भीगे एकांत में बरबस
पुकार लेती हूँ तुम्हें ,
सौंप अपनी वेदना
सब भार दे देती हूँ तुम्हें !
जब -तब हो जाती हूँ विचलित
कहीं खो ना दूँ तुम्हें ,
क्या रहेगा जिन्दगी में
जो हार देती हूँ तुम्हें !
छुपा कर सबसे देखो,
बसाया है मन में तुम्हें :
जब भी जी चाहे तब
निहार लेती हूँ तुम्हें !!
बिखर ना जाए कहीं
रखना इसे संभाल के
सुहानी हसरतों का
हसीं संसार देती हूँ तुम्हें !
तुम डुबो दो या
ले चलो साहिल पर इसे ,
प्यार की कश्ती की पतवार देती हूँ तुम्हें !
कांच सी दुनिया है ये
तुम मिले कोहिनूर से
क्या दूं बदले में ?
बस प्यार देती हूँ तुम्हें !!!
स्वरचित चित्र -- गूगल से साभार - |
'पावन , निर्मल प्रेम सदा ही -- रहा शक्ति मानवता की , जग में ये नीड़ अनोखा है - जहाँ जगह नहीं मलिनता की ;; मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019
तुम मिले कोहिनूर से -- कविता
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विशेष रचना
आज कविता सोई रहने दो !
आज कविता सोई रहने दो, मन के मीत मेरे ! आज नहीं जगने को आतुर सोये उमड़े गीत मेरे ! ना जाने क्या बात है जो ये मन विचलित हुआ जाता है ! अना...
कांच सी दुनिया ये
जवाब देंहटाएंतुम मिले कोहिनूर से
क्या दूं बदले में ?
बस प्यार देती हूँ तुम्हे !!!
बहुत ही भावपूर्ण रेणु दी।
इस जीवन में काश! अपना भी कोई ऐसा होता।
पास न होता, दूर ही सही..
पर कोई अपना होता..!
सस्नेह आभार प्रिय शशी भाई आपकी भावपूर्ण पंक्तियों के लिए |
हटाएंवाहह्हह... वाहह्हह... क्या खूब..दी
जवाब देंहटाएंअति मनमोहक,समर्पित प्रेम के सुंदर भावयुक्त,मन छूती सराहनीय अभिव्यक्ति... बस वाहह्ह्ह👌👌👌
प्रिय श्वेता - आपकी इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार और प्यार |
हटाएंवाह ! बेहतरीन दी 👌
जवाब देंहटाएंसादर
हार्दिक आभार और प्यार प्रिय अनीता |
हटाएंभीगे एकांत में बरबस -
जवाब देंहटाएंपुकार लेती हूँ तुम्हे
सौंप अपनी वेदना -
सब भार दे देती हूँ तुम्हे !
बेहतरीन लेखन शैली व उत्कृष्ट रचना। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया रेणु जी।
सादर आभार आदरनीय पुरुषोत्तम जी |
हटाएंरेणु दी
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना को न जाने क्यों बार बार पढ़ने का मन हो रहा है। कितनी खूबसूरती से इसमें मन की वेदना को छिपाया गया है।
पुनः आभार शशि भाई
हटाएं
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
21/04/2019 को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
आपके सहयोग की आभारी हूँ प्रिय कुलदीप जी |
हटाएंलाजवाब रेनु बहन।
जवाब देंहटाएंसादगी समर्पण और भीगे से अहसास लिये बहुत सुसुंदर रचना ।
भाव बहुत ही कातर और हृदय स्पर्शी ।
मन को छुती अछुती प्रस्तुति ।
प्रिय कुसुम बहन -- आपके स्नेह भरे शब्द मेरे लिए बहुत विशेष हैं | सस्नेह आभार और प्यार आपके लिए |
हटाएंप्यार के समर्पण की बहुत ही सुंदर दिल को छूती रचना, रेणु दी।
जवाब देंहटाएंप्रिय ज्योति जी -- आपके स्नेह भरे शब्दों के लिए आभारी हूँ | सस्नेह |
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (21-04-2019)"सज गई अमराईंयां" (चर्चा अंक-3312) को पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
- अनीता सैनी
प्रिय अनिता जी -- चर्चा मंच का हार्दिक शुक्रिया और आभार |
हटाएंबिखर ना जाए कहीं
जवाब देंहटाएंरखना इसे संभाल के
सुहानी हसरतों का
हसीं संसार देती हूँ तुम्हे !
वाह बहुत ही खूबसूरत रचना
प्रिय अनुराधा बहन -- हार्दिक आभार और शुक्रिया |
हटाएंतुम डुबो दो या
जवाब देंहटाएंले चलो साहिल पर इसे
प्यार की कश्ती की
पतवार देती हूँ तुम्हे !
