*************विश्व जल दिवस पर ********
***प्रार्थना हर उस नदी के लिए जो अपने क्षेत्र की गंगा है***
[ लघु कविता -मेरे ब्लॉग मीमांसा से ]
'पावन , निर्मल प्रेम सदा ही -- रहा शक्ति मानवता की , जग में ये नीड़ अनोखा है - जहाँ जगह नहीं मलिनता की ;; मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
***प्रार्थना हर उस नदी के लिए जो अपने क्षेत्र की गंगा है***
[ लघु कविता -मेरे ब्लॉग मीमांसा से ]
आज कविता सोई रहने दो, मन के मीत मेरे ! आज नहीं जगने को आतुर सोये उमड़े गीत मेरे ! ना जाने क्या बात है जो ये मन विचलित हुआ जाता है ! अना...
हों प्रवाह सदा अमर तेरे ,
बहना अविराम , न होना क्लांत ;
कल्याणकारी ,सृजनहारी तुम
रहना शांत ,ना होना आक्रांत ,!!... वाह !रेणु जी,नदी को आशीर्वाद भी दिया और लगे हाथ वरदान भी मांग लिया, भावभीने शब्दों की सुंदर चित्रमाला सी दिखती,कलकल करती नदी और उसके समक्ष प्रार्थना करतीं आप ,सुंदर रचना ,सादर शुभकामनाएं ।
आपकी आत्मीयता भरी, मधुर प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार जिज्ञासा जी ❤❤🙏🌹🌹
हटाएंआदरणीया मैम, अत्यंत सुंदर प्यारी सिर रचना। नदी तो हम सब की माँ है और युगों से मानव सभ्यता की पोषक रही है। नदी से आपकी यह प्रार्थना बहुत प्यारी और भावपूर्ण है। इसे किसी विद्यालय की पाठ्यपुस्तक में छपवाने का प्रयास कीजिये, मैं तो इस बात से ही उत्साहित हो जाती हूँ कि जब स्कूल के बच्चे आपकी कविता पढ़ेंगे तो कितने आनंदित होंगे। आपकी सभी बाल कविताएँ उनका प्रिय पाठ बन जाएँगी। सुंदर रचना के लिए हार्दिक आभार व आपको प्रणाम।
जवाब देंहटाएंप्रिय अनन्ता, ये तुम्हारा स्नेह है बस। तुम्हें मासी की हर बात प्रिय है। बहुत- बहुत प्यार और शुभकामनाएं तुम्हारे इस अतुलनीय स्नेह के लिए🌹🌹 ❤❤
हटाएंसुंदर कविता है आपकी रेणु जी - आबालवृद्ध सभी के लिए - मनमोहक भी, प्रेरक भी ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार और अभिनंदन जितेंद्र जी 🙏🙏💐💐
हटाएंबेहद पावन,गंगा जैसी अमृततुल्य शुभ प्रार्थना रची है दी आपने।
जवाब देंहटाएं----
आपकी रचना पढ़कर उठे प्रश्न हैं जो मन में लिख रही हूँ
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कैसे रहेंगी नदियाँ जल से भरी
हमने मलिन किये पवित्र निर्झरी
अपने स्वार्थ में पाटते तटबंधों को
फिर कैसे सिर्फ़ प्रार्थनाओं से खिलेगी
धरती की हर गली हरी-भरी?
