दूभर तो बहुत थी
ये उदासियाँ मगर ,
आई तुम्हारी याद -
तो हम मुस्कुरा दिए !
आई पलट के खुशियाँ
महकी हैं मन की गलियाँ;
बहुत दिनों के बाद
हम मुस्कुरा दिए ! !
बड़े विकल कर रहे थे
कुछ संशय मनचले थे ;
धीरज ना कुछ बचा था
धीरज ना कुछ बचा था
और नैन भर चले थे ;
बस यूँ ही उड़ चले
कई दर्द अनकहे
.
जब तुमसे हुई बात
तो हम मुस्कुरा दिए ! !
कई दर्द अनकहे
.
जब तुमसे हुई बात
तो हम मुस्कुरा दिए ! !
हम यूँ ही बस भले थे
तन्हाइयों में जीते !
तुम आये किधर से राही
ले रंग जिंदगी के ?
जीवन में वो कमी थी
आँखों में बस नमी थी ,
पर तुम जो आये साथ
तो हम मुस्कुरा दिए ! !
अपना ये सब जहाँ था
पर तुमसा कोई कहाँ था ?
अंधेरों से मन घिरा था
हर पग पे इम्तिहां था
थे कभी अकेले ;
तुम लाये ख़ुशी के मेले
सुनी मन की बात
तो हम मुस्कुरा दिये !!
अपना ये सब जहाँ था
पर तुमसा कोई कहाँ था ?
अंधेरों से मन घिरा था
हर पग पे इम्तिहां था
थे कभी अकेले ;
तुम लाये ख़ुशी के मेले
सुनी मन की बात
तो हम मुस्कुरा दिये !!
चित्र ------ गूगल से साभार ----
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बेहद खूबसूरत
जवाब देंहटाएंप्रिय नीतू जी ------ सस्नेह आभार |
हटाएंसुन्दर!!!
जवाब देंहटाएंआदरणीय विश्वमोहन जी ---- सादर आभार |
हटाएंवाह अतिसुन्दर
जवाब देंहटाएंप्रिय शकू ----- सस्नेह आभार ------
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना......
जीवन में वो कमी थी -
आँखों में बस नमी थी ,
पर तुम जो आये साथ --
तो हम मुस्कुरा दिए ! !
ये मुस्कराहट हमेशा बनी रहे.....अनन्त शुभकामनाएं
आदरणीय सुधा जी ------ आपके निरंतर उत्साह वर्धन करते शब्दों की आभारी हूँ | सादर सस्नेह ---------------
हटाएंयाद का अपना मनोविज्ञान है। याद से जुड़े विभिन्न आयाम प्रस्तुत करती यह मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति बार-बार दिल को गुदगुदाती है। सुंदर रचना। बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीया रेणु जी। लिखते रहिए।
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवीन्द्र जी -------- आपके सारगर्भित चिंतन के लिए आपकी आभारी हूँ | सादर -----
हटाएंउदासियों को चादर उढाती प्रेम भरी अनुभूति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
आदरणीय सर --- सादर आभार |
हटाएंहर पग पे इम्तिहां था
जवाब देंहटाएंथे कभी अकेले ;
तुम लाये ख़ुशी के मेले
सुनी मन की बात
तो हम मुस्कुरा दिये !!!!!!!!
बहुत सुंदर, इतनी सुंदर रचना के माध्यम से अपनी साथी के सानिध्य का वर्णन।वाकई अद्भुत।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंBlogger Renu ने कहा…
हटाएंप्रिय सोनू जी ------- आपके उत्साहवर्धन करते शब्दों के लिए सादर आभार | स्नेह बनाये रखिये |
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरूवार 12 अप्रैल 2018 को प्रकाशनार्थ 1000 वें अंक (विशेषांक) में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
आदरणीय रवीन्द्र जी -- आपके सहयोग की आभारी हूँ |
हटाएंयादें कभी मुस्कुराहट ला देती हैं तो कभी रुला भी जाती हैं....जो याद मुस्कुराहट ला दे,उसका तो आना ही अच्छा....प्यारी सी रचना है -
जवाब देंहटाएंदूभर तो बहुत थी -
ये उदासियाँ मगर ,
आई तुम्हारी याद -
तो हम मुस्कुरा दिए !
प्रिय मीनाबहन -- सस्नेह आभार रचना को पसंद करने के लिए |
हटाएंजब अपनों का साथ मिल जाता जय जो जीवन ख़ुशियों से भर जाता है ...
जवाब देंहटाएंमाँ मयूर स्वतः मुस्कुरा उठता है ...
प्रेम भरी सादगी लिए सुंदर रचना है ...
आदरणीय दिगम्बर जी -- सादर आभार आपके सुंदर शब्दों के लिए |
हटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रिय दीपाली जी-- सस्नेह आभार और हार्दिक धन्यवाद ब्लॉग पर आने के लिए |
हटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रिय दीपाली जी -सस्नेह आभार |
हटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रिय देशवाली जी -- स्वागत और हार्दिक आभार आपका |
हटाएंआदरणीया आपका लेखन कौशल अतिदुर्लभ है,अतः साहित्य की दिशा में प्रयास करें ।
हटाएंछंद,गीतिका,गजल, शेर,
आदरणीय नवीन जी -- जैसा कि मैं निवेदन कर चुकी हूँ - कृपया मार्गदर्शन करें तो आभारी रहूंगी | सादर आभार आपके अनमोल शब्दों के लिए |
हटाएंवाह ! क्या कहने हैं ! खूबसूरत प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजेश जी -- आपके सहयोग की आभारी हूँ | सादर --
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