मेरी प्रिय मित्र मंडली

शनिवार, 31 मार्च 2018

जिस पहर से------कविता ---


जिस पहर से पढने 
 शहर गये हो  , 
 तन्हाईयों  से ये 
 घर आँगन भर गये  हैं  |

उदासियाँ   हर गयी है
 घर भर का  ताना - बाना
हर आहट पे तुम हो
अब ये भ्रम पुराना,
 जाने कहाँ वो किताबें तुम्हारी  
 बन  प्रश्न तुम्हारे-मेरे उत्तर गये  हैं ! 

 झाँकती गली में ,देखूँ
लौटे बच्चों की टोली,
याद आ जाती तब 
तुम्हारी सूरत सलोनी भोली,
तुम्हारा लौट आना  ,  
अतीत में   वो पहर गये हैं

 सजा लिया आँखों में
 नया सुहाना सपना,
चुन लिया है तुमने
 आकाश नया अपना,
 उड़ान है नई सी
 उगे  अब  पर  नये  हैं !

तन्हाई में रंग भरता 
तुम्हारा अतिथि बन आना ,
सजाता है पल को 
इस घर का  वीराना ,
खिल जाती है बहना 
 नैन ख़ुशी से  भर गये हैं 

चिड़िया  सी नहीं मैं  
 तुम्हें गगन  में उड़ा दूँ , 
 करूँ ना नम नयना  
 ख़ुशी से मुस्कुरा दूँ , 
 बहुत थामा दिल को
 बन नैन निर्झर    गये है

चित्र ---------गूगल से साभार
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33 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ० २ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' ० २ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय 'विश्वमोहन' जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।


    अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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    1. प्रिय ध्रुव -- आपका सहयोग अविस्मरनीय है | सस्नेह आभार |

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  2. हम तो पंछी ना बन पाए पर हमारे बच्चे पंछी बनने को मजबूर हो गए....पंख फूटते ही आसमान नापना उनकी महत्त्वाकांक्षा ही नहीं, वक्त का तकाजा भी है। बस उनकी जिंदगी सँवारने के लिए माता पिता ये तन्हाई के पल भी बर्दाश्त कर ही लेते हैं.....

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    1. प्रिय मीना बहन --सच कहा आपने | इसके सिवा कोई चारा नही | पर जब बच्चा घर को तन्हाइयों के हवाले हर जाता है तो माता पिता भावनात्मक पीड़ा से तो जरुर गुजरते है | पर अततः यही दुआ है वे जहाँ जाएँ सफल हों और खुश रहें | सस्नेह आभार |

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  3. बच्चे नयेपन और नयी उड़ान के लिए उत्साहित हैंं। माता - पिता अपने मन की उदासी छुपाने में लगे रहते हैं....बहुत ही शानदार लाजवाब अभिव्यक्ति....
    मां की भावनाओं का सुन्दर शब्दचित्रण...
    चिड़िया सी नहीं मैं -
    तुम्हे गगन में उड़ा दूँ
    ना नम नयना करूं
    ख़ुशी से मुस्कुरा दूँ
    बहुत थामा दिल को
    बन नैन निर्झर गये है
    वाह!!!

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    1. आदरणीय सुधा जी -- रचना का अंतर्निहित भाव पहचानने में आपका कोई सानी नहीं | रचना को आपके शब्द सार्थक कर देते हैं | आपके सहयोग के लिए सदा आभारी रहूंगी | नमन |

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  4. आपकी यह रचना अत्यंत ही हृदयविदारक और प्रभावी है। ढेरों शुभकामनाएँ।।।।।

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  5. बच्चों के प्रति माता का हरिदत हमेशा ही दोनों प्रकार की फीलिंग्स रखता है ... जहाँ उसको देख वो उत्साहित होते हैं वहीं कई बार उदासियों से भी घिर जाते हैं ...
    मन के भाव को सूक्ष्मता से पकड़ा है आपने और इस रचना के माध्यास से लिखा है ... सुन्दर रचना ...

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    1. आदरणीय दिगम्बर जी -- आपके शब्दों ने मेरी अधूरी बात को पूरा कर दिया | बच्चों की प्रगति हर माता - पिता का सुखद सपना होती है , पर उनके दूर जाने से जो उदासी घर में पसरती है वो बहुत मर्मान्तक होती है | फिर भी जीवन चलने का नाम है | आपने रचना के मर्म को पहचाना ये मेरी रचना की सार्थकता है | सादर आभार |

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  6. झांकती हूँ गली में-
    लौटे बच्चों की टोली,
    याद आ जाती तुम्हारी -
    सूरत सलोनी भोली
    तुम्हारा लौट आना -
    अतीत में वो पहर गये हैं

    बहुत सुंदर रचना

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    1. आदरणीय लोकेश जी -- आपका सहयोग मनोबल बढ़ाता है | सादर आभार आपका |

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ९ अप्रैल २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. प्रिय श्वेता ----- आपके सहयोग के लिए सस्नेह आभार |

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  8. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 11अप्रैल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!





    ......


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  9. वाह हृदय को छूते आपके शब्द लाजवाब सुंदर रचना

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    1. प्रिय आंचल जी -- सबसे पहले स्वागत है आपका ब्लॉग पर | रचना आपको पसंद आई मेरा लेखन सार्थक हुआ | सस्नेह आभार |

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  10. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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  11. प्रिय ध्रुव आपके सहयोग के लिए आभारी हूँ |

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  12. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (21-04-2017) को "बातों में है बात" (चर्चा अंक-2947) (चर्चा अंक-2941) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    उत्तर
    1. आदरणीय सर -- सबसे पहले मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक अभिनंदन आदरणीय आपके मंच से जुड़ने से बहुत ख़ुशी हो रही है | सादर आभार |

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  13. लिख करके आलेख को, अनुच्छेद में बाँट।
    हल्दी लगे न फिटकरी, कविता बने विराट।।

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    उत्तर
    1. आदरणीय गुरु जी -- आपके बेबाक शब्दों और मार्गदर्शन के लिए सादर आभार और नमन | आपके ब्लॉग के कई पोस्ट भी देखे हैं ज्ञान वर्धन के लिए |

      हटाएं
  14. कमाल की रचना !! लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीया ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय राजेश जी --आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आने से हार्दिक प्रसन्नता हुई | आपका स्वागत है |रचना पर आपके शब्द अनमोल हैं | हार्दिक आभार आपका | सादर --

      हटाएं
  15. उत्तर
    1. हार्दिक आभार और अभिनन्दन प्रिय नेहा जी |

      हटाएं

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