जब तक हैं सूरज चाँद --
अटल नाम तुम्हारा है ,
ओ ! माँ भारत के लाल !
अमर बलिदान तुम्हारा है !!-
आनी ही थी मौत तो इक दिन --
जाने किस मोड़ पे आ जाती.-
कैसे पर गर्व से फूलती , -
मातृभूमि की छाती ;-
दिग -दिंगत में गूंज रहा आज --
यशोगान तुम्हारा है !!
ओ ! माँ भारत के लाल !
अमर बलिदान तुम्हारा है !!
धन्य हुई आज वो जननी -
तुम जिसके बेटे हो ,-
बना दिया मौत को उत्सव --
तिरंगे में लिपट घर लौटे हो ;-
कल थे एक गाँव - शहर के --
अब हिंदुस्तान तुम्हारा है !!-
ओ ! माँ भारत के लाल !-
अमर बलिदान तुम्हारा है !!
अत्याचारी कपटी दुश्मन
छिपके घात लगाता ,-
नामों निशान मिटा देते उसका --
जो आँख से आँख मिलाता ;-
पराक्रम से फिर भी सहमा --
दुश्मन हैरान तुम्हारा है -
-ओ ! माँ भारत के लाल !-
अमर बलिदान तुम्हारा है !!!!!!!!!!!
नमन ! नमन ! नमन !!!!!!!!!!!
चित्र -- गूगल से साभार---
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धन्यवाद शब्द नगरी -----
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धन्यवाद शब्द नगरी -----
रेणु जी बधाई हो!,
आपका लेख - (अमर शहीद के नाम -- ) आज के विशिष्ट लेखों में चयनित हुआ है | आप अपने लेख को आज शब्दनगरी के मुख्यपृष्ठ (www.shabd.in) पर पढ़ सकते है |
धन्यवाद, शब्दनगरी संगठन
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माँ भारती के अमर शहीदों का नाम सदैव अमर रहेगा
जवाब देंहटाएंरगों में जोश भरती सुन्दर कविता
हैडिंग में शेहीद लिखा गया है, ठीक कर लीजिये
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंप्रिय कविता जी -- सादर आभार आपके शब्दों के लिए | आभारी रहूंगी आपने मेरी टंकण अशुद्धि की ओर ध्यान दिलाया | मैंने ठीक कर ली है | सस्नेह --
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 13 अगस्त 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरनीय दिग्विजय जी |
हटाएंआपको सूचित किया जा रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल सोमवार (13-08-2018) को "सावन की है तीज" (चर्चा अंक-3062) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय सर -- आपके सहयोग के लिए सादर आभार |
हटाएंतिरंगे में लिपट घर लौटे हो ;-
जवाब देंहटाएंकल थे एक गाँव - शहर के --
अब हिंदुस्तान तुम्हारा है !!-
बहुत सुंदर कविता है रेणु दी। पर बच्चों तक यह सब अब पहुंच कहां पाती है। वे तो मोबाइल और कम्प्यूटर में व्यस्त हैं। पता नहीं हम उन्हें किस राह पर ले जा रहे हैं।
आपके मंथन में सच्चाई है प्रिय शशी भाई | बच्चे अपने देश गौरव से अनजान आभासी
हटाएंकाल्पनिक दुनिया में मस्त हैं | ये कोई नहीं कह सकता किसका दोष है |
स्वतंंत्रता दिवस के मौके पर सैनिको के बलिदान का महत्व बतलाती बहुत ही सुंदर रचना रेणु दी।
जवाब देंहटाएंप्रिय ज्योति जी -- आपको रचना पसंद आई आपका आभार |
हटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/08/82.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय राकेश जी सादर आभार आपका |
हटाएंमाँ भारती के पुत्र हमेशा बलिदान देने में तत्पर रहते हैं ...
जवाब देंहटाएंउनका नाम बुलंद रहे हर किसी के मन में उनका मान रहे ...
