तेरे मेरे अनुपम प्रणय का
चाँद साक्षी आज की रात ;
मेरे मन में तेरे विलय का
चाँद साक्षी आज की रात !
झांके गगन की खिड़की से
घिरा तारों के झुरमुट से,
मुस्काए नटखट आनन्द भरा
छलकाए रस अम्बर घट से ;
सजा है आँगन नील निलय का
चाँद साक्षी आज की रात !
ये रात बासंती पूनम की
अभिलाषा प्रगाढ़ हुई मन की ,
मचले मन को चैन कहाँ अब
तोड़ रहा सीमा संयम की ,
बड़ा बोझिल ये दौर समय का
चाँद साक्षी आज की रात !
ये पल फिर लौट ना आयेंगे
बीत जायेगी रात सुहानी ये
कहाँ कोई इसका सानी है ?
बड़ा प्यारा इश्क रूहानी ये ;
न कोई डर विजय- पराजय का
चाँद साक्षी आज की रात !
मेरे संग चंदा से बतियाओ तो
आ ! तारों से आँख मिलाओ तो ,
तोड़ो साथी !मौन अधर का
मेरे मन की व्यथा सुन जाओ तो :
खोलो बंद द्वार ह्रदय का
चाँद साक्षी आज की रात !!
चित्र--गूगल से साभार
चित्र--गूगल से साभार
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हार्दिक आभार शब्दनगरी ----------- | ||
रेणु जी बधाई हो! | ||
आपका लेख - ( चाँद साक्षी आज की रात ) आज की सर्वश्रेष्ठ रचना के रूप में चयनित हुआ है | आप अपने लेख को आज शब्दनगरी के मुख्यपृष्ठ (www.shabd.in) पर पढ़ सकते है | 31 .1.2018
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मेरे संग चंदा से बतियाओ तो
जवाब देंहटाएंआ तारों से आँख मिलाओ तो
तोड़ो साथी !मौन अधर का --
मेरे मन की व्यथा सुन जाओ तो :
खोलो बंद द्वार ह्रदय का --
चाँद साक्षी आज की रात !!!!!!!
बेहतरीन लेखन शिल्प का नमूना। वाह।।।। बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएँ।
आदरणीय पुरुषोत्तम जी --सादर सस्नेह आभार आपके प्रेरक शब्दों के लिए |
हटाएंबहुत ही उम्दा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सृजन
आदरणीय लोकेश जी -- सदर सस्नेह आभार आपका |
हटाएंबहुत प्यारी मनमोहक रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय मीना बहन -- सस्नेह आभार आपका |
हटाएंवाह्हह...प्रिय रेणु जी, बेहद दिलकश,खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंचंदा नाम से ही एक तिलिस्म फैल गया...बहुत सुंदर शब्द शिल्प और उससे टपकते स्नेहिल भाव....बहुत अच्छे लगे।
प्रिय श्वेता जी -- आपके प्रेरक शब्द मनोबल बढाते हैं | सस्नेह आभार |
हटाएंप्रणय का साक्षी चांद....
जवाब देंहटाएंवाह!!!बहुत ही खूबसूरत, बहुत ही लाजवाब रचना
ये रात बासंती पूनम की -
अभिलाषायें प्रगाढ़ हुई मन की '
इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई रेणु जी !
आदरणीय सुधा जी --आपके उत्साह से भरे शब्द हमेशा मेरा मनोबल उंचा करते हैं | सादर सस्नेह आभार आपका |
हटाएंसृजन के सौन्दर्य और सौन्दर्य के सृजन की अनुपम छटा! शुभकामनाएं और आभार!
जवाब देंहटाएंसादर, सस्नेह आभार -- आदरणीय विश्वमोहन जी |
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब...
