मां सरस्वती को नमन करते हुए ,मेरे सभी स्नेही पाठवृंद को मेरा सादर और सप्रेम अभिवादन। आप सभी के साथ, अपनी पहली पुस्तक ' समय साक्षी रहना तुम ' के प्रकाशन का, सुखद सामाचार साझा करते हुए अत्यंत खुशी हो रही है। आप सभी के सहयोग और प्रोत्साहन से ही इस काव्य-संग्रह का प्रकाशन संभव हो सका है, जिसके लिए आप सभी का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। शब्द नगरी से शुरू होने वाली मेरी रचना-यात्रा कभी पुस्तक प्रकाशन तक पहुंच पायेगी, ये सोचा नहीं था। उन सभी सहयोगियों को धन्यवाद कहना चाहूंगी , जिन्होने बारम्बार पुस्तक प्रकाशित करवाने की प्रेरणा दी ।आदरणीय सरोज दहिया जी को विशेष आभार जिन्होने अपने कुशल संपादन में, काव्य संग्रह की त्रुटियों को सुधारने में स्नेहिल योगदान दिया।अंत में, आदरणीय विश्वमोहन जी को हृदय से प्रणाम करती हूं, उन्होंने अपनी यशस्वी लेखनी से मेरी साधारण-सी पुस्तक की भावपूर्ण भूमिका लिखकर इसे असाधारण बना दिया। इसके लिए उनकी सदैव कृतज्ञ रहूंगी।
आशा है मेरे ब्लॉग की तरह ही इस पुस्तक को भी आप सभी का स्नेह प्राप्त होगा। आप सभी को पुनः आभार और प्रणाम 🙏🙏
बधाई रेणुबाला !
जवाब देंहटाएंसाहित्य के आकाश में एक नव-तारिका के पदार्पण का स्वागत है. भगवान से प्रार्थना है कि तुम्हारे काव्य-संग्रह को सुधी पाठकगण का भरपूर प्यार मिले.
आदरणीय गोपेश जी, आपके आशीष से अभिभूत हूं। आपकी स्नेहिल उपस्थिति के लिए हार्दिक आभार और प्रणाम 🙏🙏
हटाएंबहुत बहुत बधाई रेणु जी ! आपका काव्य संग्रह लोकप्रियता के नव आयाम स्थापित करे । हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय मीना जी। आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन 🙏🙏🌷🌷
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १० दिसंबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत-बहुत आभार प्रिय श्वेता। और पांच लिंक के लिए विशेष आभार🙏🙏
हटाएंबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं रेणु जी! आप हमेशा यूँ ही सफलता के सौपान चढ़ती रहें।
जवाब देंहटाएं💐💐💐💐🌹🌹🌹❤️❤️❤️
आपका साथ भी यूं ही बना रहे सुधा जी। कोटि आभार आपका 🙏🌷🌷🌷
हटाएंयह पुस्तक बहुप्रतीक्षित थी। आपको असंख्य बधाइयां एवं शुभकामनाएं माननीया रेणु जी। यह उपलब्धि निश्चय ही असाधारण है।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार जितेन्द्र जी। आपकी उपस्थिति से बहुत खुशी हुई 🙏🙏
हटाएंमानवीय भावनाओं से सिंचित इस कविता कोष को हम पाठकों तक उपलब्ध कराया है आपने दीदी। क्योंकि मानव मस्तिष्क का खाद्य तो ऐसे ही साहित्य होते हैं, जो मन को छू लें।सचमुच बहुत ही निश्छल, सरल एवं प्रभावशाली शब्दों में मन को गुदगुदाने वाला यह काव्य संग्रह है। रचनाएँ कुछ ऐसी हैं, जो हम पाठकों के भी निजी जीवन से जुड़ी हैं।
