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शनिवार, 8 सितंबर 2018

तुम्हें समर्पित सब गीत मेरे--

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मीत कहूं,मितवा कहूं ,
क्या  कहूँ  तुम्हें   मनमीत मेरे ?
 नाम तुम्हारे ये शब्द  मेरे
 तुम्हें समर्पित सब गीत मेरे !!


 हर बात  कहूं  तुमसे मन की  

 कह अनंत सुख पाऊँ मैं ,
 निहारूं नित मन- दर्पण में  
 तुम्हें  स्व -सम्मुख   पाऊँ मैं;
सजाऊँ  ख्वाब नये  तुम संग -
 भूल, ये  गीत -अतीत मेरे  !!

सृष्टि में जो ये प्रणय का
अदृश्य  सा महाविस्तार है ,
जो युगों से है अपना 
 वही इसका दावेदार है ,
बंधने नियत थे तुम संग 
जन्मों के बंध पुनीत मेरे !!
  
अनुराग बन्ध में सिमटी मैं 
यूँ ही पल- पल जीना   चाहूँp ,
सपन- वपन कर डगर पे साथी 
संग तुम्हारे चलना  चाहूँ  ,
तुम्हारे प्यार  से हुए हैं जगमग 
ये नैनों के दीप मेरे  !!
 नाम तुम्हारे हर  शब्द  मेरे
 तुम्हें  समर्पित सब गीत मेरे !!

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 धन्यवाद शब्दनगरी --------

रेणु जी बधाई हो!,

आपका लेख - (तुम्हे समर्पित सब गीत मेरे -- कविता ) आज की सर्वश्रेष्ठ रचना के रूप में चयनित हुआ है | आप अपने लेख को आज शब्दनगरी के मुख्यपृष्ठ (www.shabd.in) पर पढ़ सकते है | 
धन्यवाद, शब्दनगरी संगठन
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57 टिप्‍पणियां:

  1. समर्पण प्यार का सर्वोतम प्रमाण है
    ये आपके ठोस व गहरे विश्वाश को दिखाता है जिसके चलते भरपूर स्वतन्त्रता है और अटूट रिश्ता बनता है.


    उम्दा रचना.

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    1. आदरणीय रोहित जी -- आपने आकर मेरी रचना का मान बढ़ाया और रचना के मर्म को पहचान कर सार्थक शब्द लिखे -- जिसके लिए सादर आभार आपका |

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  2. सृष्टि में ये जो प्रणय का
     अदृश्य सा  महाविस्तार है -
    जो युगों से है अपना -
     वही इसका दावेदार है --.....
    सुंदर सी कविता का वो अनुबंध जो गहरा भाव लिए है, मन को भा गई । कवि की विशाल कल्पना को नमन। शुभकामनाएं आदरणीय रेणु जी।

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    1. आदरणीय पुरुषोत्तम जी -- सादर आभार आपका | आपके शब्द सदैव ही मनोबल बढाते हैं |

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  3. सृष्टि में ये जो प्रणय का
    अदृश्य सा महाविस्तार है -
    जो युगों से है अपना -
    वही इसका दावेदार है --.....
    ये पंक्तियाँ तो बेजोड़ हैं प्रिय रेणु बहन...
    वैसे भी सच्चा प्रेम तो वही है जिसमें अधिकार नहीं, समर्पण हो। रचना के गहरे भावों से मन भीग गया।

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    1. प्रिय मीना बहन -- बहुत दिनों के बाद आपको ब्लॉग पर देखकर अपार हर्ष हुआ | आपके शब्द अनमोल हैं | सस्नेह आभार आपका |

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. सभी बंध बेहतरीन
    प्रेम की पराकाष्ठा को व्यक्त करती खूबसूरत कृति

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (10-09-2018) को "हिमाकत में निजामत है" (चर्चा अंक- 3090) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

    जवाब देंहटाएं
  7. मनमीत को समर्पित मन के गीत.....
    इसी समर्पण में है प्रेम की पराकाष्ठा और यही है पवित्र प्रणय बन्धन का आधार ।गहरे भावों से सजी लाजवाब कृति ...
    वाह!!!

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    1. प्रिय सुधा जी -- आपके उत्साह भरे शब्द मेरे ब्लॉग की शोभा बढ़ाते हैं | सस्नेह आभार आपका |

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  8. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १० सितंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता -- इस सहयोग के लिए सदैव आभारी रहूंगी | सस्नेह --

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  9. निमंत्रण विशेष :

    हमारे कल के ( साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक 'सोमवार' १० सितंबर २०१८ ) अतिथि रचनाकारआदरणीय "विश्वमोहन'' जी जिनकी इस विशेष रचना 'साहित्यिक-डाकजनी' के आह्वाहन पर इस वैचारिक मंथन भरे अंक का सृजन संभव हो सका।

    यह वैचारिक मंथन हम सभी ब्लॉगजगत के रचनाकारों हेतु अतिआवश्यक है। मेरा आपसब से आग्रह है कि उक्त तिथि पर मंच पर आएं और अपने अनमोल विचार हिंदी साहित्य जगत के उत्थान हेतु रखें !

    'लोकतंत्र' संवाद मंच साहित्य जगत के ऐसे तमाम सजग व्यक्तित्व को कोटि-कोटि नमन करता है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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    1. प्रिय ध्रुव -- आपका हार्दिक आभार इस सार्थक आयोजन के लिए | सस्नेह --

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  10. प्रिय रेणु जी बहुत ही प्यारी सी रचना ....मनमीत को समर्पित मन के गीत

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  11. नाम तुम्हारे हर शब्द मेरे
    तुम्हे समर्पित सब गीत मेरे !!!!!!!!!
    बहुत सुंदर रचना है रेणु दी। काश ! घर- घर तक आपकी यह रचना पहुँचती तो समर्पण का यह भाव सभी का मार्गदर्शन करता।

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  12. वाह!!प्रिय सखी रेनू ,बहुत ही उम्दा !सुंदर समर्पण भाव से सजी ।

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  13. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना

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  14. सुंदर समर्पण भाव बहुत सुन्दर लिखा आप ने ....👌👌👌

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  15. सृष्टि में जो ये प्रणय का
    अदृश्य सा महाविस्तार है -
    जो युगों से है अपना -
    वही इसका दावेदार है -


    वाह बहुत ही शानदार,जो दावेदार हैं वही हक़दार हैं फिर भी न जाने क्यों ये मन इस बात को नही समझ पाता व्याकुल हो जाता हैं।प्रकृति के नियमो से हम युद्ध नही कर सकते किन्तु स्वम के भीतर ये द्वंद बना रहता हूं।इस कशमकश को बखूबी जुबान दी हैं आपने।
    बहुत बहुत बधाई।आभार

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    उत्तर
    1. प्रिय जफर जी -- रचना पर आपके इस असाधारण अवलोकन से -- आप जैसा गुणी पाठक मिलने पर परम संतोष हुआ | सस्नेह आभार आपने रचना के मर्मको जाना |

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  16. सृष्टि में जो ये प्रणय का
    अदृश्य सा महाविस्तार है -
    जो युगों से है अपना -
    वही इसका दावेदार है -- बेहतरीन भावों से गुम्फित अत्यंत सुन्दर सृजन रेणु जी ।

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    1. प्रिय मीना जी -- आपके भावपूर्ण शब्दों के लिए सस्नेह आभार |

      हटाएं
  17. उत्तर
    1. आदरणीय वन्दना जी -- मेरे ब्लॉग पर आकर रचना का मान बढाने के लिए सादर आभार आपका |

      हटाएं
  18. उत्तर
    1. प्रिय अंकित जी -- मेरे ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है आपका | रचना पढने के लिए आपका हार्दिक आभार |

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  19. प्यार से ओतप्रोत बहुत ही सुंदर रचना, रेणु दी।

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    उत्तर
    1. प्रिय ज्योति जी - सस्नेह आभार और शुक्रिया कि आपने ब्लॉग पर आ रचना पढ़ी |

      हटाएं
  20. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १४ जनवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  21. अनुराग बन्ध में सिमटी मैं
    यूँ ही पल- पल जीना चाहूं ,
    सपन- वपन कर डगर पे साथी -
    संग तुम्हारे चलना चाहूं ;
    तेरे प्यार से हुए हैं जगमग -
    ये नैनों के दीप मेरे !!
    नाम तुम्हारे हर शब्द मेरे
    तुम्हे समर्पित सब गीत मेरे !!..बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीया रेणु जी
    सादर

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  22. बहुत खूब ....सखी ,प्रशंसा से परे ,प्रेमके हर भाव को उकेरती तुम्हारी ये रचना लाजबाब है...

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    1. प्रिय कामिनी -- तुम्हारा स्नेह अनमोल है|

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  23. आत्म मुग्ध करती सुंदर समर्पण भाव सुंदर काव्य बहुत सुंदर मोहित करती अनुपम श्रृंगार रचना रेणू बहन बहुत ही प्यारी लगी रचना आपकी ।
    बधाई और शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपके शब्द बहुत प्रेरक हैं कुसुम बहन | हार्दिक आभार |

      हटाएं
  24. आदरणीय सुशील जी -- सादर आभार |

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  25. उत्तर
    1. आदरणीय गुरु जी, आपका आशीष मिला, अनुगृहित हुई सादर आभार और नमन 🙏🙏🙏

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  26. अहा, मन में उतरती उम्दा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  27. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(11-02-2020 ) को " "प्रेमदिवस नजदीक" "(चर्चा अंक - 3608) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ...
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  28. सादर आभार चर्चा मंच और सखी कामिनी 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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