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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

तुम मिले कोहिनूर से -- कविता


58 टिप्‍पणियां:

  1. कांच सी दुनिया ये
    तुम मिले कोहिनूर से
    क्या दूं बदले में ?
    बस प्यार देती हूँ तुम्हे !!!

    बहुत ही भावपूर्ण रेणु दी।
    इस जीवन में काश! अपना भी कोई ऐसा होता।
    पास न होता, दूर ही सही..
    पर कोई अपना होता..!

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    उत्तर
    1. सस्नेह आभार प्रिय शशी भाई आपकी भावपूर्ण पंक्तियों के लिए |

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  2. वाहह्हह... वाहह्हह... क्या खूब..दी
    अति मनमोहक,समर्पित प्रेम के सुंदर भावयुक्त,मन छूती सराहनीय अभिव्यक्ति... बस वाहह्ह्ह👌👌👌

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    1. प्रिय श्वेता - आपकी इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार और प्यार |

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  3. भीगे एकांत में बरबस -
    पुकार लेती हूँ तुम्हे
    सौंप अपनी वेदना -
    सब भार दे देती हूँ तुम्हे !
    बेहतरीन लेखन शैली व उत्कृष्ट रचना। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया रेणु जी।

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  4. रेणु दी
    आपकी इस रचना को न जाने क्यों बार बार पढ़ने का मन हो रहा है। कितनी खूबसूरती से इसमें मन की वेदना को छिपाया गया है।

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  5. जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    21/04/2019 को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में......
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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    1. आपके सहयोग की आभारी हूँ प्रिय कुलदीप जी |

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  6. लाजवाब रेनु बहन।
    सादगी समर्पण और भीगे से अहसास लिये बहुत सुसुंदर रचना ।
    भाव बहुत ही कातर और हृदय स्पर्शी ।
    मन को छुती अछुती प्रस्तुति ।

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    1. प्रिय कुसुम बहन -- आपके स्नेह भरे शब्द मेरे लिए बहुत विशेष हैं | सस्नेह आभार और प्यार आपके लिए |

      हटाएं
  7. कांच सी दुनिया ये
    तुम मिले कोहिनूर से
    क्या दूं बदले में ?
    बस प्यार देती हूँ तुम्हे !!!
    .
    बहुत ही ख़ूबसूरत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. प्यार के समर्पण की बहुत ही सुंदर दिल को छूती रचना, रेणु दी।

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    1. प्रिय ज्योति जी -- आपके स्नेह भरे शब्दों के लिए आभारी हूँ | सस्नेह |

      हटाएं
  9. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (21-04-2019)"सज गई अमराईंयां" (चर्चा अंक-3312) को पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    - अनीता सैनी

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    1. प्रिय अनिता जी -- चर्चा मंच का हार्दिक शुक्रिया और आभार |

      हटाएं
  10. बिखर ना जाए कहीं
    रखना इसे संभाल के
    सुहानी हसरतों का
    हसीं संसार देती हूँ तुम्हे !
    वाह बहुत ही खूबसूरत रचना

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    1. प्रिय अनुराधा बहन -- हार्दिक आभार और शुक्रिया |

      हटाएं
  11. तुम डुबो दो या
    ले चलो साहिल पर इसे
    प्यार की कश्ती की
    पतवार देती हूँ तुम्हे !
    यही समर्पण तो प्यार है सखी ,क्या तारीफ करू, दिल के हर जज्बात को कोमल शब्दों का रूप दे दिया हैं तुमने तो ,बस लाजबाब ,स्नेह सखी

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    1. प्रिय कामिनी -- तुम्हारे शब्द मन को छू जाते हैं | सस्नेह आभार सखी |







      हटाएं
  12. भीगे एकांत में  बरबस -

    पुकार लेती हूँ  तुम्हे

     सौंप अपनी वेदना -

     सब भार दे देती हूँ तुम्हे !