जवाब देंहटाएंऔर एक बात ... निश्चित ही समय साक्षी होगा, जब इस पुस्तक का सही मूल्यांकन भी होगा।
रेणु दीदी को बहुत सारी शुभकामनाएँ, हम पाठकों को यह अमूल्य उपहार देने के लिए।🌹🙏
*****
साथ ही मेरी इस टिप्पणी को अपनी पुस्तक में स्थान देने के लिए धन्यवाद भी देना चाहूँगा।👉
अपने शब्दों में कहूं तो, सरल,सहज,सुंदर,बंधन मुक्त, कहीं मानव संवेदनाओं को जगती, तो कहीं इठलाती-खिलखिलाती अद्भुत रचनाओं का संगम है आपका यह 'काव्य संग्रह',जो आम पाठकों को भी अपनी ओर आकृष्ट करने में समर्थ है। 'गुरु वंदना' जहां उस विराट शाश्वत को नमन है, जिसकी कृपा से दुखदैन्य रहित हो मनुष्य अपने जीवन में गरिमा, शिवता और पूर्णता प्राप्त करता है,वहीं 'मेरा गांव', 'माँ अब समझी हूँ प्यार तुम्हारा ', 'स्मृति शेष पिता जी' जैसे सृजन एक चलचित्र की भांति पाठकों के स्मृति पटल पर कुछ इसप्रकार से हलचल उत्पन्न कर रहे हैं,जैसे ये कविताएँ उसकी अपनी हो।' बुद्ध की यशोधरा' में अंतर्जगत के सत्य से बहिर्जगत के सत्य का सामंजस्य बैठाने का प्रयत्न किया गया है, जो हमारी दृष्टि को विस्तार दे रही है।
सत्य तो यही है कि साहित्य की सृष्टि कुछ इसतरह से होनी ही चाहिए जो समाज को कटुता एवं कृत्रिमता की जगह सच्ची सुगंध से भर दे। जिसमें संवेदनाएं हो, सहानुभूति हो,जो सद्भाव का संचार करती एवं मनुष्यत्व को जगाती हो।
समाज का पथ प्रदर्शन करते आपके इस अनमोल धरोहर को सादर नमन रेणु दीदी।🌹
व्याकुल पथिक
शशि भईया, आपने पुस्तक को प्राय त्रुटिहीन बनाने में जो सहयोग दिया उसके लिए सदैव कृतज्ञ रहूंगी। और आपकी टिप्पणी शुभकामना के रूप में पुस्तक में अंकित रहेगी। आपसे निवेदन है आप भी ब्लॉग पर वापसी की कोशिश करे। हार्दिक बधाई आभार आपकी स्नेहिल उपस्थिति का 🙏
हटाएंमुझे क्षितिज से सूचना मिली और मीनाजी ने भी बताया कि उनको पुस्तक मिल गई है। मैंने मीनाजी से विनती की है कि वे आपकी कीमत डाक खर्च सहित भेज दें। मैं इसी महीने करीब 25 को,उनके पास जा रहा हूँ ।उन्हें पेमेंट देकर पुस्तक ले आउँगा। उम्मीद है कि अधिकतर रचनाएँ शब्द या ब्लॉग पर पढ़ी हुई होंगी फिर भी एक बार पुस्तक में पढ़कर ही राय देने का मन है।
जवाब देंहटाएंसादर।
अयंगर
आदरणीय अयंगर जी, आपको और मीनाजी को पुस्तक भिजवा दीगई है। आशा है पुस्तक आपको पसंद आयेगी। आपका अनुमान सही है। क्षितिज की चुनींदा रचनाएँ हैं , साथ में पांच-छह रचनाएँ एकदम नई हैं। आपकी राय की प्रतीक्षा रहेंगी। हार्दिक आभार आपके आत्मीय उद्गारों का 🙏🙏
हटाएंइतनी प्रतीक्षा के बाद आपकी पुस्तक के बारे में सुखद समाचार मिला ... आपको बहुत बहुत बधाई और ढेरों शुभकामनायें ... अब तो उत्सिकता भी जाग गई है ... आपकी रचनाएं और उनकी संवेदनशीलता पाठक को सहज ही बाँध लेती है ... किताब मंगाने का लिंक मिल गया ...
जवाब देंहटाएंआपको पुनः पुनः बहुत बहुत बधाई ...
