इंसान हूँ मेहनतकश मैं
नहीं लाचार या बेबस मैं !
किस्मत हाथ की रेखा मेरी
रखता मुट्ठी में कस मैं !!
किस्मत हाथ की रेखा मेरी
रखता मुट्ठी में कस मैं !!
बड़े गर्व से खींचता
जीवन का ठेला ,
संतोषी मन देख रहा
अजब दुनिया का खेला !!
गाँधी सा सरल चिंतन -
मैले कपडे उजला मन ,
श्रम ही स्वाभिमान मेरा -
हर लेता पैरों का कम्पन !
भीतर मेरे गांव बसा
है कर्मभूमि नगर मेरी ,
हौंसले कम नहीं हैं
कठिन भले ही डगर मेरी !!!!!!!!!
चित्र --- गूगल से साभार ------
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चित्र --- गूगल से साभार ------
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लाजवाब सखी सच स्वाभिमान से भरी सुंदर रचना सुंदर उद्गगार ।
जवाब देंहटाएंसप्रेम आभार प्रिय बहना | ये श्रम के सिपाही को सादर नमन है |
हटाएंसप्रेम आभार प्रिय बहना | ये श्रम के सिपाही को सादर नमन है |
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (30-04-2017) को "अस्तित्व हमारा" (चर्चा अंक-2956) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आदरणीय राधा जी -- सादर आभार और नमन |
हटाएंप्रिय रेणु, श्रमिक की व श्रम की गरिमा को दर्शाती छोटी सी सरल सुंदर कविता, मानो गागर में सागर !
जवाब देंहटाएंआखिरी लाइन में सही कर लें - हौसले 'कम' नहीं हैं।
सस्नेह ।
प्रिय मीना बहन -- सस्नेह आभार आपका साथ में विशेष शुक्रिया त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए | मैंने उसी समय ठीक कर ली थी |
हटाएंबहुत खूब लिखा आपने एक श्रमिक के जीवन का बख़ूबी वर्णन किया ।आप के शब्दों ने उसे और अच्छा बना दिया।बेहतरीन पंक्ति
जवाब देंहटाएंप्रिय नीतू जी --सस्नेह आभार आपका |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय लोकेश जी -- आपकी सार्थक प्रतिक्रिया बहुत प्रेरक होती है | सादर आभार |
हटाएंबहुत-बहुत आभार आपका आदरणीया रेणु जी श्रमिक दिवस पर मेहनतकशों की आवाज़ को चर्चा में लाने के लिये. श्रम ही सृजन करता है और शब्द का निर्माण भी करता है. आपको बधाई एवं शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवीन्द्र जी --- आपकी उत्साहित करती टिप्पणी हमेशा की तरह प्रेरक है | सादर आभार |
हटाएंबहुत सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंमेहनतकश मजदूरोंं पर उनके स्वाभिमान से युक्त बहुत ही सुन्दर रचना.....
वाह!!!
आदरणीय सुधा जी -- सादर आभार आपके प्रेरक शब्दों के लिए |
हटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति !
आदरणीय सतीश जी -- आपके उत्साहवर्धन करते शब्दों से अभूतपूर्व प्रसन्नता हुई है | सादर आभार आपका |
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ४ मई २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
प्रिय श्वेता --इस सहयोग के लिए आभारी रहूंगी |
हटाएंसुन्दर रचना सृजन-शिल्पी मजदूर के आत्म गौरव का!!!
जवाब देंहटाएंआदरनीय विश्वमोहन जी -- आपके अनमोल शब्दों के लिए सादर आभार |
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआदरणीय सुशील जी -- सादर आभर आपका |
हटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंलेकिन एक कविता का अंत सार्थक होना जरूरी है,ये मेरे अपने विचार हैं होस सकता है आप इस विचार से सहमत ना हों.
