मेरी प्रिय मित्र मंडली

मंगलवार, 30 जनवरी 2018

चाँद साक्षी आज की रात --- कविता

 
तेरे मेरे अनुपम प्रणय का 
चाँद साक्षी  आज की रात  ;     
मेरे मन में   तेरे  विलय का   
चाँद साक्षी आज की रात  !   


झांके  गगन की खिड़की से 
घिरा तारों के झुरमुट से,
मुस्काए नटखट आनन्द भरा  
छलकाए रस  अम्बर घट से ;
सजा है आँगन  नील  निलय का   
चाँद साक्षी आज की रात  !   


 ये रात बासंती  पूनम की  
अभिलाषा  प्रगाढ़ हुई  मन की ,  
मचले  मन  को चैन कहाँ  अब    
 तोड़ रहा सीमा  संयम की   ,
बड़ा  बोझिल ये दौर समय का 
चाँद साक्षी आज की रात !  


 ये पल फिर  लौट ना आयेंगे 
बीत जायेगी   रात सुहानी ये 
कहाँ कोई   इसका सानी  है ?
बड़ा प्यारा   इश्क रूहानी ये ;
न कोई  डर विजय- पराजय का 
चाँद साक्षी आज की रात   ! 


 मेरे संग  चंदा से  बतियाओ तो  
 आ ! तारों से आँख मिलाओ तो , 
 तोड़ो साथी !मौन अधर का  
 मेरे मन की व्यथा सुन जाओ तो :
खोलो बंद    द्वार ह्रदय  का  
चाँद साक्षी  आज की रात !! 

   
चित्र--गूगल से साभार  
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 हार्दिक आभार शब्दनगरी ----------- 


रेणु जी बधाई हो!

 
आपका लेख - ( चाँद साक्षी आज की रात ) आज की सर्वश्रेष्ठ रचना के रूप में चयनित हुआ है | आप अपने लेख को आज शब्दनगरी के मुख्यपृष्ठ (www.shabd.in) पर पढ़ सकते है | 31 .1.2018

52 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे संग चंदा से बतियाओ तो
    आ तारों से आँख मिलाओ तो
    तोड़ो साथी !मौन अधर का --
    मेरे मन की व्यथा सुन जाओ तो :
    खोलो बंद द्वार ह्रदय का --
    चाँद साक्षी आज की रात !!!!!!!

    बेहतरीन लेखन शिल्प का नमूना। वाह।।।। बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएँ।

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    1. आदरणीय पुरुषोत्तम जी --सादर सस्नेह आभार आपके प्रेरक शब्दों के लिए |

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  2. बहुत ही उम्दा
    बेहतरीन सृजन

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    उत्तर
    1. आदरणीय लोकेश जी -- सदर सस्नेह आभार आपका |

      हटाएं
  3. वाह्हह...प्रिय रेणु जी, बेहद दिलकश,खूबसूरत रचना।
    चंदा नाम से ही एक तिलिस्म फैल गया...बहुत सुंदर शब्द शिल्प और उससे टपकते स्नेहिल भाव....बहुत अच्छे लगे।

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    1. प्रिय श्वेता जी -- आपके प्रेरक शब्द मनोबल बढाते हैं | सस्नेह आभार |

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  4. प्रणय का साक्षी चांद....
    वाह!!!बहुत ही खूबसूरत, बहुत ही लाजवाब रचना
    ये रात बासंती पूनम की -
    अभिलाषायें प्रगाढ़ हुई मन की '
    इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई रेणु जी !

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    1. आदरणीय सुधा जी --आपके उत्साह से भरे शब्द हमेशा मेरा मनोबल उंचा करते हैं | सादर सस्नेह आभार आपका |

      हटाएं
  5. सृजन के सौन्दर्य और सौन्दर्य के सृजन की अनुपम छटा! शुभकामनाएं और आभार!

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    1. सादर, सस्नेह आभार -- आदरणीय विश्वमोहन जी |

      हटाएं
  6. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरूवार 1 फरवरी 2018 को प्रकाशनार्थ 930 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. रेणु जी, प्रणय और समर्पण को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं आपने। बधाई।

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    उत्तर
    1. प्रिय ज्योति जी ---बहुत ख़ुशी हुई आपके सार्थक और सराहने भरे शब्दों से --- सस्नेह आभार |

      हटाएं
  8. बहुत सुन्दर रचना रेनू जी ... बधाई

    जवाब देंहटाएं
  9. शिल्प और शब्दों ने उस प्रेम कविता को रूहानियत से सराबोर कर दिया । अप्रतिम रचना ।
    सादर

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  10. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/02/55.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय राकेश जी -- आपका अतुलनीय सहयोग अविस्मरनीय है | सादर आभार |

      हटाएं

  11. बेहद सुन्दर‎ भावाभिव्यक्ति.

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  12. चाँद हमेशा से प्रेम का प्रतीक रहा है और प्रेम इसके साथ ही अमर है ...
    भावपूर्ण रचना है ...

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  13. वाह!!रेनु जी ,बेहतरीन ,भावपूर्ण रचना ..।

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  14. वाह, बहुत ही सुन्दर रचना ,चांद साक्षी...

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत ही सुंदर भाव अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  16. मेरे संग चंदा से बतियाओ तो
    आ तारों से आँख मिलाओ तो
    तोड़ो साथी !मौन अधर का --
    मेरे मन की व्यथा सुन जाओ तो :
    खोलो बंद द्वार ह्रदय का --
    चाँद साक्षी आज की रात !!!!!!!!!!!!!.....अति उत्तम रचना ।सुंदर भावों से सजी सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई रेणु जी ।

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    उत्तर
    1. प्रिय दीपा जी-- आपके प्रेरणा भरे शब्द अनमोल हैं | सस्नेह आभार |

      हटाएं
  17. बहुत सुन्दर रचना ... चंदा का साक्षी होना प्रेम की निशानी है ...
    मौन रह कर सब कुछ सुन जाता है चाँद ...
    सुन्दर रचना है ...

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  18. तेरे मेरे अनुपम प्रणय का-
    चाँद साक्षी आज की रात ;
    मेरे मन में तेरे विलय का -
    चाँद साक्षी आज की रात !
    प्रेमरस में सराबोर ,दिलकश रचना ,सादर स्नेह सखी

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  19. वाह ! प्रिय सखी बहुत ही सुन्दर
    सादर

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    1. प्रिय अनीता जी -- आपके स्नेह की आभारी हूँ सखी |

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  20. Roli Abhilasha (अभिलाषा)'s profile photo
    Roli Abhilasha (अभिलाषा)
    बेहद खूबसूरत।
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    51w
    amansingh charan's profile photo
    amansingh charan
    Beautiful poem dear
    51w
    Renu's profile photo
    Renu
    +1
    प्रिय अभी सस्नेह आभार आपका ==
    51w
    Renu's profile photo
    Renu

    प्रिय अमन बहुत दिनों के बाद आपका मेरी रचना पढ़ना बहुत अच्छा लग रहा है | सस्नेह आभार आपका |

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  21. बस साक्षी ही हुआ जा सकता है इस अनुपम भाव का।

    जवाब देंहटाएं

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