मेरी प्रिय मित्र मंडली

शनिवार, 12 मई 2018

फिजूल चाहत में-- कविता


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ख़त  नहीं  दिल भेजा था 
 क्या तुमने अंजाम किया ?
बेहतर बात ये तुम तक रहती 
तुमने चर्चा आम किया !

 वफ़ा का इकरार किया   
 बेइन्तहा  प्यार किया ,
इश्क खुमारी सर चढ़ बोली  
सजदा रात- भिनसार  किया  !!

 दावते -इश्क तुम्हीं  ने दी थी , 
 भेज गुलाब उम्मीदों के ,
 फिर  क्यों बैठ सरे महफ़िल 
नाम मेरा बदनाम किया   ?

 तुम्हें  पाने की कोशिश  
तमाम हुई,  नाकाम हुई  ,
 फिजूल चाहत में  ख्वाब मिटे  ,
 रुसवा  यूँ   सरेआम किया  !! 

संदर्भ ---- हमकदम -- पञ्च लिंक --रचना लेखन -विषय निम्न पंक्तियाँ -
इन्तजार , इज़हार ,गुलाब ,ख्वाब , नशा
उसे पाने की कोशि श तमाम हुई - सरेआम हुई 
द्वारा- रोहितास  घोडेला जी --
 स्वरचित --रेणु


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