तुम्हारी यादों की मृदुल
छाँव में बैठ सँवारे हैं
मेरे पास कहाँ कुछ था
मेरे पास कहाँ कुछ था
सब गीत तुम्हारे हैं |
मनअम्बर पर टंका हुआ है,
ढाई आखर प्रेम तुम्हारा।
थके प्राणों का संबल जो,
ढाई आखर प्रेम तुम्हारा।
थके प्राणों का संबल जो,
पग - पग पे करता उजियारा।
हुए निहाल निहार तुम्हें,
बिसरे दुःख सारे हैं!
सराबोर हैं आत्मरस से ,
ये जो छंद अनोखे हैं ।
तुमसे ही जीवनसार मिला,
शेष दावे सब थोथे है!
वही पल बस लगते अपने,
जो साथ गुजारे हैं!
तुम आए बदल गयी दुनिया
खुली पोटली सपनों की ,
खुली पोटली सपनों की ,
सतरंगी आभा से सजे
बदली है भाषा नयनों की!
नये गगन में मनपाखी ने
नये गगन में मनपाखी ने
पंख पसारे हैं !
प्रीतनगर की इन गलियों से,
अब तक तो अनजान थे हम।
अब कहीं जाकर मिला बसेरा,
कब किस दिल के मेहमान थे हम।
सालों मनचले सपनों ने ,
ये पथ खूब निहारे हैं!
तुम्हारी यादों की मृदुल
छाँव में बैठ सँवारे हैं
मेरे पास कहाँ कुछ था
सब गीत तुम्हारे हैं |
अरसे बाद आपकी कविता पढ़ने को मिली रेणु जी। बहुत अच्छे भाव हैं इसके। अभिनन्दन आपका।
जवाब देंहटाएंसादर आभार और अभिनन्दन जितेन्द्र जी |
हटाएंआहा कितना हृदयस्पर्शी गीत दी।
जवाब देंहटाएंसरस सुकोमल भाव पंक्ति के हर शब्द पोर से फूटता अनुराग मन सम्मोहित कर रहा है।
हिय का स्पंदन बोल रहा
तू रस साँसों में घोल रहा
अनुभूति की मदिरा-सी बूँदों को
छिड़क इत्र-सा झकझोर रहा
जीवन के रेतील पथ पर
तूने मखमली बाँह पसारे हैं।
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अति सुंदर गीत दी।
बधाई स्वीकारें। थोड़ा जल्दी जल्दी लिखना दी।
सस्नेह
द्विगुणित सौंदर्य सम ।
हटाएंप्रिय श्वेता, मूल रचना के भावों से कदमताल मिलाते तुम्हारे भाव रचना के अधूरे भावों को पूर्ण कर रहे हैं | हार्दिक आभार और शुभकामनाएं इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए |
हटाएंबेहद खूबसूरत गीत सखी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और अभिनन्दन प्रिय अनुराधा जी |
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर मधुर गीत। हृदय से शुभ कामनाएं ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय आलोक जी, हार्दिक स्वागत है आपका |
हटाएंटेरती आँखों की जीवित ज्योति सम, प्रेमिल तेजोमय प्रभापुंज को नवरूपायित करता हुआ अति सुकोमल एवं सुकुमार उद्गार । इसकी मृदुल छांव अति सुखदाई है । आहा!
जवाब देंहटाएंप्रिय अमृता जी, आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने रचना को सार्थक कर दिया |हार्दिक आभार और अभिनन्दन आपका |
हटाएंआज आपको विदुषी आदरणीय रेणु जी लिखने का मन है, एक एक कर आपकी रचनाओं पढ़ती हूं,रससिक्त होती हूं,बहुत गूढ़ विषय पर सुंदर,सरस और पठनीय लेखन है आपका ।जन जन से जुड़ जाती हैं रचनाएँ ...
जवाब देंहटाएंये रचना तो कोमल और निश्चल मन के सरस भाव हैं, जो आपने व्यक्त किए हैं,सच कवि मन ऐसा ही होना चाहिए । मैं अपनी एक कविता जो एक आम स्त्री मन को लेकर काफी पहले लिखी थी,आपको समर्पित कर रही हूं 🙏💐
आज़ पहली बार आज़ाद हुई मैं
उड़ रहे हैं पंख अब हवाओं में
परिंदों का परवाज़ हुई मैं
रोके कोई बेशक मुझे अब भी
रुकेगी न उड़ान मेरी यारों
साथ देंगे जमीं आसमाँ मेरा
जोड़ करके सजा लूँगी मैं टूटे तारों
देख लेना मुझे तुम आज़मा के
अब न टूटेंगे ख़्वाब मेरे फिर
कौन कहता है सज नहीं सकता
हीरे मोती का ताज मेरे सिर
बन भी जाए गर रहगुजर कोई
तो आसमां भी थाम लेंगे हम
मिला न साथ तो भी कोई बात नही
राह कांटों में अपनी निकाल लेंगे हम
यही वो बात है मुझमें जो
सबसे जुदा करती है मुझको
आसमां में भी एक सुराख
बना के भी दिखा सकती है सबको
कभी अनजान थी मैं अपने और तुम्हारे से
अब परिचय की नहीं मोहताज मैं
रख दिया है कदम मैंने पहली सीढ़ी पे
देखना हो के रहूंगी अब से कामयाब मैं
जिज्ञासा....🙏🙏
प्रिय जिज्ञासा जी, सबसे पहले अपरिहार्य कारणों से हुई प्रतिउत्तर की देरी के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। उन्मुक्त नारी मन की सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए निशब्द हूं। मन में खुशी हो तो आसमान पर उड़ान भरना कोई मुश्किल नहीं। इस अनमोल काव्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए आभार नहीं ढेरों
हटाएंप्यार और शुभकामनाएं 🙏🌷🌷❤️❤️
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १४ जनवरी २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
हार्दिक आभार प्रिय श्वेता और पांच लिंक 🙏🙏🌷🌷
हटाएंप्रीतनगर की इन गलियों से,
जवाब देंहटाएंअब तक तो अनजान थे हम।
अब कहीं जाकर मिला बसेरा,
कब किस दिल के मेहमान थे हम।
सालों मनचले सपनों ने ,
ये पथ खूब निहारे हैं!
