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बुधवार, 27 दिसंबर 2017

समय साक्षी रहना तुम --- कविता --

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 अपने अनंत प्रवाह में बहना तुम ,
 पर समय साक्षी रहना   तुम !!

उस पल के , जो  सत्य सा अटल ,
 ठहर गया है भीतर   गहरे ;
रूठे सपनों से मिलवा जिसने  
भरे पलकों में रंग सुनहरे ;
यदा -कदा  बैठ साथ मेरे  
उन यादों के हार पिरोना तुम 

जिसमें  जाने  कहाँ  से आया  
जन्मों की ले पहचान कोई ,
 विस्मय सा भर जीवन में  
कर गया हैरान कोई !  
मौन आराधन सा वो  मेरा  
उसका   जन्मों  का संग बोना तुम

  अतल गहराइयों में  आत्मा की
जो  भरेगा उजास  नित नित  ,
गुजर जायेंगे   दिन महीने 
 आँखों से ना होगा ओझल  किंचित ;
हो ना जाऊं तनिक मैं विचलित 
प्राणों में  अनत धीरज  भर देना तुम !!

अपने अनंत प्रवाह में बहना तुम ,
 पर समय साक्षी रहना   तुम !!!!!!!!!!!!!!

 चित्र--- गूगल से साभार -- 

विशेष रचना

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