किसी हिन्दू की करना
ना मुसलमान की करना ,
बात जब भी करना-
बस हिदुस्तान की करना !!
न है वो किसी मस्जिद में -
ना बसता पत्थर की मूरत में ,
इसी जमीं पे रहता है वो -
बस इंसानों की सूरत में ;
अल्लाह , ईश्वर से जो मिलना -
तो कद्र हर इन्सान की करना !!
सरहद पे जो जवान -
हर जाति- धर्म से दूर था ,
सीने पे गोली खा गया-
अपने फ़र्ज से मजबूर था ;
किसी मजहब से जोड़ नाम -
तौहीन ना उसके बलिदान की करना!
बात जब भी करना
बस हिदुस्तान की करना !!
खलल मत डालना इनमे -
ये भाईचारे वतन के हैं ;
है सबका गिरिराज हिमालय -
सांझे धारे गंग -जमन के हैं ;
जो बाँटोगे इस सरजमीं को -
तो फ़िक्र अपने अंजाम की करना !!
बात जब भी करना
बस हिदुस्तान की करना !!!!!!!!!!!!!
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धन्यवाद शब्द नगरी --------- | |
रेणु जी बधाई हो!,
आपका लेख - (खलल मत डालना इनमे------ कविता -- ) आज के विशिष्ट लेखों में चयनित हुआ है | आप अपने लेख को आज शब्दनगरी के मुख्यपृष्ठ (www.shabd.in) पर पढ़ सकते हैं
|
शुभ संध्या सखी....
जवाब देंहटाएंहम तो सोच रहे थे मुश्किल विषय है
पर....
कविताकार हर शब्द पर लिख सकता है
सादर
आदरनीय दीदी -- आपके प्रेरक शब्द अनमोल हैं | सादर आभार |
हटाएंखलल मत डालना इनमे -
जवाब देंहटाएंये भाईचारे वतन के हैं ;
है सबका गिरिराज हिमालय -
सांझे धारे गंग -जमन के हैं ;....
आपकी संवेदनशील लेखनी और सिद्धहस्त लेखन को नमन है आदरणीय रेणु जी।
आदरणीय पुरुषोत्तम जी -- आपके शब्द मेरा मनोबल उंचा करते हैं | सहयोग के लिए सादर आभार आपका |
हटाएंबहुत ही प्रभावशाली तरीके से आपने खलल शब्द की सार्थकता अपनी रचना में कर डाली... बेहतरीन लिखा आपने।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंप्रिय अनु सस्नेह आभार आपका |
हटाएंसार्थक,प्रभावशाली,देशभक्ति की भावनाओं से छलकता एक उम्दा सृजन । बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रिय मीना बहन सादर आभार आपका |
हटाएंबात जब भी करना
जवाब देंहटाएंबस हिदुस्तान की करना !!!!!!!!!!!!!वाह नतमस्तक हूँ इन शब्दों के आगे . इनसे बढ़कर कुछ भी नहीं.
प्रिय सुधा जी --उत्साह बढाते शब्दों के लिए सस्नेह आभार --
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंआदरणीय लोकेश जी -- सादर आभार आपका |
हटाएंइस तरह का देश प्रेम ही हिंदुस्तान को दुनियां का सबसे अच्छा देश का दर्जा दिलाएगा
जवाब देंहटाएंआपकी रचना ने देश और समाज को एक संदेश दिया है
कमाल की अभिव्यक्ति
बधाई
आदरणीय सर -- आपके प्रेरक शब्दों से अभिभूत हूँ | सादर आभार और नमन आपको |
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १९ फरवरी २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
प्रिय श्वेता जी आपके सहयोग के लिए सस्नेह आभार आपका |
हटाएंअति सुंदर....लाजवाब
जवाब देंहटाएंउम्दा सृजन
प्रिय नीतू जी -सस्नेह आभार आपका
हटाएंवाह!!सुंंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय शुभा जी |
हटाएंशब्द छूते आकाश को नमन कलम को करता हूँ ।।
जवाब देंहटाएंआदरनीय भ्राता--- आपका सादर आभार और नमन |
हटाएंसरहद पे जो जवान -
जवाब देंहटाएंहर जाति- धर्म से दूर था ,
सीने पे गोली खा गया-
अपने फ़र्ज से मजबूर था ;
किसी मजहब से जोड़ नाम -
तौहीन ना उसके बलिदान की करना!
बात जब भी करना
बहुत ही लाजवाब रचना ...
बहुत बहुत बधाई रेणु जी इतने सुन्दर सृजन के लिए....
वाह!!!
आदरणीय शुधा दीदी आपके स्नेह की ऋणी हो गयी हूँ | आपके शब्द आभार से परे हैं |
हटाएंकाश हमारे राजनेता भी यही बोल बोलते।
जवाब देंहटाएंरेणु जी बहुत सुंदर रचना है आपकी।
प्रिय सलमान --आपने आकर मेरे ब्लॉग कोई शोभा बढाई और स्नेह भरे शब्द लिखे | मुझे बहुत ख़ुशी हुई | ये हम और आप जैसे आम लोगों की भाषा है प्रिय सलमान | राजनेताओं का धर्म वो जाने | आपने रचना के मर्म को समझा ये ही जरूरी है |
हटाएंआदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंसब से पहले तो इतने दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आ कर मन को बहुत शान्ति मिल रही है।
आपकी यह रचना बहुत ही सुंदर है और राष्ट्र की एकता का भाव बहुत ही प्यारा है। आपकी यह रचना आज के समय में बहुत प्रासंगिक है और हम सब को इस पर अम्ल करना चाहिए। कितने दुःख की बात है की जिस भारत को एकता में अनेकता का प्रतीक माना जाता है , कुछ तथाकथित लोग जो यहीं के निवासी हैं, इस एकता को ठेस पहुंचा क्र शत्रु-देशों का समर्थन करने लगे हैं।
इस कविता के माध्यम से हमें पुनः भारत माता की याद दिलाने के लिए हृदय से आभार और आपको सादर नमन।
आपको जान क्र ख़ुशी होगी की मैं अपने ब्लॉग पर लौट आयीं हूँ और एक नई रचना पोस्ट भी की है।
प्रिय अनंता , इस भावपूर्ण स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत - बहुत आभार | तुमने तो रचना का भाव ही स्पष्ट कर दिया वो भी बड़ी सटीकता से | तुम ब्लॉग पर लौट आई ये जानकार अच्छा लगा | खूब लिखो और आगे बढो | मेरा प्यार |
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