खूबसूरत एहसासों को बयां करती बहुत ही सुंदर रचना!
प्रीत के एहसासों से खूबसूरत कोई एहसास नहीं! ये वो एहसास होते हैं जो इत्र इत्र सा पूरे रग में समा जाते हैं और प्रीत नगर की सभी गलियों को अपनी खुशबू से महका देते हैं!
बहुत ही सुंदर😍💓
प्रिय मनीषा, सारगर्भित और भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार और प्यार ❤️❤️🌷🌷
हटाएंमेरे पास कहाँ कुछ था
जवाब देंहटाएंसब गीत तुम्हारे हैं |
ऊंची सोच, गहन चिंतन
कलम और कलमकार
दोनों को शुभकामनाएं
सादर..
हार्दिक आभार प्रिय दीदी। आपकी उपस्थिति मेरा सौभाग्य है 🙏❤️❤️🌷🌷
हटाएंदिल के कोमल और निश्चल भावों को प्रकट करती, दिल को छूती बहुत ही सुंदर रचना, रेणु दी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय ज्योति जी 🙏❤️❤️🌷🌷
हटाएंप्रेम रस से परिपूर्ण हर पंक्ति , समर्पण के भाव को लिए हुए मानों स्वछंद आकाश में विचरण करते हुए मन के उद्गार शब्दों के मोतियों में बिखेर दिए ।
जवाब देंहटाएंतुम आए बदल गयी दुनिया
खुली पोटली सपनों की ,
सतरंगी आभा से सजे
बदली है भाषा नयनों की!
नये गगन में मनपाखी ने
पंख पसारे हैं !
बहुत सुंदर गीत ।
वैसे कोई खास दिन था ?
सस्नेह
प्रिय दीदी, आपकी उपस्थिति और आत्मीय प्रतिक्रिया के लिए कोटि आभार। कोई खास दिन नहीं था, बस पुरानी रचनाएँ यहां डाल रही हूं।🙏🙏❤️❤️🌷🌷
हटाएंगोपन नयनों का नयनों से
जवाब देंहटाएंसजी शर्वरी सपनों की।
गीत भले तेरे साथी, पर!
लय लगती कुछ अपनों-सी!
बहुत सुंदर भाव!!! बधाई, आभार और शुभकामनाएँ!!!
आदरणीय विश्वमोहन जी, आपकी अनमोल काव्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए कोटि आभार आपका।🙏🙏
हटाएंतुम आए बदल गयी दुनिया
जवाब देंहटाएंखुली पोटली सपनों की ,
सतरंगी आभा से सजे
बदली है भाषा नयनों की!
नये गगन में मनपाखी ने
पंख पसारे हैं !
अद्भुत आपको कोटि कोटि प्रणाम
सस्नेह आभार और अभिनंदन प्रिय हरीश जी 🙏💐💐🌷
हटाएंजिसको समर्पित है ये गीत और ये प्रेम मैं तो उस शख्स की किश्मत पर हैरत हूँ.
जवाब देंहटाएंवाह वाह बस वाह.
हार्दिक आभार प्रिय रोहित इस मधुर प्रतिक्रिया के लिए।
जवाब देंहटाएं"तुम आए बदल गयी दुनिया
जवाब देंहटाएंखुली पोटली सपनों की ,
सतरंगी आभा से सजे
बदली है भाषा नयनों की!
नये गगन में मनपाखी ने
पंख पसारे हैं !"
वाह !! बहुत ही उम्दा भाव रेणु जी ।
हार्दिक आभार और अभिनंदन हर्ष जी 🙏💐💐
हटाएंह्रदय को छूते हुवे भाव ...
जवाब देंहटाएंलेखनी सतत, सरल प्रवाह में जैसे मन के भाव, प्रेम की रसधार उढेल रहे हैं ...
सुंदर सृजन ...
सादर आभार दिगम्बर जी 🙏🙏
हटाएंसब गीत तुम्हारे हैं ।
जवाब देंहटाएंवाह समर्पण भाव हो तो ऐसे हों रेणु बहन बहुत सुंदर प्यारी कोमल रचना।
सस्नेह।
हार्दिक आभार प्रिय कुसुम बहन🙏🌺🌺
हटाएंसराबोर हैं आत्मरस से ,
जवाब देंहटाएंये जो छंद अनोखे हैं ।
तुमसे ही जीवनसार मिला,
शेष दावे सब थोथे है!
वही पल बस लगते अपने,
जो साथ गुजारे हैं!
जिसकी प्रेरणा से गीत उतरते लेखनी से, वह भला अनमोल क्यूँ ना हो!!! परंतु कवयित्री के हृदय की विशालता को भी मानना पड़ेगा कि अपने इतने सुंदर गीतों का श्रेय किसी को इतनी आसानी से दे दिया, वरना आजकल तो लोग कहते हैं कि यह तो हमारी जन्मजात प्रतिभा है !!!
बहुत-बहुत आभार और अभिनंदन प्रिय मीना। अभिभूत हूं इन स्नेहिल उद्गारों के लिए🌷🌷💐💐🙏
हटाएंकितना सरस् !
जवाब देंहटाएंअभिनंदन और आभार आपका 🙏🌹🌹
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