आदरणीय दिगम्बर जी, ब्लॉग जगत में आपकी और अयंगर जी की सदैव आपकी सदैव आभारी रहूंगी, जिन्होंने पुस्तक में बहुत रुचि दिखाई। आपकी पुस्तक भिजवा दी गई है। ईश्वर ने चाहा तो कल या परसों तक पहुंच जाएगी। पुनः आभार और अभिनंदन 🙏🙏
हटाएंबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं सखी, तुम यूं ही सफलता के शिखर पर चढ़ती जाओ, मां सरस्वती तुम पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें, ढ़ेर सारा स्नेह तुम्हें
जवाब देंहटाएंप्रिय कामिनी, तुम्हारे स्नेह और सहयोग की सदैव आंकाक्षी रहूंगी सखी।
हटाएंसाहित्य जगत
जवाब देंहटाएंपता नहीं कब से
ये प्रतीक्षा में था..
दृष्टि उसकी
क्षितिज की ओर
टकटकी लगाए
निहारती कि
अब आई
निकल तो पड़ी है
अचानक दिव्या पैकेट
लेकर आई...
खोली तो सखी दिखी..
दिल बाग-बाग हो गया
शाब्बाश...
बधाई और शुभकामनाएं
सादर..
पुनःश्च- दिव्या मुम्बई छोड़ आई
कुछ दिनों में दिखाई पड़ेगी..
सादर..
आपकी स्नेहिल उपस्थिति और आत्मीय उद्गारोंसे से क्षितिज धन्य हुआ प्रिय दीदी। आपके स्नेह की छांव में पनपी हैं पुस्तक की ज्यादातर रचनाएँ। प्रिय दिव्या का हार्दिक अभिनन्दन है। मन के मौजी लोगों को मुंबई कब रास आई है? पुनः आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन 🙏🙏🌷🌷
हटाएंशब्द नगरी से शुरू होने वाली आपकी ये रचना-यात्रा कभी पुस्तक प्रकाशन तक पहुंच पायेगी, ये सोचा नहीं था
जवाब देंहटाएंदेर हुई पर दुरूस्त हुई
शुभकामनाएँ..
सादर..
बड़े भईया, आपके आशीष के लिए हार्दिक आभार और प्रणाम। आपके आने से अपार हर्ष हुआ 🙏🙏
हटाएंहार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनाएँ आदरणीय रेणु दी जी साहित्य जगत में आप बुलंदियों को छुए। देरी से आने के लिए माफ़ी चाहती हूँ।
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत सारा स्नेह
प्रिय अनीता, हार्दिक आभार तुम्हारी शुभकामनाओं के लिए। तुम्हारे स्नेह के लिए विशेष आभार और स्नेह तुम्हें 🌷🌷🙏🌷🌷
हटाएंप्रिय रेणु ,
जवाब देंहटाएंप्रथम काव्य संग्रह के लिए हार्दिक बधाई । मैंने तुमको बहुत अधिक तो नहीं पढ़ा है फिर भी जितना पढ़ा है उसके आधार पर कह सकती हूँ कि भाषा पर तुम्हारी ज़बरदस्त पकड़ है । तुकांत रचनाएँ पाठकों का मन जीत लेती हैं । हर विषय पर तुमने अपने भावों को अभिव्यक्त किया है । तुम्हारी साहित्य यात्रा सतत चलती रहे यही कामना है ।
प्रथम पुस्तक के लिए पुनः बधाई ।
सस्नेह
प्रिय दीदी, आपका क्षितिज पर आना और पढ़ना दोनों मेरा सौभाग्य है। आपने जितना भी पढ़ा आत्मा से पढ़ा है। उसके लिए आपका हार्दिक आभार। आपके स्नेह की छांव छांव सदैव मिलती रहे यही कामना और दुआ है 🙏🙏🌷🌷
हटाएंरेणुबाला दी,ईश्वर से प्रार्थना है कि आपके इस काव्यसंग्रह को पाठकों का अपार स्नेह मिले और आप इसी तरह साहित्य में अपना योगदान देती रहे। बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रिय ज्योति जी, जिस स्नेह से आपने ब्लॉग पर सदैव उपस्थित हो कर अपना स्नेह शब्दों में अंकित किया है वह मेरे लिए अनमोल उपहार है। आपकी उपस्थिति के लिए हार्दिक आभार और अभिनंदन आपका 🙏🙏🌷🌷
