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रविवार, 26 मई 2019

अव्यवस्था के अग्नि कुण्ड में --- सूरत अग्नि काण्ड पर


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मौसम आयेंगे  -जायेंगे पर ,
वे   वापस  ना आयेंगे । 
 घर आँगन  में  नौनिहाल,
 अब ना खिलखिलाएँगे । 
 
गर्म हवा से भी  न कभी ,
 छूने  दिया था जिन्हें ,
सोच ना था , 
अव्यवस्था के अग्नि  - कुंड  
उन्हें  भस्म  कर  जाएँगे । 

जीने की खातिर   जिन्होंने, 
लड़ी  जंग  आखिरी दम तक 
कब वो मन की आँखों से । 
 ओझल हो पायेंगे ? 

रंग हुए फीके होली के, 
खो गयी ख़ुशी दीवाली  की । 
बुझे   आँगन के दीप ,
कैसे जश्न मन  पाएँगे ?

हर आहट पे   होगा भ्रम , 
आँखों के तारों  के आने का ,
 मानो  कहीं से  जिगर के टुकड़े 
  आ गले लग जायेंगे   
 


 
श्रुपूरित  नमन   उन  सुकुमार नौनिहालों जो जीने की  खातिर  आखिरी साँस तक लड़े !!!!!!!

16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार मई 28, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28-05-2019) को "प्रतिपल उठती-गिरती साँसें" (चर्चा अंक- 3349) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    श्रद्धांजलि...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. यह दर्द असहनीय होता है,इसे अभिभावक ही समझ सकते हैं।
    अव्यवस्था ,लापरवाही एवं असंवेदनशीलता के विरुद्ध हम कब तक विलाप करते रहेंगे ?

    सादर प्रणाम।

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  4. अव्यवस्था हर बार हमे अंतहीन दर्द दे जाता हैं लेकिन फिर भी हमारी लापरवाही नहीं रूकती ,पता नहीं हम कब सबक सीखेंगे। उन अभिभावकों का दर्द असहनीय होगा जिन्होंने अपने लाड़ले खोये हैं। भगवान उन्हें सब्र दे ,अब तो हम सचेत हो जाये कब तक ऐसी त्रासदियां झेलते रहेंगे।

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  5. रेणु दी, इन हादसों से जब तक हम लोग सबक नहीं लेते, ऐसे हादसे भविष्य में न हो इसका इंतजाम नहीं करते तब तक न जाने कितने मासुम इन हादसोंंके बली चढते रहेंगे। जिन परिवारों ने बच्चे खोए हैं उनका दुख सोच कर ही आत्मा कांप जाती हैं।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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  6. बेहद मर्मस्पर्शी रचना मासूमों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि 🙏

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  7. सूरत हादसे से हृदय व्यथित है कलेज़े के टुकड़ों को विनम्र श्रद्धाजंलि|
    सादर

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  8. बेहद मार्मिक. सूरत के नौनिहालों के विनम्र श्रद्धांजलि. 😔😔

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  9. बेहद हृदयस्पर्शी सृजन दी...कुछ जख़्मों की दवा नहीं होती..जीवनभर पीड़ा की पोटली ढोना होगा परिजनों को।
    🙏🙏

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  10. बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना प्रिय रेनू जी । लापरवाह व्यवस्था के चलते इतने नौनिहालों की असमय मौत बहुत ही पीडादायक है । जहाँ बच्चों को छोटी सी खरोंच आने से माँ-बाप व्यथित हो जाते है ,कैसे सहन किया होगा ये सदमा । श्रद्धांजलि 🙏

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  11. सभी को आभार उनकी संवेदनशील प्रतिक्रिया के लिए | ईश्वर करे ऐसी घटना की पुनरावृति ना हो क्योकि ऐसे जख्म कभी नहीं भरते उलटा समय के साथ नासूर हो जाते हैं |

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  12. हर आहट पे होगा भ्रम
    आँख (आँखों) के तारों के आने का
    मानो कहीं से जिगर की (के) टुकड़े
    आ गले लग जायेंगे !!!!!!!!!!!..... मर्मान्तक !!!

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    उत्तर
    1. आदरणीय विश्वमोहन जी -- हार्दिक आभार संवेदनशील प्रतिक्रिया के लिए | त्रुटियों को सही करवाने के लिए भी आभारी रहूंगी |

      हटाएं
  13. मौन हूँ इस अग्नि-काण्ड के बारे में सोच कर ...
    आज भी कितना कुछ है जो छोटे स्तर पर करने की जरूरत है देश में ... सुरक्षा का कब सोचना शुरू होगा ... मन कांप जाता है बच्चों का सोच कर ...

    जवाब देंहटाएं
  14. मासूमों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

    जवाब देंहटाएं

Yes

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