सादर आभार आदरणीय दिगम्बर जी |
हटाएंरेणू बहन हुतात्माओं के बलिदान पर आपकी बहुत हृदय स्पर्शी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसच वो कभी नही मरते सदा अमर हैं वो,
और कहां एक गांव या शहर उनका
सारा हिंदुस्तान है उनका ।
वाह रचना।
प्रिय कुसुम बहन --आपने सच में आज हुतात्मा का पावन अर्थ समझाया | सस्नेह आभार आपका |
हटाएं"देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है"
जवाब देंहटाएं"...शहीदों की मजरों पर लगेंगे हर वर्ष मेले"
आपकी कविता पढ़कर इकबाल बड़े याद आये।
शहीदों को नमन
सुंदर अभिव्यक्ति।
आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत रहेगा।
सादर आभार आदरणीय रोहितास जी |
हटाएंशहीदों को याद करते हुए, उनका गौरवगान करते हुए शब्द जो मुझे फख्र भी महसूस करा रहे हैं ऐसी वीरों की धरती पर मैंने जन्म लिया है किंतु भावुक भी कर जाती हैं ऐसी रचनाएँ....
जवाब देंहटाएंजी प्रिय मीना बहन -- हम तो यही चाहते हैं कि शहीद अमर की जगह हमारे वीर सैनिक हमेशा सलामत रहें |
हटाएं
जवाब देंहटाएंधन्य हुई आज वो जननी -
तुम जिसके बेटे हो ,-
बना दिया मौत को उत्सव --
तिरंगे में लिपट घर लौटे हो ;-
कल थे एक गाँव - शहर के --
अब हिंदुस्तान तुम्हारा है बेहतरीन रचना शत् शत् नमन देश के वीर सपूतों को
प्रिय अनुराधा जी हार्दिक आभार |
हटाएंबहुत खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंअच्छा शब्द चयन ,भाव भी लाजवाब है .... सोने पर सुहागा।
सस्नेह आभार प्रिय नीतू जी |
हटाएंवाह!प्रिय सखी ,बहुत खूबसूरत भावपूर्ण कविता .
जवाब देंहटाएंआभार प्रिय शुभा जी |
हटाएंसच्च मे तो वो मात सपूता
जवाब देंहटाएंजिसने तुमको जन्म दिया
कर अधिकार कलम पर तुमने
वीरो को ही याद किया
सादर आभर आदरणीय भ्राता
हटाएंBhut hi achhi eachna
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय मयंक |
हटाएंNice post
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय |
हटाएंसस्नेह आभार प्रिय अमित जी | आपके शब्द उत्साहवर्धन करते हैं |
जवाब देंहटाएंनमन। उन वीर शहीदों को आपकी अद्भुत काव्यांजलि से!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरनीय विश्वमोहन जी |
हटाएंनमन | वीर शहीदों को
जवाब देंहटाएंसादर
हार्दिक स्नेह के साथ आभार प्रिय अनीता जी |
हटाएंवीर सपूतो को सत सत नमन साथ ही तुम्हारी लेखनी को भी मेरा सादर प्रणाम ,हलकी फुलकी शब्दों में गहरी वेदना समेटे हुई ये रचना लाजबाब है।
जवाब देंहटाएंप्रिय कामिनी -- उस वेदना को शब्दांकित करने में कोई लेखनी सक्षम नही | सस्नेह आभार सखी इस स्नेहासिक्त सहयोग के लिए |
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ११ अगस्त २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
हार्दिक आभार प्रिय श्वेता!
हटाएंनमन , देश पर मर मिटने वाले बहादुरों को । भाव पूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय दीदी!🙏
हटाएंधन्य हुई आज वो जननी -
जवाब देंहटाएंतुम जिसके बेटे हो ,-
बना दिया मौत को उत्सव --
तिरंगे में लिपट घर लौटे हो ;-
कल थे एक गाँव - शहर के --
अब हिंदुस्तान तुम्हारा है !!-
बहुत ही प्रेरक एवं भावपूर्ण सृजन वीर शहीदों के नाम
हार्दिक आभार प्रिय सुधा जी 🙏
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका सुशील जी 🙏
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