हटाएंसमय साक्षी रहना' काव्यसंग्रह के लिए बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंप्रिय भारती जी, हार्दिक आभार और अभिनंदन आपका 🙏🙏🌷🌷
हटाएंपुस्तक के प्रकाशन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई!💐💐💐 क्या यह पुस्तक अमेजॉन,फ्लिपकार्ट पर भी मिल सकती है! मैं पुस्तक लेना चाहती हूं!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय मनीषा। ईश्वर ने चाहा तो पुस्तक तुम्हें जरूर मिलेगी। हार्दिक स्नेह और शुभकामनाएं 🌷🌷❤️❤️
हटाएंवसुंधरा और गगन के अनछुए स्पर्श-सा
जवाब देंहटाएंरेणु-रंजित क्षितिज छुता साहित्य के उत्कर्ष का।
🙏🙏🙏
आदरणीय विश्वमोहन जी, पुस्तक की भूमिका के रुप में आपके अतुलनीय योगदान की सदैव आभारी रहूंगी। आपके सहयोग ने पुस्तक को नई गरिमा प्रदान की है। कोटि आभार आपके इन अमूल्य उद्गारों का 🙏🙏
हटाएंआपकी लिखी कोई रचना सोमवार. 20 दिसंबर 2021 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
प्रिय दीदी , पांच लिंकों के साथ मेरे ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है आपका |
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर भ्रमण करते करते अचानक आपके ब्लॉग पर जाने का मन कर गया और यहां ब्लॉग पर आकर बहुत ही हर्ष हुआ कि आपने अपनी अपनी पुस्तक प्रकाशन की सूचना ब्लॉक पर डाली है, मुझे आने में देरी हुई जिसके लिए क्षमा करिएगा । मुझे भी आपकी पुस्तक मिली है, हाथ में लेते ही इसकी छवि मन को मोह गई ।मैं आपकी रचनाएं पढ़ रही हूं, बिल्कुल अपने से जुड़ी हुई, यथार्थ और सामाजिकता से ओतप्रोत । कई रचनाएं तो बार-बार पढ़ती हूं, समझने के लिए । कई प्रेरक और संदेश दे जाती है । कई रचनाEएं है जीवन से जुड़ी अपनी जैसी हैं, आप इसी तरह साहित्य का सृजन करती रहें और हमारे लिए नई पुस्तकों का संकलन संयोजन भी करती रहे, भविष्य में आपकी और पुस्तकें आएं और हम उसका रसास्वादन कर सके,मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई प्रिय सखी ❤️❤️💐💐
जवाब देंहटाएंप्रिय जिज्ञासा जी, आप जैसी सुदक्ष रचनाकार अपने आप में पूर्ण है | आपको पुस्तक पसंद आई मेरा सौभाग्य है | हार्दिक आभार इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए |
हटाएंबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय मनोज जी |
हटाएंबहुत बहुत बधाई रेणु जी !
जवाब देंहटाएंआपको ह्रदयतल से आभार अनीता जी |
हटाएंआपको ब्लॉग पर जब-तब पढ़ती रहती हूँ, बहुत अच्छा लगता है न जब हमारा लिखा किताब के रूप में हमारे हाथों में हों!
जवाब देंहटाएंपुस्तक प्रकाशन पर बहुत-बहुत हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं। आशा करते हैं आगे भी यह सिलसिला निरंतर चलता रहे।
सर्वप्रथम हार्दिक शुभकामनाएँ आपको इस स्वर्णिम उपलब्धि के लिए । आप जितनी अच्छी रचनाकार हैं उतनी ही अच्छी समालोचक भी हैं । प्रमाण स्वरूप सर्वत्र आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाएं हैं । आशा है कि आपकी लेखनी अन्य विधाओं को भी परिमार्जित करती रहे ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और अभिनंदन अमृता जी। सभी गुणी जनों के सानिध्य में बहुत कुछ सीखा है। पुनः आभार आपका 🙏🙏🌹🌹❤️❤️
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