभूत हूँ आपके शब्दों से -- आभार आपको -----
हटाएंअति मनमोहक गीत रेणु जी।
जवाब देंहटाएंआदरणीय श्वेता जी आभारी हूँ आपकी -----
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 05 अगस्त 2017 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
आदरणीय विभा जी -- आपके दिए सम्मान से अभिभूत हूँ -- हार्दिक आभार आपको -----
हटाएंबहुत ही मनभावन गीत...
जवाब देंहटाएंवाह!!
आदरणीय सुधा जी-- हार्दिक आभारी हूँ आपकी |
हटाएंबहुत स्ंदर गीत
जवाब देंहटाएंआदरणीय अर्चना जी स्वागत करती हूँ आपका अपने ब्लॉग पर ------ आभार आपका रचना पसंद करने के लिए ------
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब
जवाब देंहटाएंरेणु जी बहुत ही खूबसूरत रचना है....लाजवाब
जवाब देंहटाएंरेणु जी बहुत ही खूबसूरत रचना है....लाजवाब
जवाब देंहटाएंप्रिय शकु -- सस्नेह आभार आपका ------
हटाएंअति सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय उर्मिला जी ,आपका हार्दिक स्वागत है मेरे ब्लॉग पर | मेरा सौभाग्य आपको रचना पसंद आई | सादर आभार |
हटाएंहारे हर बूरी फितरत -
जवाब देंहटाएंहो प्यार की जीत जोगी !!
गारे कोई ऐसा गीत जोगी
बढे हर मन में प्रीत जोगी... वाह!! बेहद खूबसूरत रचना सखी
सस्नेह आभार सखी अनुराधा जी |
हटाएंवाह.... अति सुंदर गीत 👏 👏
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सुधा जी |
हटाएंबहुत बहुत सुंदर रेणु बहन बस मन मस्त हो कसे तारों की धुन में खो गया मन का गीत शुभ्र भावों से सुशोभित बहुत प्यारी रचना ।
जवाब देंहटाएंअनुपम ।
प्रिय कुसुम बहन - आपके स्नेहिल शब्दों के लिए सस्नेह आभार |
हटाएंवाहहहहह रेणु जी बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआदरणीय उर्मिला जी -- सुस्वागतम और आभार आपके स्नेहिल शब्दों के लिए |
हटाएंखूबसूरत उद्गार... खूबसूरत रचना! बधाई रेणु जी!
जवाब देंहटाएंआदरनी सर -- आपके उत्साहवर्धन करते शब्दों के लिए सादर आभार | आपका स्नेह यूँ ही बना रहे | प्रणाम |
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