आदरणीय नीतू जी -- सस्नेह आभार आपका |
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरूवार 1 फरवरी 2018 को प्रकाशनार्थ 930 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
सादर आभार -- आदरणीय रविन्द्र जी |
हटाएंरेणु जी, प्रणय और समर्पण को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं आपने। बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रिय ज्योति जी ---बहुत ख़ुशी हुई आपके सार्थक और सराहने भरे शब्दों से --- सस्नेह आभार |
हटाएंअद्भुत....!
जवाब देंहटाएंआदरणीय गगन जी -- हार्दिक आभार आपका |
हटाएंबहुत सुन्दर रचना रेनू जी ... बधाई
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार आदरणीय वंदना जी --
हटाएंशिल्प और शब्दों ने उस प्रेम कविता को रूहानियत से सराबोर कर दिया । अप्रतिम रचना ।
जवाब देंहटाएंसादर
प्रिय अपर्णा -- सस्नेह आभार आपका |
हटाएंVery good
जवाब देंहटाएंसादर आभार --
हटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/02/55.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय राकेश जी -- आपका अतुलनीय सहयोग अविस्मरनीय है | सादर आभार |
हटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंप्रिय ऋतू जी सस्नेह आभार --
हटाएंबेहद सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
आदरणीय मीना जी सादर आभार |
हटाएंचाँद हमेशा से प्रेम का प्रतीक रहा है और प्रेम इसके साथ ही अमर है ...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना है ...
सादर आभार आदरणीय दिगम्बर जी |
हटाएंवाह!!रेनु जी ,बेहतरीन ,भावपूर्ण रचना ..।
जवाब देंहटाएंप्रिय शुभा जी -- आपका सस्नेह आभार |
हटाएंवाह, बहुत ही सुन्दर रचना ,चांद साक्षी...
जवाब देंहटाएंप्रिय अभिलाषा जी सस्नेह आभार सखी |
हटाएंबहुत ही सुंदर भाव अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय ऋतू जी |
हटाएंबहुत ही खूबसूरत रचना आदरणीया
जवाब देंहटाएंप्रिय रविन्द्र जी सस्नेह आभार आपका |
हटाएंमेरे संग चंदा से बतियाओ तो
जवाब देंहटाएंआ तारों से आँख मिलाओ तो
तोड़ो साथी !मौन अधर का --
मेरे मन की व्यथा सुन जाओ तो :
खोलो बंद द्वार ह्रदय का --
चाँद साक्षी आज की रात !!!!!!!!!!!!!.....अति उत्तम रचना ।सुंदर भावों से सजी सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई रेणु जी ।
प्रिय दीपा जी-- आपके प्रेरणा भरे शब्द अनमोल हैं | सस्नेह आभार |
हटाएंबहुत सुन्दर रचना ... चंदा का साक्षी होना प्रेम की निशानी है ...
जवाब देंहटाएंमौन रह कर सब कुछ सुन जाता है चाँद ...
सुन्दर रचना है ...
सादर आभार आदरणीय दिगम्बर जी |
हटाएंतेरे मेरे अनुपम प्रणय का-
जवाब देंहटाएंचाँद साक्षी आज की रात ;
मेरे मन में तेरे विलय का -
चाँद साक्षी आज की रात !
प्रेमरस में सराबोर ,दिलकश रचना ,सादर स्नेह सखी
सस्नेह आभार सखी कामिनी |
हटाएंवाह ! प्रिय सखी बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर
प्रिय अनीता जी -- आपके स्नेह की आभारी हूँ सखी |
हटाएंRoli Abhilasha (अभिलाषा)'s profile photo
जवाब देंहटाएंRoli Abhilasha (अभिलाषा)
बेहद खूबसूरत।
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51w
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amansingh charan
Beautiful poem dear
51w
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Renu
+1
प्रिय अभी सस्नेह आभार आपका ==
51w
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Renu
प्रिय अमन बहुत दिनों के बाद आपका मेरी रचना पढ़ना बहुत अच्छा लग रहा है | सस्नेह आभार आपका |
बस साक्षी ही हुआ जा सकता है इस अनुपम भाव का।
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