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बुधवार, 24 जनवरी 2018

जिन्होंने वारे लाल वतन पे--- कविता --


जिन्होंने  वारे  लाल   वतन  पे  
नमन  करो   उन  माँओं  को ;
जिनके  मिटे सुहाग  देश - हित
शीश  झुकाओं  उन  ललनाओं को !!

दे   सर्वोच्च बलिदान जीवन का 
मातृभूमि   की  लाज  बचाई .
जिनकी  बदौलत आज आजादी 
हो   इकहत्तर की  इतरायी ;
यशो गान  रचो    वीरों  के - 
गाओ उनकी  गौरव  -  गाथाओं को !!

करो  तिलक  उस  माटी का -
जिसमें  वो वीर   सूरमा   खेले ,  
चुन राह वतन  की जिन्होंने -
तजे      वैभव  के  मेले ;
जयघोष करों उन का जिन्होंने -
पार किया सब बाधाओं को   !!

हम सोते कैसे नींद चैन की -
जो ये अपना चैन न खोते ?
कौन बढाता  मान   देश का -

सिरफिरे ये लाल ना होते ?
मिटे  ना  चाह   देश की -
मिटाया अपनों की  आशाओं   को !!

  अबोध नौनिहालों के पिता -
 तिरंगे में  लिपट घर आये ,
देखो  !किसी  भी कारण से   --
उनकी आँख  ना नम हो पाए ;
 दुलारो !ये बालक देश के  हैं -
 पूर्ण  करों इनकी  अभिलाषाओं  को !!

जिन्होंने  वारे  लाल   वतन  पे  -
नमन  करो   उन  माँओं   को ,
जिनके  मिटे सुहाग  देश - हित- 
शीश  झुकाओं  उन  ललनाओं को !!!!!!!!!!



चित्र -- गूगल से साभार 

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