सुनो ! सखा,
ले नेह - तूलिका
रंग दो मन की कोरी चादर,
हरे ,गुलाबी , लाल , सुनहरी
रंग इठलायें जिस पर खिलकर !
सजे सपने इन्द्रधनुष के
नीड- नयन से मैं निहारूं
सतरंगी आभा पर इसकी
मैं तन -मन अपना वारूँ,
बहें नैन ,जल -कोष सहेजे
मुस्काऊँ ,नेह अनंत पलक भर !!
स्नेहिल सन्देश तुम्हारे
नित शब्दों में तुमसे मिल लूं,
यादों के गलियारे भटकूँ
फिर से बीता हर पल जी लूं ;
डूबूं आकंठ उन घड़ियों में
दुनिया की हर सुध बिसराकर !
अनंत मधु मिठास रचो तुम
आहत मन की आस रचो तुम,
रचो प्रीत- उत्सव कान्हा बन
जीवन का मधुमास रचो तुम ,
रंग दो मन की कोरी चादर,
हरे ,गुलाबी , लाल , सुनहरी
रंग इठलायें जिस पर खिलकर !
सजे सपने इन्द्रधनुष के
नीड- नयन से मैं निहारूं
सतरंगी आभा पर इसकी
मैं तन -मन अपना वारूँ,
बहें नैन ,जल -कोष सहेजे
मुस्काऊँ ,नेह अनंत पलक भर !!
स्नेहिल सन्देश तुम्हारे
नित शब्दों में तुमसे मिल लूं,
यादों के गलियारे भटकूँ
फिर से बीता हर पल जी लूं ;
डूबूं आकंठ उन घड़ियों में
दुनिया की हर सुध बिसराकर !
अनंत मधु मिठास रचो तुम
आहत मन की आस रचो तुम,
रचो प्रीत- उत्सव कान्हा बन
जीवन का मधुमास रचो तुम ,
खिलो कंवल बन मानसरोवर
सजो अधर चिर हास तुम बनकर !!
चित्र -- पञ्च लिंकों से साभार --
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सजो अधर चिर हास तुम बनकर !!
चित्र -- पञ्च लिंकों से साभार --
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धन्यवाद शब्दनगरी -------
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (01-10-2018) को "राधे ख्यालों में खोने लगी है" (चर्चा अंक-3111) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
सादर आभार आदरणीय राधा जी |
हटाएंअनंत मधु मिठास रचो तुम
जवाब देंहटाएंआहत मन की आस रचो तुम
रचो प्रीत उत्सव कान्हा बन -
जीवन का मधुमास रचो तुम वाह बेहतरीन रचना
प्रिय अनुराधा जी -- हार्दिक स्नेह भरा आभार सखी |
हटाएंयादों के गलियारे भटकूँ -
जवाब देंहटाएंफिर से बीते पल जी लूं मैं
बस वाह लिख दू तो वो भी काफी होगा और बहुत सारा भी लिख दू तब भी व्यक्त नही कर सकता ।रेनु जी बहुत ही सुंदर और कसक भरी कविता रची अपने, मज़ा ही आ गया।यू तो सारे ब्लॉग्स भरे पड़े हैं।बहुत कम ही स्तरीय लेखन हो रहा हैं इन दिनों,आपका ब्लॉग उनमे से एक हैं।आभार
प्रिय जफर जी -- आप लोगों का स्नेह ही मेरी साधारण सी रचना को असाधारण बना रहा है | आपके उत्साहवर्धन करते अनमोल शब्दों के लिए कोई आभार नहीं बस मेरी हार्दिक स्नेह भरी शुभकामनायें |
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सस्नेह आभार प्रिय श्वेता |
हटाएंअनंत मधु मिठास रचो तुम
जवाब देंहटाएंआहत मन की आस रचो तुम
रचो प्रीत उत्सव कान्हा बन -
जीवन का मधुमास रचो तुम
बहुत सुंदर रचना है रेणु दी,
पर दी यह जो कान्ह का क्षणिक प्रीति उत्सव रहा न ,वह गोपियों के जीवन भर का दर्द बन कर रह गया था
प्रिय शशी भाई -- रचना पर आपके सार्थक चिंतन के लिए मेरा सस्नेह आभार |
हटाएं"प्रेम जो नेड़े(नजदीक) आवे
जवाब देंहटाएंक्यों सुध की सुध आवे
दूर होवे जे माहि मेरा
हाले बेसुध भी नजर न आवे."
कभी लिखी थी ये पंक्तियाँ आज इस रचना ने इन पंक्तियों पर ठप्पा लागा दिया... आज सुबह सुबह ऐसी रचना पढ़ कर खुद को सोभाग्यशाली समझता हूँ. बेहतरीन कवियित्री हैं आप. रंगसाज़
प्रिय रोहित जी -- आपकी आत्मीयता भरी सराहना से निशब्द हूँ ! आपकी सूफियाना शैली में लिखी गयी ये पंक्तियाँ मेरी रचना से कहीं अधिक सुंदर और गहरे भावों से भरी हैं | --
हटाएं"प्रेम जो नेड़े(नजदीक) आवे
क्यों सुध की सुध आवे
दूर होवे जे माहि मेरा
हाले बेसुध भी नजर न आवे."
वाह !!!!!!! सराहने से परे इन भावप्रणव पंक्तियों और आपके स्नेहासिक्त शब्दों के लिए मेरा हार्दिक स्नेह भरा आभार |
बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंआपके शब्द किसी तूलिका भी भाँती सादे प्रेम और स्नेह की आभा लिए अनुपम रंग बिखेर रही हो जैसे ... कान्हा के रस में डूबी पंक्तियाँ सीधे दिल तक तैर रही हैं ...
