जिन्होंने वारे लाल वतन पे
नमन करो उन माँओं को ;
जिनके मिटे सुहाग देश - हित
शीश झुकाओं उन ललनाओं को !!
दे सर्वोच्च बलिदान जीवन का
मातृभूमि की लाज बचाई .
जिनकी बदौलत आज आजादी
हो इकहत्तर की इतरायी ;
यशो गान रचो वीरों के -
गाओ उनकी गौरव - गाथाओं को !!
करो तिलक उस माटी का -
जिसमें वो वीर सूरमा खेले ,
चुन राह वतन की जिन्होंने -
तजे वैभव के मेले ;
जयघोष करों उन का जिन्होंने -
पार किया सब बाधाओं को !!
हम सोते कैसे नींद चैन की -
जो ये अपना चैन न खोते ?
कौन बढाता मान देश का -
सिरफिरे ये लाल ना होते ?
मिटे ना चाह देश की -जो ये अपना चैन न खोते ?
कौन बढाता मान देश का -
सिरफिरे ये लाल ना होते ?
मिटाया अपनों की आशाओं को !!
अबोध नौनिहालों के पिता -
तिरंगे में लिपट घर आये ,
देखो !किसी भी कारण से --
उनकी आँख ना नम हो पाए ;
दुलारो !ये बालक देश के हैं -
पूर्ण करों इनकी अभिलाषाओं को !!
जिन्होंने वारे लाल वतन पे -
नमन करो उन माँओं को ,
जिनके मिटे सुहाग देश - हित-
शीश झुकाओं उन ललनाओं को !!!!!!!!!!
चित्र -- गूगल से साभार
नमन देशभक्ति भाव से परिपूर्ण काव्यांजलि एवं कवित्व प्रतिभा को !!!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय विश्वमोहन जी ----
हटाएंबहुत सुंदर देशभक्ति के भाव से भरी आपकी ओजपूर्ण रचना रेणु जी। मार्मिक और अतुलनीय रचना आपकी..वाह्ह👌👌
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता जी --- सादर , सस्नेह आभार --
हटाएंदेशभक्ति के जज्बे की सार्थक रचना - सच है माँ के बिना यह संभव नहीं होता
जवाब देंहटाएंआपके द्रष्टिकोण को जवाब नहीं
जय हिन्द
सादर
आदरणीय सर सादर आभार और नमन | भारत की माएं हमेशा से महान रही हैं | शिवाजी की माँ हो या गुरु गोविन्द सिंह जी अथवा भगत सिंह या साधारण फौजी - सब असाधारन हैं | नमन उन्हें कोटि -कोटि --
हटाएंदेशप्रेम से ओतप्रोत भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय अनीता जी -- स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर | रचना पढने और सार्थक शब्दों के लिए सस्नेह आभार |
हटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार २६जनवरी २०१८ के लिए साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
प्रिय श्वेता जी- सस्नेह आभार --
हटाएंमोहक शैली में लिखी भावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार -आदरणीय पुरुषोत्तम जी |
हटाएंवीर शहीदों को नमन...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना...गणतंत्र दिवस का हर्षोल्लास शहीदों को अर्पित करती बहुत ही सुन्दर रचना
वाह!!!
सादर आभार -आदरनीय सुधा जी |
हटाएंनमस्ते! रेणु जी। बहुत ही सुन्दर रचना है। नम आँखों के साथ शीश झुक जाता है उन असंख्य माताओं के सामने। जय हिन्द!
जवाब देंहटाएंमैं शब्दनगरी पर आपकी टिप्पणी का जवाब नहीं दे पा रहा शायद साइट में कोई समस्या हो। गणतंत्र दिवस की शुभकामना स्वीकार करें! साथ ही माफ़ी दीजिये व्यस्त दिनचर्या के कारण आपके कमैंट्स का सही से उत्तर नहीं दे पाता। जी, मैं भी परशुराम शर्मा जी के साथ स्टेज साझा करने को लेकर बहुत उत्साहित हूँ और स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ। मैं आपका सन्देश उनतक ज़रूर पहुँचा दूंगा।
जय हिन्द ! प्रिय मोहित अच्छा लगा कि आपने मेरी शिकायत पर संज्ञान लिया | असल में जवाब से पता वहल जाता है कि हमारे शब्द लेखक
हटाएंने पढ़ लिए | और आपको भी इस शुभ दिन की हार्दिक बधाई | जब शब्दनगरी से मेरे साहित्य बन्धु मेरे ब्लॉग पर आतें हैं तो मेरी ख़ुशी ठिकाना नहीं रहता | एक बार फिर स्वागत करती हूँ आपका मेरे ब्लॉग पर | और आदरणीय परशुराम शर्मा जी कलम के धनी हैं और उनका लेखन सामाजिक
है | मेरी शुभकामनाएं उन तक पहुंचाने लिए ऋणी रहूंगी आपकी | खुश रहिये और मस्त रहिये | आपको रचना पसंद आई मेरा सौभाग्य है |
बहुत बहुत सुंदर आदरणिया जी
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका आदरणीय भ्राता !!
हटाएंसुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंदेश पे मर मिटने वालों का बलिदान सबसे बड़ा है देश के प्रति और हमसब का ये फ़र्ज़ बनता है उनको नमन करना और उन्हें याद रखना ... उस अस्मिता को बचाए रखना जिसके लिए उन्होंने क़ुरबानी दी ...
सादर आभार आपका आदरणीय दिगम्बर जी --
हटाएंबहुत ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंमन को भा गई
प्रजासत्ताक दिन की बहुत बहुत बधाई
प्रिय नीतू जी सस्नेह आभार --
हटाएंदहशत है मोहल्ले मोहल्ले
जवाब देंहटाएंदहशत है फैली हर शहर मोहल्ले मोहल्ले
नफरत भरी गलियां देखो इन हुक्मरानों की
धर्म की बड़ी दीवार खड़ी है चारों और यहाँ
जानवर निशब्द है औकात नहीं इन्सानों की
जद में आएंगे ना जाने कितने 'चन्दन' व 'अकरम'
ज़िंदा तो ! मगर तुम पर भी हैं नजर हैवानों की
दहशत है फैली हर शहर मोहल्ले मोहल्ले
जवाब देंहटाएंनफरत भरी गलियां देखो इन हुक्मरानों की
धर्म की बड़ी दीवार खड़ी है चारों और यहाँ
जानवर निशब्द है औकात नहीं इन्सानों की
जद में आएंगे ना जाने कितने 'चन्दन' व 'अकरम'
ज़िंदा तो ! मगर तुम पर भी हैं नजर हैवानों की
सादर सस्नेह आभार आपका -- प्रिय देशवाली जी
हटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/01/54.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार -- आदरनीय राकेश जी |
हटाएंदेश भक्ति भाव से ओतप्रोत अत्यन्त सुन्दर रचना रेणु जी.
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार मीना जी --
हटाएंबहुत बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय लोकेश जी --
हटाएंबहुत भावमयी, देशप्रेम से ओतप्रोत रचना ।
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेह आभार -- आदरणीय मीना बहन ------
हटाएं
जवाब देंहटाएंहम सोते कैसे नींद चैन की -
जो ये अपना चैन न खोते ?
कौन बढाता मान देश का -सिरफिरे ये लाल ना होते ?
मिटे ना चाह देश की -
मिटाया अपनों की आशाओं को !!
बेहतरीन रचना शत् शत् नमन देश के वीर सपूतों को 🙏
प्रिय अनुराधा जी -- हार्दिक आभार आपका |
हटाएंदेश पे मिटने वाले अमर सैननियों को जितना याद रखा जाए उतना ही कम है ...
जवाब देंहटाएंदूसरों की ख़ातिर अपनी जान देने वाले विरले ही होते हैं ...
नमन है मेरा अमर शहीदों को ...
आदरनीय दिगंबर जी-- सादर आभार आपके अनमोल शब्दों के लिए |
हटाएंदेश भक्ति से परिपूर्ण सुंदर रचना रेनू जी .... जय हिन्द
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय वन्दना जी |
हटाएंदेश प्रेम का कण कण लिए ... सुन्दर लाजवाब भावपूर्ण रचना है ...
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरनीय दिगम्बर जी|
हटाएंबहुत ही सुंदर भाव संजोये बेहतरीन रचना । बार-बार पढने योग्य । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीया रेणु जी।
जवाब देंहटाएंसादर आभार पुरुषोत्तम जी | जय हिन्द |
हटाएंअबोध नौनिहालों के पिता -
जवाब देंहटाएंतिरंगे में लिपट घर आये ,
देखो !किसी भी कारण से --
उनकी आँख ना नम हो पाए ;
दुलारो !ये बालक देश के हैं -
पूर्ण करों इनकी अभिलाषाओं को !!
