मेरी प्रिय मित्र मंडली

शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

जाने ये कौन चितेरा है ---इंद्र धनुष पर कविता --



जाने ये कौन चितेरा है 
जो  सजा  लाया   नया सवेरा है ,
नभ की  कोरी चादर पर जिसने   
 हर रंग भरपूर बिखेरा है ?

ये कौन   तूलिका  है ऐसी  
जो  ज़रा नजर नहीं आई है ?
पर  पल भर में ही देखो    
अम्बर   सतरंगी कर  लाई है  ! 
 धरा  कर   को  हरित वसना      
पथ में  बिछाया रंग सुनहरा है  ,
जाने ये कौन चितेरा है ?

 ये  विस्तार    सौंदर्य का  
अनुपम और अद्भुत है ये बेला ,
 सपनों  में  रंग भरता है  देखो !  
नील गगन का सतरंगी  झूला ,
मौन दिशाओं में   स्पन्दन  
रचा ये देव -धनुष का घेरा है  
जाने ये कौन चितेरा है ?

वर्षा में नहाया खूब खिला 
ये तन  सृष्टि  का धुला- धुला ;
ईश्वर की प्रतिछाया  सा  
हुआ निर्मल अम्बर  खुला - खुला ;
आँखमिचौली  करता  किरणों से  
 ये  मलय पवन का लहरा है 
जाने ये कौन चितेरा है  !!  

चित्र -- पांच लिंकों से  साभार | 
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धन्यवाद शब्दनगरी  ---- 


रेणु जी बधाई हो!,

आपका लेख - (इन्द्रधनुष कविता -- ) आज के विशिष्ट लेखों में चयनित हुआ है | आप अपने लेख को आज शब्दनगरी के मुख्यपृष्ठ (www.shabd.in) पर पढ़ सकते है | 

42 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन संरचना लिए अनूठी रचना...

    नील गगन का सतरंगी झूला
    मौन दिशाओं में जगा गया स्पन्दन -
    रच ये देव -धनुष का घेरा है -
    जाने ये कौन चितेरा है ?

    प्रकृति की रमणीक छटा और स्पंदन जगाती सौन्दर्य का अद्भुत वर्णन। सादर बधाई रेणु जी।

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    1. आदरणीय पुरुषोत्तम जी -- मेरी रचना यात्रा में आपका उत्साहवर्धन मेरा मनोबल ऊँचा करता है आपकी हमेशा आभारी रहूंगी !!!!!!!!!

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  2. उत्तर
    1. आदरणीय सुधा जी -- सस्नेह आभार आपका --

      हटाएं
    2. नभ की कोरी चादर पर जिसने
      हर रंग खूब बिखेरा है....
      बहुत ही सुन्दरता से खूबसूरत इन्द्रधनुष सजाया है आपने....
      वाह!!!!

      हटाएं
    3. आदरणीय सुधा जी -- सादर आभार |

      हटाएं
  3. सृष्टि के रचयिता की तूलिका में जाने कितने रंग है कोई नहीं जानता
    बहुत सुन्दर

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  4. बहुत शानदार रचना
    मन को छूते अशआर

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    उत्तर
    1. आदरणीय लोकेश जी -- आपके प्रेरक शब्दों के लिए सादर आभार |

      हटाएं
  5. वाह !!! बहुत खूब
    बहुत शानदार

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ५ फरवरी २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता जी -- आपके सहयोग के लिए सादर आभार --

      हटाएं
  7. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०५ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही संवेदनशील रचना है

    जवाब देंहटाएं
  9. उत्तर
    1. आदरणीय सर -आपके प्रेरक शब्दों के लिए आपकी आभारी हूँ |

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  10. सात रंगों के विस्तार को नया आकाश दे दिया है इन शब्दों द्वारा ...
    बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय दिगम्बर जी -- उत्साहवर्धन से भरे आपके शब्द अनमोल हैं | सादर आभार |

      हटाएं
  11. प्रकृति के सौंदर्य को निश्चित ही ईश्वर का प्रतिबिंब कहा जा सकता है, क्योंकि हमारे सभी देवी-देवता मनमोहक हैं एवं उनकी कलाओं में प्रकृति का यह रूप ही समाहित है।
    आपकी ऐसी रचनाएँँ मानव हृदय को आनंदित करने वाली होती हैं रेणु दी।

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  12. वाह!प्रिय सखी ,रेनू ..मन आनंदित हो गया ,आपकी इतनी खूबसूरत रचना को पढकर ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार सखी शुभा जी | आपके आनंद में मेरा भी आनंद है | सस्नेह --

      हटाएं
  13. बेहद खूबसूरत रचना प्रिय रेनू जी👌👌👌👌

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  14. सपनो में रंग भरता है ये -
    नील गगन का सतरंगी झूला
    मौन दिशाओं में स्पन्दन -
    रचा ये देव -धनुष का घेरा है -
    जाने ये कौन चितेरा है ?
    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, रेणु दी।

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    उत्तर
    1. हार्दिक आभार ज्योति जी | हर रचना पर आपकी उपस्थिति मेरा सौभाग्य है |

      हटाएं
  15. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (21-02-2020) को "मन का मैल मिटाओ"(चर्चा अंक -3618) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    अनीता लागुरी "अनु"

    जवाब देंहटाएं
  16. वर्षा में नहाया खूब खिला -
    ये तन सृष्टि का धुला- धुला ;
    ईश्वर की प्रतिछाया सा -
    हुआ निर्मल अम्बर खुला - खुला ;

    वाह !! बहुत सुंदर ,सच ,इंद्रधनुष को देख यही प्रतीत होता हैं जैसे परमात्मा हमसे खुश हो अपने आशीर्वाद को सतरंगी किरणों के रूप में हम पर बरसा रहें हैं।
    लाजबाब सृजन सखी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार प्रिय कामिनी | हर रचना पर तुम्हारा आना मेरे लिए गर का विषय है | सस्नेह -

      हटाएं
  17. बहुत सुंदर सृजन रेणु बहन अद्वेत और द्वेत का अनुठा संयोग बहुत सुंदर और सरस सुंदर अभिव्यक्ति।
    बहुत अभिनव ।

    जवाब देंहटाएं
  18. प्रिय कुसुम बहन आपके स्नेह और प्रोत्साहन की सदैव आभारी हूँ | हार्दिक स्नेह के साथ --

    जवाब देंहटाएं
  19. सादर आभार और अभिनंदन आलोक जी🙏🙏 💐💐

    जवाब देंहटाएं

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