सच है प्रिय श्वेता, तुम्हारी अनमोल काव्यात्मक टिप्पणी में गूंथा प्रश्न आज की भयावह स्थितियों को देखते हुए स्वाभाविक है। बहुत बहुत आभार स्नेहिल उपस्थिति और सटीक प्रतिक्रिया के लिए🌹🌹🙏 ❤❤
हटाएंनदिया ! तू रहना जल से भरी
जवाब देंहटाएंसृष्टि को रखना हरी -भरी ,
झूमे हरियाले तरुवर तेरे तट
तेरी ममता की रहे छाँव गहरी!!बेहद खूबसूरत रचना सखी 👌👌👌👌
प्रिय अनुराधा जी, हार्दिक आभार और अभिनंदन आपकी भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए🌹🌹🙏 ❤❤
हटाएंचित्र अद्भूत।
जवाब देंहटाएंकविता बहुत ही सुंदर। मेरे नाना जी स्नान करते हुए कहते रहते थे "जळ मिल्या तो सब मिल्या
जळ मिल्या तो रब मिल्या"
वैसे सरस्वती नदी लुप्तप्राय हो गई है।
प्रिय रोहित, बहुत बहुत आभार आपका इस सुंदर प्रतिक्रिया के लिए। ये चित्र सरस्वती उदगम स्थल काठगढ जिला यमुनानगर हरियाणा का है जहाँ हम सपरिवार पिछले साल ( मार्च 2020) मेंं गए थे। इस स्थान की खुदाई सैटलाइट चित्र के अनुसार की गयी थी। और बाबा जी सही कहते थे,कि------ जळ मिल्या तो सब मिल्या जळ मिल्या तो रब मिल्या ------
हटाएंजीवन का शाश्वत सत्य है कि मानव खाने के बिना बहुत दिन रह सकता है, जल के बिना कुछ घंटे भी नहीं। । सरस्वती विलुप्त है तभी तो उसकी खोज जारी है। उसी के लिए कोशिशें जारी हैं। ज्यादा तो पता नहीं पर अभी तो उदगम् स्थल पर ये ही कुंड है । स्नेह के साथ 💐💐🙏💐''
आपकी पवित्रतम प्रार्थना में हम भी हृदय से सम्मिलित हैं । अति सुन्दर भाव एवं सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय अमृता जी 🌹🌹🙏❤❤
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर सरस रचना |
जवाब देंहटाएंसुस्वागतम और हार्दिक आभार और अभिनंदनम आदरणीय आलोक जी🙏🙏 💐💐🎂
हटाएंहों प्रवाह सदा अमर तेरे ,
जवाब देंहटाएंबहना अविराम , न होना क्लांत ;
कल्याणकारी ,सृजनहारी तुम
रहना शांत ,ना होना आक्रांत ,!!---बहुत ही अच्छी रचना और गहरे भाव समेटे हुए। आज की आवश्यकता है नदी और पानी। बधाई रेणु जी
प्रिय संदीप जी , हार्दिक आभार आपकी सार्थक प्रतिक्रिया का |
हटाएंहों प्रवाह सदा अमर तेरे ,
जवाब देंहटाएंबहना अविराम , न होना क्लांत ;
कल्याणकारी ,सृजनहारी तुम
रहना शांत ,ना होना आक्रांत ,!!
बहुत सुंदर सृजन सखी,जीवनदायनी नदी का ये गान अद्भुत है
सखी तुम्हारी रचना मेरे रीडिंग लिस्ट में नहीं आ रही,पता नहीं क्या दिक्क्त है। वो तो आज तुम्हारी एक पुरानी रचना पढ़ने के लिए तुम्हारे ब्लॉग पर आई तो देख पाई कि -मैं तो अपनी ही सखी के कविता का आनंद उठाने से वंचित रह गई,कुछ सामाधान हो तो बताना।
प्रिय कामिनी , बहुत बहुत आभार सखी | मुझे पता था तुम पढ़ ही लोगी कभी न कभी | जब से नया ब्लॉगर आया है तब से रीडिंग लिस्ट में ब्लॉग के ना आने के ढेरों मामले हैं सखी | मैं तो अब इमेल से फ़ॉलो कर लेती हूँ या फिर अन फ़ॉलो करके दुबारा फ़ॉलो करके देख लो |तुमने पुरानी रचना पढ़ी ये मेरा सौभाग्य है |
हटाएंहमेशा की तरह भावों व शब्दों का सौंदर्य बिखेरती रचना मुग्ध करती है। सार्थक सृजन - - साधुवाद सह।
जवाब देंहटाएंसादर आभार और अभिनंदन शांतनु जी🙏🙏 💐💐
हटाएंवाह, सुंदर सृजन। सरल शब्दों में भावपूर्ण कविता।
जवाब देंहटाएंहिमकर जी, ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है। रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार 🙏🙏💐💐
हटाएंवाह!!! ऋग्वेद में नदियों की की गयी स्तुति की प्रतिध्वनि सुनायी देती है। बधाई आऊर आभार!!!
जवाब देंहटाएंमनोबल बढाती प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार आदरणीय विश्वमोहन जी 🙏🙏💐💐
हटाएंदेना मछली को घर नदिया ,
जवाब देंहटाएंप्यासे ना रहे नभचर नदिया ;
अन्नपूर्णा बन - खेतों को
अन्न - धन से देना भर नदिया !
हों प्रवाह सदा अमर तेरे ,
बहना अविराम , न होना क्लांत ;
कल्याणकारी ,सृजनहारी तुम
रहना शांत ,ना होना आक्रांत ,!!
