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सोमवार, 31 जुलाई 2017

गा रे जोगी ! ----- कविता --


     

  गा रे! कोई ऐसा गीत जोगी ,
  बढ़े हर  मन  में  प्रीत  जोगी !  

ना  रहा अब  वैसा  गाँव   जोगी, 
जहाँ   थी  प्यार   ठाँव   जोगी ; 
भूले पनघट के  गीत  प्यारे   
खो  गई   पीपल की  छाँव जोगी ,
 बढ़ी दूरी   ऐसी  मनों में 
 बिछड़े मन के  मीत  जोगी  !! 

बैठ फुर्सत में गाँव टीले  
 कस  सारंगी   के  तार  ढीले ,
 छेड़   कोई  तान  प्यारी 
 सजें    उल्फत  के  रंग सजीले ;
पनपे  प्यार हर     दिल  में 
सुन   मस्त संगीत जोगी !

सुना है , तेरी  दुआ पुरअसर जोगी 
जो  जाती खुदा  के दर  जोगी ,
तू  पढ़    कलमा  मुहब्बत  का  
 उतरे  नफरत का  जहर  जोगी ;
हारे  हर  बुरी फितरत  
प्यार की हो  जीत  जोगी !!
गारे कोई ऐसा गीत जोगी 
 बढ़े   हर   मन   में  प्रीत  जोगी ! ! 

30 टिप्‍पणियां:

  1. गा रे ! कोई ऐसा गीत जोगी - बढे हर मन में प्रीत जोगी!!!!
    ईश्वर करे आप ऐसा ही गीत गाकर हमें सदा मंत्रमुग्ध करती रहें। बहुत बहुत बधाई रेणु जी।

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    1. आदरणीय पुरुषोत्तम जी -- आपके भावभीने शब्दों के लिए आभारी हूँ आपकी --

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  2. बहुत ही मधुर ...
    जोगी कुछ ऐसा कर की वो प्रेम वो प्रीत फिर से जाग उठे ... ऐसी तन सुना की उल्फत का राज हो जाये चहुँ और ...
    बहुत ही लाजवाब रचना ...

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    उत्तर
    1. आदरणीय दिगंबर जी -- अभिभूत हूँ आपके शब्दों से -- आभार आपको -----

      हटाएं
  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 05 अगस्त 2017 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय विभा जी -- आपके दिए सम्मान से अभिभूत हूँ -- हार्दिक आभार आपको -----

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. आदरणीय सुधा जी-- हार्दिक आभारी हूँ आपकी |

      हटाएं
  5. आदरणीय अर्चना जी स्वागत करती हूँ आपका अपने ब्लॉग पर ------ आभार आपका रचना पसंद करने के लिए ------

    जवाब देंहटाएं
  6. रेणु जी बहुत ही खूबसूरत रचना है....लाजवाब

    जवाब देंहटाएं
  7. रेणु जी बहुत ही खूबसूरत रचना है....लाजवाब

    जवाब देंहटाएं
  8. उत्तर
    1. आदरणीय उर्मिला जी ,आपका हार्दिक स्वागत है मेरे ब्लॉग पर | मेरा सौभाग्य आपको रचना पसंद आई | सादर आभार |

      हटाएं
  9. हारे हर बूरी फितरत -
    हो प्यार की जीत जोगी !!
    गारे कोई ऐसा गीत जोगी
    बढे हर मन में प्रीत जोगी... वाह!! बेहद खूबसूरत रचना सखी

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  10. बहुत बहुत सुंदर रेणु बहन बस मन मस्त हो कसे तारों की धुन में खो गया मन का गीत शुभ्र भावों से सुशोभित बहुत प्यारी रचना ।
    अनुपम ।

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    उत्तर
    1. प्रिय कुसुम बहन - आपके स्नेहिल शब्दों के लिए सस्नेह आभार |

      हटाएं
  11. उत्तर
    1. आदरणीय उर्मिला जी -- सुस्वागतम और आभार आपके स्नेहिल शब्दों के लिए |

      हटाएं
  12. खूबसूरत उद्गार... खूबसूरत रचना! बधाई रेणु जी!

    जवाब देंहटाएं
  13. आदरनी सर -- आपके उत्साहवर्धन करते शब्दों के लिए सादर आभार | आपका स्नेह यूँ ही बना रहे | प्रणाम |

    जवाब देंहटाएं

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