    अति सुंदर अभिव्यक्ति रेणु जी।

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    1. प्रिय दीपा जी -- हार्दिक आभार और शुक्रिया सखी |

      हटाएं
  13. प्रिय रितु जी -- सस्नेह आभार और शुक्रिया |

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  14. जब -तब हो जाती हूँ विचलित
    कहीं खो ना दूँ तुम्हे
    क्या रहेगा जिन्दगी में
    जो हार देती हूँ तुम्हे !
    अथाह प्रेम में जहाँ अटूट विश्वास होता हैं वहीं दिल के एक कोने में गहन डर भी ....अपने प्रेम को खो जाने का डर.....खूबसूरत एहसासों एवं प्रेम की पराकाष्ठा से सुसज्जित बहुत ही लाजवाब रचना....
    वाह!!!

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    उत्तर
    1. प्रिय सुधा बहन -- रचना के मर्म को पहचानने और भावपूर्ण शब्दों के लिए सस्नेह आभार सखी |

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  15. उत्तर
    1. सादर आभार और सुस्वागतम आदरणीय ओंकार जी |

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  16. बहुत सुन्दर रेणु जी.
    कोहिनूर बहुमूल्य है किन्तु प्यार तो अनमोल है !

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    उत्तर
    1. आपने सच कहा आदरणीय गोपेश जी | सादर आभार आपके बहुमूल्य शब्दों का |

      हटाएं
  17. भीगे एकांत में बरबस -
    पुकार लेती हूँ तुम्हे
    सौंप अपनी वेदना -
    सब भार दे देती हूँ तुम्हे...
    ये कोहिनूर बहुत खुशकिस्मत लोगों को ही मिलता है रेणु बहन। रचना इतनी भावपूर्ण है कि बरबस आँखें नम हो गईं।

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    1. आपने सच कहा प्रिय मीना बहन |आपकी भावपूर्ण टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार |

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  18. प्रेम में प्यार जैसा अनुपम उपहार देने से बेहतर क्या होगा| अपने प्रिय को समर्पित भावपूर्ण रचना|

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  19. प्रेम-प्रदीप्त अंतर्मन से फूटती भावों की निश्छल रागिनी.

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    1. आपके मधुर शब्दों के लिए -सादर आभार आदरणीय विश्वमोहन जी |

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  20. प्रेम रस में पगी ... सुन्दर एहसास और भावनाओं को जोड़ के लिखी लाजवाब रचना ...
    हर बंध प्रेम की मोहक खुशबू लिए ... गहरे प्रेम और विश्वास की अभिव्यक्ति इस रचन को बेजोड़ बना रही है ...

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    उत्तर
    1. आदरणीय दिगम्बर जी -- आपके प्रेरक शब्द मनोबल उंचा करते हैं | सादर आभार |

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  21. वाकई बहुत ही सुंदर रचना है ,अहसासों से भरी

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    1. आदरणीय ज्योति जी सादर आभार और अभिनन्दन |

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  22. अच्छा लगा सुन्दर एहसास और भावनाओं को जोड़ बढ़िया कविता लिख है रेनू जी

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    उत्तर
    1. ` प्रिय संजय आपका हार्दिक आभार और अभिनन्दन |

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  23. बहुत खूबसूरत अहसास। सुंदर भावपूर्ण रचना।

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    उत्तर
    1. आदरणीय सर आपका हार्दिक आभार और अभिनन्दन

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  24. बहुत ही रोमांटिक कविता
    लाजवाब सृजन 🙏

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  25. अभिभूत हो गया हूँ इस कविता को पढ़कर | इसका अक्षर-अक्षर मेरे रोम-रोम में समा गया है | इससे अधिक क्या कहूं ?

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    उत्तर
    1. आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई, जितेन्द्र जी | सादर , सस्नेह आभार आपका |

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  26. कोमल मनोभावों की अर्थपूर्ण बाअदब प्रस्तुति।
    बधाई
    साझा करने हेतु आभार।

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    उत्तर
    1. आदरणीय अयंगर जी, मेरी रचना पर आप की अनमोल प्रतिक्रिया मेरे लिए किसी पुरुस्कार से कम नहीं। ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति के लिए सादर आभार🙏🙏💐💐

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  27. प्यार तो अनमोल होता है. उसके सामने किसी कोहिनूर की क्या बिसात !

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    उत्तर
    1. आपने बहुत ही अनमोल बात कही आदरणीय गोपेश जी! आपकी प्रतिक्रिया और ब्लॉग पर आगमन के लिए सादर आभार आपका🙏🙏 💐💐

      हटाएं

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