बहुत सुंदर सृजन नदी पर...
बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
सादर, सस्नेह आभार वर्षा जी❤❤🙏 🌹🌹
हटाएंजल है तो जीवन है । बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंनदियों से इस प्रार्थना में हर मनुष्य को शामिल होना चाहिए ।
लेकिन मनुष्य ही तो स्वार्थवश नदियों को दूषित करता आया है ।
संदेश वाहक रचना ।
तुम भी नदी की तरह
बस यूं ही बहती रहना
अपने निर्झर शब्दों से
कविताएँ रचती रहना ।
होली की शुभकामनाएँ ।
सस्नेह
प्रिय दीदी, आपके स्नेहिल उद्गारों से अभिभूत हूँ। आपका स्नेह मिला बहुत खुश हूँ। आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं ❤❤🙏🌹🌹
हटाएंहर क्षेत्र की अपनी अपनी गंगा ...
जवाब देंहटाएंसच ही लिखा है ... जीवन दाई, प्रवाहमय, सरल जिनके प्रवाह से जीवन चालित होता है ...
पुन्य, सलिल, पावस हर नदी के हुस्न को बखूबी लिखा है आपने ...
आदरणीय दिगम्बर जी, ब्लॉग पर आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार और अभिनंदन आपका 🙏🙏💐💐
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जवाब देंहटाएंपुण्य तट तू सरस , सलिल ,
जन कल्याणी अमृतधार -निर्मल ;
संस्कृतियों की पोषक तुम -
तू ही सोमरस -पावन गंगाजल ,,,,,,, बहुत सुंदर रचना नदी पर जल ही जीवन है इन्हें साफ़ बनाए रखना हमारी ज़िम्मेदारी है,आपके लेखन को नमन आदरणीया शुभकामनाएँ ।
आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार मधुलिका जी |हार्दिक अभिनन्दन और शुभकामनाएं|
हटाएंसंदेश देतीं बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ
हार्दिक आभार और अभिनन्दन प्रिय पम्मी जी |
जवाब देंहटाएंनदी के प्रति मुझे विशेष आकर्षण है अौर आपकी इस कविता से तो मानो कलकल छलछल बहती नदिया का दृश्य मेरी आँखों के आगे साकार ही हो गया। अभिनव शब्दों में नदी माता से की गई यह प्रार्थना बहुत सुंदर है।
जवाब देंहटाएंआपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए `हार्दिक आभार प्रिय मीना |
हटाएंसुंदर संदेश देती हुई रचना, जल ही जीवन है, अति उत्तम ,
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार, शुक्रिया प्रिय ज्योति जी 🙏🌹🌹💕💕
हटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन..सांस्कृतिक ऐतिहासिक एवं भौगोलिक परिपेक्ष्य में नदियों का महत्व हम सभी जानते हैं..आपने कविता के द्वारा प्रेरक संदेश दिया है..
जवाब देंहटाएंआपकी स्नेहिल और प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ प्रिय अर्पिता जी🙏 🌹❤❤🌹
हटाएंदेना मछली को घर नदिया ,
जवाब देंहटाएंप्यासे ना रहे नभचर नदिया ;
अन्नपूर्णा बन - खेतों को
अन्न - धन से देना भर नदिया !
नदी के महत्व को बताती बहुत ही लाजवाब कृति सखी ! मैं भी पढ़ने से वंचित रह गयी अभी तक ....। ये ब्लॉग की समस्याओं का समाधान भी सीखना पड़ेगा। अब बच्चों से मदद लेनी पड़ेगी मुझे तो...वरना मेरी पसंदीदा रचनाएं यूँ ही छूटती रहेंगी...
हमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब एवं मनभावन सृजन।
प्रिय सुधा जी, आपको रचना पसंद आईं लिखना सार्थक हुआ। सखी, आप बच्चों से तकनीकी चीजें जरूर सीखें क्योंकि कई बार बच्चे किसी वजह से दूर होते हैं तो किसी दिक्कत से बच सकते हैं। आप चाहें तो मेल द्वारा ब्लॉग से जुड़ सकती हैं। आपकी प्रतिक्रिया से ही मेरी रचना पूर्णता प्राप्त करती है। कोटि आभार आपके स्नेह भरे शब्दों का,,,,,🙏💐💐🌷💐
हटाएंखूबसूरत अनुरोध !
जवाब देंहटाएंसादर आभार सतीश जी |
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