खैर
आदरणीय रोहितास जी -- आपकी बेबाक और स्पष्ट टिप्पणी का हार्दिक स्वागत है | आपके विचार रचना पर जाने लेकिन आप कुछ मार्गदर्शन करते तो मुझे शायद ज्यादा समझ आता | आभारी हूँ कि आपने रचना पढ़ी और उस पर बिना लागलपेट के अपनी बात रखी | सादर --
हटाएंयही हिंसक जीवन को जीता रहता है प्रेरणा देता है निर्माण करता है ...
जवाब देंहटाएंजीवन अपने आप में मज़दूर है कर्म करना ही जीवन है ..
गहरी रचना है ...
सादर आभार आदरणीय दिगम्बर जी |
हटाएंखूबसूरत प्रस्तुति !! बहुत खूब आदरणीया !
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय राजेश जी |
हटाएंसुंदर रचना मेहनतकश वर्ग के लोगों के जीवन की सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय अभिलाषा जी |
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहह...
जवाब देंहटाएंसादर..
आदरणीय बड़े भ्राता सादर आभार और अभिनन्दन |
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शुक्रवार 01 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी और मुखरित मौन ����
हटाएंवाह!!प्रिय सखी ,बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंगाँधी -सा सरल चिंतन ,
मैले कपडे उजला मन । वाह !..बहुत सुंदर 👌
बहुत बहुत आभार शुभा जी 🙏🙏🌹🌹
हटाएंआदरणीया/आदरणीय आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-३ हेतु नामित की गयी है। )
जवाब देंहटाएं'बुधवार' ०६ मई २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"
https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/05/blog-post_6.html
https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
आदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कविता। हमारे अहरामिक सच मुच ही कठोर परिश्रम और अथक हौसले का प्रतीक हैं। आपकी यह रचना पढ़ कर स्कूल में पढा हुआ श्री विनोबा भावे जी द्वारा लिखा हुआ निबन्ध"श्रम की प्रतिष्ठा" याद आ गया।
उन्हों ने लिखा था कि हमारे श्रमिक इस पृथ्वी के शेषनाग हैं, क्योंकि वे हम सब का भार सहते हैं। वर्षों पहले लिखा गया उनका यह निबन्ध आज भी प्रासंगिक है।
आपकी ओस कविता को भी हमारे पाठ्य क्रम में होना चाहिए था,इस से हम सभी को बहुत सुंदर प्रेरणा मिलती है।अत्यंत सुंदर और मन को छू लेने वाली रचना के लिये हृदय से आभार और सादर नमन। इतनी प्रेरणादायक कविता पढ़ के सोने के बाद लाल का दिन तो बहुत अच्छा जाएगा।
आदरणीया मासी,
जवाब देंहटाएंआज आपकी यह रचना पुनः पढ़ी। बहुत ही सुंदर कविता, एक और ऐसी कविता जिसे स्कूल की पाठ्यपुस्तक में होना चाहिये। बहुत ही पररणादायक और जीवनमूल्य सिखाती हुई कविता जो हमें यह बताती है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता।
आज पांच लिंकों के आनंद से पता चला को आज कृतज्ञता दिवस (थैंक्सगिविंग डे) है। आपके स्नेह और आशीष के लिए तो क्या ही आभार हो सकता है पर हाँ बहुत कृतज्ञ हूँ इस बात के लिए की मुझे आप मिलीं । आपका मेरे प्रति निस्वार्थ अपनत्व अमूल्य है। प्रणाम।
प्रिय अनन्ता, तुम्हारे स्नेह के समक्ष मैं नत हूँ। रचना का मान बढ़ाते स्नेहिल उद्गारों के लिए निशब्द हूँ। हमेशा खुश रहो और आगे बढती रहो।। मेरा प्यार और शुभकामनाएं 🌹🌹❤❤
हटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंमुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी
कि आसां हो गईं
श्रमिक दिवस पर श्रमिकों के श्रम की महत्ता दर्शाती अनुपम कृति ।सार्थक सृजन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएं