[ तीन साल -सौ रचनाएँ ]
🙏🙏🙏🙏गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर , ब्लॉग की तीसरी वर्षगांठ पर आज सौवीं रचना के साथ , मेरे ब्लॉग के गुरुतुल्य प्रणेता को कोटि आभार जिनके मार्गदर्शन के बिना ये ब्लॉग कभी अस्तित्व में ना आता | स्नेही पाठकवृन्द को ब्लॉग पर , आज तक उनकी 30683 स्नेहिल उपस्थितियों के लिए हार्दिक आभार और नमन , जिन्होंने मेरी हर रचना तो अतुल्य स्नेह दिया और जब भी समय मिला , उन पर अपनी स्नेह भरी प्रतिक्रियाएं भी अंकित की | समस्त गुरुसत्ता को नमन करते हुए सभी को गुरुपूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 🙏🙏🙏🙏
गुरु- वंदना
तुम कृपासिन्धु विशाल , गुरुवर !
मैं अज्ञानी , मूढ़ , वाचाल गुरूवर !
पाकर आत्मज्ञान बिसराया .
छल गयी मुझको जग की माया ;
मिथ्यासक्ति में डूब -डूब हुआ
अंतर्मन बेहाल , गुरुवर !
तुम्हारी कृपा का अवलंबन ,
पाया अजपाजाप पावन ,
गुरुविमुख हो सब खोया
उलझा गया मुझे भ्रमजाल गुरुवर !
कुटिल वचन वाणी दूषित ,
मैं अकिंचन , विकारी , जीव पतित
तुम्हारी करूणा से पाऊँ त्राण
धुलें मन के सभी मलाल गुरुवर!
सहजो ने नित गुरुगुण गाया ,
मीरा ने गोविन्द को पाया ,
रत्नाकर बन गये बाल्मीकि
ये गुरुकृपा है कमाल गुरुवर !
वेदवाणी के प्रणेता तुम ,
मानवता के सुघढ अध्येता तुम ;
साकार रूप परमब्रहम के
करो दया, होऊं निहाल गुरुवर !
चित्र - गूगल से साभार
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ब्लॉग का प्रथम लेख --
छल गयी मुझको जग की माया ;
मिथ्यासक्ति में डूब -डूब हुआ
अंतर्मन बेहाल , गुरुवर !
तुम्हारी कृपा का अवलंबन ,
गुरुविमुख हो सब खोया
उलझा गया मुझे भ्रमजाल गुरुवर !
कुटिल वचन वाणी दूषित ,
मैं अकिंचन , विकारी , जीव पतित
धुलें मन के सभी मलाल गुरुवर!
सहजो ने नित गुरुगुण गाया ,
रत्नाकर बन गये बाल्मीकि
ये गुरुकृपा है कमाल गुरुवर !
चित्र - गूगल से साभार
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गुरु पूर्णिमा, ब्लॉग की वर्षगाँठ और रचनाओं के शतक का गुरु-कर्म! वाह! बधाई और गुरुतर प्रतिमानों की स्थापना के गौरव से पूर्ण होने की सम्पूर्ण शुभकामनायें!!! चरैवेति, चरैवेति।
जवाब देंहटाएंआदरणीय विश्वमोहन जी ,ब्लॉग जगत में आप जैसे समर्पित साहित्य साधक से परिचय मेरे लिए गर्व का विषय है। आपके आशीर्वचनों के लिए हार्दिक आभार🙏🙏🙏🙏
हटाएंसुंदर,विविधापूर्ण,संदेशात्मक रचनाओं का शतक,ब्लॉग की तीसरी वर्षगांठ की बहुत बहुत बधाई दी।
जवाब देंहटाएं-----
गुरू महिमा मैं क्या कहूँ गुरू बिन मूढ़ मति अज्ञानी
वंदनीय, पूजनीय,उपकारी,गुरू सम कोई नहीं दानी
बेहद लाज़वाब गुरू वंदना..सादर नमन।
प्रिय श्वेता, अत्यंत भावपूर्ण पंक्तियाँ गुरुदेव के नाम ! हार्दिक आभार और स्नेह इन शुभकामनाओं के लिए ।
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 07 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार रवीन्द्र जी 🙏🙏🙏💐💐
हटाएंबहुत बढिया गुरु वंदना। ब्लॉग के तीसरी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं, रेणु दी। आप इसी तरह अपनी रचनाओं से हमें लाभांवित करती रहे...
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और प्यार प्रिय ज्योति जी। आपका अतुलनीय सहयोग अविस्मरणीय है🙏🙏🌹🙏🙏
हटाएंब्लॉग की तीसरी सालगिरह एवं शतक पूर्ण करती आपकी सुन्दर रचनाओं के लिए बहुत बहुत बधाई ए्वं शुभकामनाएं सखी!
जवाब देंहटाएंतुम कृपासिन्धु विशाल , गुरुवर !
मैं अज्ञानी , मूढ़ , वाचाल गुरूवर !
बहुत ही लाजवाब गुरू वंदना।
प्रिय सुधा जी ,आपका साथ और शब्द दोनों अनमोल हैं मेरे लिए । ये साथ बना रहे । हार्दिक आभार और प्यार🙏🙏🌹🙏🙏
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (7 -7 -2020 ) को "गुरुवर का सम्मान"(चर्चा अंक 3755) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
हार्दिक आभार प्रिय कामिनी🙏🙏🙏🙏
हटाएंगुरू पूर्णिमा पर रची गई सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबधाई हो।
हार्दिक आभार और प्रणाम आदरणीय सर🙏🙏🙏🙏
हटाएंरेणु दी, तीन वर्ष का आपका यह सफ़र , ये सौ अनमोल सृजन और पाठकों के प्रति स्नेहभाव युक्त आभार प्रदर्शन। एक रचनाकार , एक कुशल टिप्पणीकार के साथ मुझे जैसे कई नये ब्लॉगर्स के लिए मार्गदर्शक भी रही हैं आप.. ब्लॉग पर आकर मैं आपने अनेक रूपों से परिचित हुआ हूँ। सरल, निश्चल, विनम्र होने के साथ ही एक और मानवीय गुण जो हर साहित्यकार में होना चाहिए, अन्याय के विरुद्ध निजी लाभ-हानि से ऊपर उठकर शंखनाद, जो समय-समय पर आपके द्वारा ब्लॉग जगत में देखने को मिला, उससे मैं अभिभूत हूँ रेणु दी..। शब्दों का जादूगर होना कोई मायने नहीं रखता है , जब तक संत, साहित्यकार, राजनेता अथवा कोई भी विशिष्ट पहचान रखने वाला व्यक्ति स्वयं मन से साफ़ नहीं होता है, क्योंकि ऐसे महानुभावों पर हर किसी की दृष्टि होती है, ..और हृदय से सम्मान उसे ही मिलता है जो इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर लेता है। राजनीति से भरे इस ब्लॉग जगत में निर्विवाद रूप से आप वह नक्षत्र हैं, जो स्थिर भाव से, बिना छल-छद्म के हर किसी का मार्गदर्शन करता आ रहा है। आपकी प्रतिभा, सहृदयता और आपकी रचना को नमन।🌹🙏
जवाब देंहटाएंशशि भैया, ये आपका स्नेह है बस । ब्लॉग जगत ने हमें बहुत कुछ दिया है और अनेक सहृदयी गुणीजनों से मिलवाया है फिर क्यों ना छोटी छोटी बातों को अनदेखा कर दें। क्या पता हम ब्लॉग पर कितने दिन हैं । भावपूर्ण टिप्पणी के लिए आपका आभार🙏🙏🙏🙏
हटाएं
जवाब देंहटाएंरेणु दी, आपकी रचना पढ़ कर मुझे भी अपने गुरुदेव का स्मरण हो आया है। ज्ञान का प्रकाश जो मुझे लगभग तीन दशक पूर्व आश्रम जीवन से प्राप्त हुआ था । गुरुज्ञान के आलोक में मैंने पाया कि इस जगत के लौकिक संबंधों के प्रति विशेष अनुरक्ति ही भावुक मनुष्य की सबसे बड़ी दुर्बलता है ।अतः भाषा ज्ञान नहीं होने पर भी मैं गुरु चरणों की वंदना इन शब्दों के साथ करता हूँ-
गुरु कृपा से उपजे ज्योति
गुरू ज्ञान बिन पाये न मुक्ति
माया का जग और ये घरौंदा
फिर-फिर वापस न आना रे वंदे
पत्थर-सा मन जल नहीं उपजे
हिय की प्यास बुझे फिर कैसे..।"
बहुत बढिया वन्दना की आपने गुरुवर की शशि भैया🙏🙏 अच्छा है आपके कदम अध्यात्म की तरफ बढ़ रहे हैं।
हटाएंजय गुरुदेव
जवाब देंहटाएंआभार और अभिनंदन राकेश जी 🙏🙏
हटाएंतुम्हारी कृपा का अवलंबन ,
जवाब देंहटाएंपाया अजपाजाप पावन ,
गुरुविमुख हो सब खोया
उलझा गया मुझे भ्रमजाल गुरुवर !
बहुत सुंदर सृजन सखी ,गुरु की कृपा तुम पर हमेशा बनी हुई हैं और आगे भी बनी रहेंगी। गुरुवर से यही प्रार्थना हैं कि -तुम कभी किसी "भ्रमजाल"में ना उलझों। तुम्हारा मन निश्छल ,निर्मल रहा हैं और हमेशा यूँ ही रहें। ब्लॉग की तीसरी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं सखी ,तुम निरंतर यूँ ही आगे बढ़ती रहों,तुम्हारा मार्ग निष्कंटक हो और तुम्हारी सिर्फ 100 नहीं 1000 रचनाओं को पढ़ने का सौभाग्य हमें मिले,ढेर सारा स्नेह सखी,देर से आने की माफ़ी चाहती हूँ।
प्रिय कामिनी, तुम्हारे मधुर शब्दों से अपार हर्ष हुआ। ये गुरुदेव की ही कृपा है सखी, कि इतनी स्नेही सखियाँ मिली तुम्हारा साथ बना रहे। हार्दिक आभार और स्नेह🌹🌹🙏🌹🌹
हटाएंब्लॉग की तीसरी सालगिरह की हार्दिक बधाई आदरणीय रेणु दीदी.
जवाब देंहटाएंआपका सृजन यों ही फलता फूलता रहे.आपके स्नेह की महक़ से ब्लॉग जगत यों ही महकता रहे. गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर बहुत ही सुंदर सृजन किया है आपने .एक बार फिर हार्दिक बधाई 🌹.
सादर
प्रिय अनीता, तुम्हारी मधुर प्रतिक्रिया से मन हर्षित हुआ । हार्दिक आभार और स्नेह 🌹🌹🙏🌹🌹
हटाएंतुम कृपासिन्धु विशाल , गुरुवर !
जवाब देंहटाएंमैं अज्ञानी , मूढ़ , वाचाल गुरूवर !
संग्रहणीय गुरु-वन्दना प्रिय रेणु जी । वन्दना हर बन्ध भाव-विभोर करता हुआ...आपको ब्लॉग की तीसरे वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई 💐💐 आपके सृजन और ब्लॉग को सदैव इसी तरह अपार सफलता व लोकप्रियता मिलती रहे यहीं मंगलकामना करती हूँ । बहुत बहुत बधाई आपको💐💐
प्रिय मीना जी, मेरी सफलता आप लोगों का अतुल्य स्नेह है। हार्दिक आभार आपकी शुभकामनाओं के लिए 🙏🙏🌹🙏🙏
हटाएंब्लॉग की तीसरी सालगिरह, शतक पूर्ण करती आपकी
जवाब देंहटाएंसुंदर,विविधापूर्ण,संदेशात्मक रचनाओं के लिए बहुत बहुत बधाई ए्वं शुभकामनाएं रेणु बहन।
आपकी लेखनी सदा यूं ही निरन्तर चलती रहे।
आपको भी गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
शानदार गुरु वंदना ।
बहुत बहुत बधाई रेणु बहन त्रिआयामी शानदार सफलता के लिए।
प्रिय कुसुम बहन आपकी शुभकामनायें और सहयोग अनमोल है। हार्दिक आभार आपकी उपस्थिति और आशीर्वचनों के लिए
हटाएं🙏🙏🌹🙏🙏
रचनाओं का शतक इतने शुभ दिल ... एक लाजवाब, सुन्दर, पावस,अनुपम, मस्तक नत कर देने वाली रचना के साथ ... आनंद आ गया ...
जवाब देंहटाएंगुरु बिन गत नहीं ये तो सत्य है और ये परंपरा शायद भारत वर्ष में ही है जो गुरु को इतना मान देती है ... आपको पुनः बधाई ब्लॉग वर्षगाँठ की ...
आपकी उपस्थिति से मन को अपार हर्ष हुआ दिगम्बर जी। और इस शतक में आप जैसे सहृदयी विद्वानों का अहम सहयोग अविस्मरणीय है। हार्दिक आभार आपका 🙏🙏
हटाएंअभी मिला, बहुत सुन्दर, शतक पूर्ण, सहस्र की कामना के साथ बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंआपका मेरे ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है आदरणीय दीदी 🙏🙏 आपको लेख पसंद आया , अच्छा लगा जिसे लिए हार्दिक आभार। 🙏🙏🌹🙏🙏
हटाएंसुंदर गुरु स्तुति
जवाब देंहटाएंसादर आभार दीदी |
हटाएंआदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंआपका मेरे ब्लॉग पर आना और मेरी कविता "एक शिक्षिका की दृष्टि से"पर इतनी प्यार भरी प्रतिक्रिया देने का बहुत बहुत आभार।
आपका स्नेह और आशीष मेरे लिए अमूल्य है।
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ। इस गुरु स्तुति ने हृदय को छू लिया। बहुत ही प्यारी सी वंदना है।
आज मैं ने अपनी नई कविता "अहिल्या" ब्लॉग पर डाली है। कृपया पढ़ कर अपनी प्रतिक्रिया दें। मविन आपके प्रोत्साहन की आभारी रहूंगी। धन्यवाद।
प्रिय अनंता , सबसे पहले आपका हार्दिक स्वागत है मेरे ब्लॉग पर | आपको रचना पसंद आई बहुत अच्छा लगा | आपकी बहुत अनमोल रचना ' अहिल्या ' मैंने उसी समय पढ़ ली , जब आपने उसे पोस्ट किया था पर इतनी महत्वपूर्ण रचना पर मैं आराम से लिखना चाहती थी , पर मुझे कुछ ज्यादा ही समय लग गया जिसका मुझे खेद है || आपकी ये बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना सराहना से परे और बहुत महत्वपूर्ण है | आप जैसी छात्रा रचियता हो तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है | ब्लॉग पर आने के और बहुमूल्य अंकित करने के लिए आपका सस्नेह आभार और प्यार |
हटाएंhttps://kavyatarangini.blogspot.com/2020/07/blog-post_12.html
जवाब देंहटाएंअपनी ब्लॉग की लिंक डाल दी हूँ।
पगली , मैंने तुम्हारे ब्लॉग को फ़ॉलो किया हुआ है सो लिंक भेजने की जरूरत नहीं | मैं खुद ही आती रहूंगी | हार्दिक स्नेह |
हटाएंगुरु के लिए बताए गए आपके वहां व्याख्यान अतुलनीय और अकल्पनीय है। जिस तरह से समुंदर की गहराई को मापा नहीं जा सकता उसी प्रकार एक कवि की सोच की गहराई को भी मापा नहीं जा सकता। आप प्रशंसा की पात्र हैं। आपका बहुत-बहुत अभिनंदन। आदर सहित आपका अपना योगेश।
जवाब देंहटाएंप्रिय योगेश भइया , सबसे पहले मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है | आप स्वयम आत्मबोधी और आत्मज्ञानी हैं | आपने रचना के मर्म को पहचाना , मेरे लिए बहुत बड़ी बात है | सस्नेह आभार आपकी स्नेहिल उपस्थिति और सार्थक प्रतिक्रिया के लिए |
हटाएंबहुत अच्छी गुरु वंदना रची है रेणु जी आपने | सच्चे गुरु की वंदना तो स्वयमेव ही एक वंदनीय कृत्य है | हमारे शास्त्र एवं संस्कृति गुरु को सर्वोच्च स्थान देते हैं | माता-पिता के उपरांत यदि कोई आदरणीय है तो वह गुरु ही है | संस्कृत में तो सहस्रों वर्ष प्राचीन अजर-अमर गुरु वंदना है जिसका प्रथम श्लोक अनेक बार अनेक स्थलों पर उद्धृत किया जाता है - गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
जवाब देंहटाएंआपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार जितेन्द्र जी | गुरु वंदना भारतीय संस्कृति का सनातन संस्कार है | गुरुदेव की महिमा बढाते आपके अनमोल शब्द मेरे ब्लॉग के लिए अनमोल हैं | आप जैसे गम्भीर विद्वान पाठक के आने से मेरे ब्लॉग का महत्व बढ़ गया है | पुनः आभार |
हटाएंअच्छे को बेहतरीन बनाने की कला गुरु ही जाने है।
जवाब देंहटाएंउम्दा।
सही कहा आपने प्रिय रोहित | सस्नेह आभार आपकी अनमोल प्रतिक्रिया का |
हटाएंगुरुरेव साक्षात परब्रह्म ।
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार प्रिय अमृता जी ❤❤🙏🌹🌹
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 18 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका प्रिय दीदी 🙏🙏
हटाएंजिसकी गुरुओं पर अपार श्रद्धा हो उसे स्वयं ही आशीर्वाद मिल जाता है । सुंदर रचना , प्रार्थना ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका प्रिय दीदी 💐💐🙏🙏
हटाएंगुरु कृपा आप पर बनी हुई है रेणुबाला जी और आगे भी बनी रहेगी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाओं के शतक के लिए आपको बधाई !
हमारी भगवान से प्रार्थना है कि आप जल्द ही रचनाओं के संसार की सचिन तेंदुलकर बनें !
आदरणीय गोपेश जी ,आपका आशीष मिला जो अनमोल है। हार्दिक शुभकामनाएं और आभार आपका।
हटाएंसहजो ने नित गुरुगुण गाया ,
जवाब देंहटाएंमीरा ने गोविन्द को पाया ,
रत्नाकर बन गये बाल्मीकि
ये गुरुकृपा है कमाल गुरुवर !
सच बिन गुरु ज्ञान नहीं मिलता। बेहतरीन रचना सखी।
हार्दिक आभार आपका प्रिय अनुराधा जी🙏🙏
हटाएंवेदवाणी के प्रणेता तुम ,
जवाब देंहटाएंमानवता के सुघढ अध्येता तुम ;
साकार रूप परमब्रहम के
करो दया, होऊं निहाल गुरुवर ... गुरु के सम्मान में रचित सुंदर रचना।बहुत शुभकामनाएं 💐
हार्दिक आभार प्रिय जिज्ञासा जी 🙏🌷🌷❤️💐
हटाएंगुरु के प्रति सम्मान-प्रदर्शन का अप्रतिम स्वरूप देखने को मिला आपकी इस कविता में रेणु जी! नहीं समझ पा रहा कि इसकी प्रशंसा में क्या शब्द दूँ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर , ब्लॉग पर आपका आना , मेरे लिए आपका अमूल्य आशीष है | आपका हार्दिक आभार |
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