इन पंक्तियों पर मार्मिकता भी पनाह माँगती हुई एहसास कराती है ... गणतंत्र के नींव के वास्तविक शहीद ईंट का मार्मिक चित्र-चित्रण ...
आदरणीय सुबोध जी , आपकी ये प्रतिक्रिया मेरे लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं | शहीदों की शान में जो राष्ट्र झुकता नहीं वह अपने अतीत पर गर्व भी नहीं कर सकता | कोटि आभार आपके स्नेहासिक्त शब्दों के लिए |
हटाएंओजपूर्ण सुंदर पंक्तियाँ आदरणीया दीदी जी।
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम 🙏 गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ जय हिंद
प्रिय आँचल हार्दिक आभार इस भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए |जय हिन्द , वन्दे मातरम |
हटाएंआपके इस मार्मिक भाव को हमारे तथाकथित रहनुमा जोकि की सियासी बिसात पर भोली जनता को इस जहां में प्यादों की तरह लड़ाते- भिड़ाते है, वे क्या समझे दी।
जवाब देंहटाएंअपने सच कहा शशि भैया | सियासतदानों ई महत्वाकांक्षाओं ने हमेशा ही जनता को उल्लू बना कर अपना उल्लू सीधा किया है | हार्दिक आभार इस बेबाक प्रतिकिया के लिए
हटाएंकरो तिलक उस माटी का -
जवाब देंहटाएंजिसमें वो वीर सूरमा खेले ,
चुन राह वतन की जिन्होंने -
तजे वैभव के मेले ;
जयघोष करों उन का जिन्होंने -
पार किया सब बाधाओं को !!
गणतंत्र दिवस पर बहुत ही लाजवाब सृजन है ये सखी !
सही कहा शहीदों के बलिदान का प्रतिफल हैं हमारी आजादी इसलिए हमें उनके परीवार वालों का ध्यान रखकर इस शुभदिन पर उन्हें स्मरण कर श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिये।
बहुत ही मार्मिक लाजवाब
वाह!!!
प्रिय सुधा जी , मैं अक्सर कहती हूँ आपकी प्रतिक्रिया के बिना मेरी रचना अधूरी है | आपकी विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया रचना का भाव स्पष्ट करती है | स्नेहिल आभार इस भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए |
हटाएंदेशप्रेम से परिपूर्ण बहुत सुंदर रचना, रेणु दी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय ज्योति जी |
हटाएंवाह!!प्रिय सखी ,देशभक्ति भाव रस में भीगी ,अनुपम रचना 👌👌👌
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय शुभा जी |
हटाएंआदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर हृदय को छू जाने वाली रचना हमारे शहीदों और उनके परिवारों पर। सच है की जितना बड़ा बलिदान हमारे सैनिक हमारे देश के लिए देते हैं, उनसे भी कई ज़्यादा बड़ा बलिदान उनके परिवार देते हैं, विशेष कर उनके घर की स्त्रियां और बच्चे।
पर दुःख इस बात का है कि हम उन्हें भूल जाते हैं और उनके परिवारों को भी बिसरा देते हैं। ४-५ दिन का समाचार बना कर और ट्विटर और फसेबूक पर श्रद्धांजलि दे कर, उसके बाद कोई भी उनकी खोज खबर नहीं लेता। मुझे आज तक कोई सुचारू तरीका भी सुनने में नहीं आया जिसके द्वारा देश का कोई नागरिक इन परिवारों की सहायता कर सके और न ही किसी N.G.O को उनकी सहायता का बीड़ा उठाते सुना है। आपकी कविता हमें हमारे वीर शहीदों के परिवार को याद रखने और उनके प्रति अपना कर्तव्य निभाने की बहुत सुंदर प्रेरणा देती है। सुंदर रचना के लिए हृदय से आभार व आपको प्रणाम ।
प्रिय अनंता तुम एक उत्तम पाठिका हो और रचना के मर्म को पकड़ने में सक्षम हो |तुम्हारे जैसे युवा जब शहीदों की विरुदावली गायेंगे तो शहीदों के पराक्रम को कोई बिसरा नहीं सकता | जो लोग शहीदों के नाम पर चन्दा उगाही कर उसका दुरूपयोग करते हैं वे भी एक दिन लज्जा से सर झुका कर उनकी नाम को नमन करेंगे बहुत -बहुत आभार और प्यार इस भावपूर्ण प्रतिक्रया के लिए |
हटाएंओजस्वी प्रवहमयता।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अमृता जी |
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