रचो प्रीत उत्सव कान्हा बन -
जीवन का मधुमास रचो तुम
खिलो कंवल बन मानसरोवर ...
अनंत प्रेम की अविरल धार ...
आदरणीय दिगम्बर जी -- जब रचना मैंने ब्लॉग पर डाली थी तो बहुत डर कर डाली थी | आपकी सार्थक टिप्पणी से बहुत उत्साहवर्धन हुआ है जिसके लिए आपकी आभारी हूँ |
हटाएंबेहतरीन रचना सखी 👌
जवाब देंहटाएंप्रिय अनीता बहन -- सस्नेह आभार आपका |
हटाएंअद्भुत आपकी रचनाएँ निःशब्द कर जाती हैं प्रसंशा के उपयुक्त शब्द ढूंढ पाना शब्दावली में बहुत ही मुश्किल हो जाता है,क्योंकि आकि लेखनी जिन भावों को उकेर जाती है,वो भाव बस अन्तस में महसूस किए जा सकते हैं रच बस जाते हैं मन मे शब्दों का आकार देने की न तो इक्षा होती है ना क्षमता.. आपके द्वारा की गई प्रेम की व्याख्या बस रास में डूब देने को होती हैं सौभाग्य जो आपकी रचनाएँ पढ़ने का अवसर प्राप्त होता है....और आपको हृदयतल की गहराई से आभार इस सुखद अनुभूति को देने के लिए..
जवाब देंहटाएंप्रिय सुप्रिया-- आपने रचना को अपने शब्दों में बखूबी परिभाषित कर दिया और आपकी स्नेह भरी सराहना से मन बाग़- बाग़ है| क्या कहूं ? आभार नही , बस मेरा प्यार |
हटाएंरेणू बहन आपकी लेखनी की जितनी प्रशंसा करूं कम ही होगी
जवाब देंहटाएंकैसे प्रिय सखा से कोरे कागज पर आपने तो सतरंगी जीवन का अनुबंध ही लिखा लिया और शब्दों का तिलिस्मी माया जाल उफ!
क्या कहने. बहुत बहुत बधाई बहन इतनी प्यारी रंग और नूर भरी रचना के लिये।
प्रिय कुसुम बहन -- मेरी रचना से कहीं सुंदर आपके सराहना भरे शब्द हैं , जिनके लिए कोई आभार नहीं बस मेरा प्यार |
हटाएंसुनो ! सखा- ले नेह - तूलिका
जवाब देंहटाएंरंग दो मन की कोरी चादर....
आदि से अन्त तक सीधे अन्तस को छूती बहुत ही लाजवाब अभिव्यक्ति....।
रचो प्रीत उत्सव कान्हा बन -
जीवन का मधुमास रचो तुम
खिलो कंवल बन मानसरोवर
सजो अधर चिर हास तुम बनकर
प्रीत के कितने ही रंग खिल रहे हैं आपकी रचना में
बेहतरीन, शानदार, लाजवाब कृति
बहुत बहुत बधाई आपको खूबसूरत कृति के लिए...
प्रिय सुधा बहन -- आपके उत्साहवर्धन करते स्नेहासिक्त शब्द मेरे लिए सदैव ही विशेष रहे हैं |इनके लिए आभार नहीं मेरा हार्दिक स्नेह आपके लिए |
हटाएंस्नेहिल सन्देश तुम्हारे -
नित शब्दों में तुमसे मिल लूं -
यादों के गलियारे भटकूँ -
फिर से बीते हर पल जी लूं ;
डूबूं आकंठ उन घड़ियों में -
दुनिया की हर सुध बिसराकर...
कितनी अबोध सी अभिलाषा है !!! कितने निर्मल भाव हैं! क्षुद्र है श्रृंगार इसके सामने... बस शब्दों में ही मिल लेना है, शब्दों में ही प्रिय को महसूस कर लेना और नेह की तूलिका से जीवन की कोरी चादर में कुछ रंग बिखेर देने का मासूम अनुरोध !!! इन भावों को शब्दों में पिरोने और पुनः एक लाजवाब रचना देने हेतु बहुत बहुत बधाई।
सस्नेह.....
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंप्रिय मीना बहन -- आप अपने अति व्यस्त समय में से इतना समय मेरी रचनाओं के लिए निकालती हैं , इसे अपना सौभाग्य मानती हूँ | पता नही मेरी रचनाओं के भाव अच्छे हैं या आपका स्नेह भरा कोमल मन , जो हूबहू इन एहसासात को अनुभव करता है | आपके शब्दों और सराहना से निशब्द हूँ | आपके लिए मेरा हार्दिक प्यार |
हटाएंअनंत मधु मिठास रचो तुम
जवाब देंहटाएंआहत मन की आस रचो तुम
रचो प्रीत उत्सव कान्हा बन -
जीवन का मधुमास रचो तुम
रेणु जी लाजवाब करती बेमिसाल कृति👌👌
प्रिय मीना बहन -- सुस्वागतम और सस्नेह आभार आपके आत्मीयता भरे उद्गारों के लिए |
हटाएंअनंत मधु मिठास रचो तुम
जवाब देंहटाएंआहत मन की आस रचो तुम
रचो प्रीत उत्सव कान्हा बन -
जीवन का मधुमास रचो तुम
खिलो कंवल बन मानसरोवर
सजो अधर चिर हास तुम बनकर !!!!!!... बहुत सुंदर रचना
आदरणीय वन्दना जी-- आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार आपके निरंतर सहयोग के लिए |
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