![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiiDu1jA598GQNvtbSpYZqGnYUUOttvffLsA4VhtIzxtw8539UkQLodoZBlfRl6DvAGVCWaAwAGOH3aMvtYCC7uXXsfYWI7kLDY9W09BXpDh2bCfA5pacbEGtXLeFltfqqSuz712mGGffI/s200/BASANT.jpg)
डाल- डाल पे फिरे मंडराती
बनी उपवन की रानी तितली ,
हरेक फूल को चूमें जबरन
तू करती मनमानी तितली !
प्रतीक्षा में तेरी फूल ये सारे
राह में पलक बिछाते हैं ,
तेरे स्पर्श से आह्लादित हो
झूम - झूम लहराते हैं ,
पर मुड़ तू ना कभी लौटती
मरा तेरी आँख का पानी तितली !
खिले फूल की रसिया तू
रस चूसे और उड़ जाए ,
ढूंढ ले फिर से पुष्प नया इक
बिसरा देती फूल मुरझाये ,
इक डाल पे रात बिताये-दूजी पे
उगे तेरी भोर सुहानी तितली !!
स्वछंद घूमती,तू बंधती ना ,
कभी किसी भी बंधन में ,
निर्मोही , कुटिल और कामी तू !
है निष्ठुर और निर्मम मन से ,
क्या जाने तू मर्म प्यार का ?
जाने क्या प्रीत रूहानी तितली ! ?!बसाहट
जिन सुंदर पंखों पे इतराती तू
इक दिन सूख कर मुरझा जायेंगे ;
टूट- टूट अनायास फिर
संग हवा के उड़ जायेंगे ;
फूल की भांति हर शै मिट जाती
सुन ! ये दुनिया है फ़ानी तितली !!
चित्र --- पांच लिंक से साभार -----
रोचक लेखनी
जवाब देंहटाएंतु निर्मोही , कुटिल और कामी - है निष्टुर और निर्मम मन से ;
तु क्या जाने मर्म प्यार का ? जाने क्या प्रीत रूहानी तितली ! ?!
लिखते रहें....
सादर आभार आपका आदरणीय पुरुषोत्तम जी --
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर...
तितली की प्रतीक्षा करते फूल.... निर्मोही तितली प्यार ना जाने....
वाहवाह ....बहुत ही लाजवाब...
वाह!!!
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर...
तितली की प्रतीक्षा करते फूल.... निर्मोही तितली प्यार ना जाने....
वाहवाह ....बहुत ही लाजवाब...
सादर आभार -आदरणीय विभा जी |
हटाएंक्या बेटियों के पंख खुलने देना उन्हें अपने से दूर कर देना है?
जवाब देंहटाएंखुले पंख संस्कार का बोझ तो ढो ही नही सकते।।
आदरणीय आचार्य जी -- क्षमा चाहती हूँ कि आपने किस संदर्भ में ये बात कही -मैं समझ ना पाई | कृपया जरुर बताएं की आपका तात्पर्य क्या है |
हटाएंबहुत बहुत बहुत सुंदर आदरणिया अनुजा
जवाब देंहटाएंआदरणीय -- सादर आभार और नमन आपका |
हटाएंआपकी लिखी रचना सोमवारीय विषय विशेषांक "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 29 जनवरी 2018 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय यशोदा दी -- सादर आभार |
हटाएंआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २९ जनवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारी' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार', सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
प्रिय ध्रुव बहुत ही सही निर्णय है | इससे मंच का स्तर और भी अच्छा होगा |
हटाएंबहुत सुंदर लयबद्ध रचना रेणु जी...👌👌
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता जी-- सस्नेह आभार आपका |
हटाएंबहुत सुन्दर रचना आदरणीय रेनू दी । आज तितली पर कई सुन्दर रचनाएं पढने को मिलीं । समझ में नहीं आ रहा माज़रा क्या है । सब कोइ तितली पर क्योँ लिख रहा है ।सादर
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय अपर्णा --
हटाएंभावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय अयंगर जी --
हटाएंबहुत सुंदर मनमोहक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई
सस्नेह आभार --- प्रिय नीतू जी --
हटाएंवाह!सुंंदर ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार -- आदरणीय शुभा जी --
हटाएंबहुत सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार - पम्मी जी |
हटाएंसार्थक रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार -- आदरणीय ओंकार जी |
हटाएंवाहःह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
सादर आभार आदरणीय लोकेश जी |
हटाएंतितली के माध्यम से निर्मोही जनों को सीख देती यह रचना बहुत खूबसूरत लगी । सच तितली का फूलों से रिश्ता तो स्वार्थ का रिश्ता ही लगता है। जहाँ नया ताजा फूल मिला, वहीं चल पड़ी....
जवाब देंहटाएंआदरणीय मीना बहन - ख़ुशी हुई कि आपने रचना के मर्म को जाना | सस्नेह आभार !!!!!!
हटाएंnice mam
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय निधि जी |
हटाएंवाह रेणु बहन बहुत सुंदर सृजन तितलियों पर उनके रूप और दिनचर्या को बहुत सुंदरता से उकेरा है आपने ।
जवाब देंहटाएंअभिनव सृजन।
प्रिय कुसुम बहन , ये पुरानी रचना है | आज मन किया इसे शेयर करने का | आपने पढ़ी मुझे बहुत ख़ुशी हुई | सस्नेह आभार आपका |
हटाएंआदरणीया/आदरणीय आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-३ हेतु नामित की गयी है। )
जवाब देंहटाएं'बुधवार' २९ अप्रैल २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"
https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/04/blog-post_29.html
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टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
हार्दिक आभार प्रिय ध्रुव |
हटाएंबहुत ही सुन्दर कहा।
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