यही समर्पण तो प्यार है सखी ,क्या तारीफ करू, दिल के हर जज्बात को कोमल शब्दों का रूप दे दिया हैं तुमने तो ,बस लाजबाब ,स्नेह सखी
प्रिय कामिनी -- तुम्हारे शब्द मन को छू जाते हैं | सस्नेह आभार सखी |
हटाएंभीगे एकांत में बरबस -
जवाब देंहटाएंपुकार लेती हूँ तुम्हे
सौंप अपनी वेदना -
सब भार दे देती हूँ तुम्हे !
अति सुंदर अभिव्यक्ति रेणु जी।
प्रिय दीपा जी -- हार्दिक आभार और शुक्रिया सखी |
हटाएंवाह बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रिय अमित -- हार्दिक आभार और शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंप्रिय रितु जी -- सस्नेह आभार और शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंजब -तब हो जाती हूँ विचलित
जवाब देंहटाएंकहीं खो ना दूँ तुम्हे
क्या रहेगा जिन्दगी में
जो हार देती हूँ तुम्हे !
अथाह प्रेम में जहाँ अटूट विश्वास होता हैं वहीं दिल के एक कोने में गहन डर भी ....अपने प्रेम को खो जाने का डर.....खूबसूरत एहसासों एवं प्रेम की पराकाष्ठा से सुसज्जित बहुत ही लाजवाब रचना....
वाह!!!
प्रिय सुधा बहन -- रचना के मर्म को पहचानने और भावपूर्ण शब्दों के लिए सस्नेह आभार सखी |
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर आभार और सुस्वागतम आदरणीय ओंकार जी |
हटाएंबहुत सुन्दर रेणु जी.
जवाब देंहटाएंकोहिनूर बहुमूल्य है किन्तु प्यार तो अनमोल है !
आपने सच कहा आदरणीय गोपेश जी | सादर आभार आपके बहुमूल्य शब्दों का |
हटाएंभीगे एकांत में बरबस -
जवाब देंहटाएंपुकार लेती हूँ तुम्हे
सौंप अपनी वेदना -
सब भार दे देती हूँ तुम्हे...
ये कोहिनूर बहुत खुशकिस्मत लोगों को ही मिलता है रेणु बहन। रचना इतनी भावपूर्ण है कि बरबस आँखें नम हो गईं।
आपने सच कहा प्रिय मीना बहन |आपकी भावपूर्ण टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार |
हटाएंप्रेम में प्यार जैसा अनुपम उपहार देने से बेहतर क्या होगा| अपने प्रिय को समर्पित भावपूर्ण रचना|
जवाब देंहटाएंसादर आभार राही जी। 🙏🙏
हटाएंप्रेम-प्रदीप्त अंतर्मन से फूटती भावों की निश्छल रागिनी.
जवाब देंहटाएंआपके मधुर शब्दों के लिए -सादर आभार आदरणीय विश्वमोहन जी |
हटाएंप्रेम रस में पगी ... सुन्दर एहसास और भावनाओं को जोड़ के लिखी लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंहर बंध प्रेम की मोहक खुशबू लिए ... गहरे प्रेम और विश्वास की अभिव्यक्ति इस रचन को बेजोड़ बना रही है ...
आदरणीय दिगम्बर जी -- आपके प्रेरक शब्द मनोबल उंचा करते हैं | सादर आभार |
हटाएंवाकई बहुत ही सुंदर रचना है ,अहसासों से भरी
जवाब देंहटाएंआदरणीय ज्योति जी सादर आभार और अभिनन्दन |
हटाएंअच्छा लगा सुन्दर एहसास और भावनाओं को जोड़ बढ़िया कविता लिख है रेनू जी
जवाब देंहटाएं` प्रिय संजय आपका हार्दिक आभार और अभिनन्दन |
हटाएंबहुत खूबसूरत अहसास। सुंदर भावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर आपका हार्दिक आभार और अभिनन्दन
हटाएंबहुत ही रोमांटिक कविता
जवाब देंहटाएंलाजवाब सृजन 🙏
प्रिय रविन्द्र जी , सस्नेह आभार आपका |
हटाएंअभिभूत हो गया हूँ इस कविता को पढ़कर | इसका अक्षर-अक्षर मेरे रोम-रोम में समा गया है | इससे अधिक क्या कहूं ?
जवाब देंहटाएंआपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई, जितेन्द्र जी | सादर , सस्नेह आभार आपका |
हटाएंवाह.....बहुत खूब रेणु जी
जवाब देंहटाएंसादर आभार उर्मि दीदी🙏🙏
हटाएंकोमल मनोभावों की अर्थपूर्ण बाअदब प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबधाई
साझा करने हेतु आभार।
आदरणीय अयंगर जी, मेरी रचना पर आप की अनमोल प्रतिक्रिया मेरे लिए किसी पुरुस्कार से कम नहीं। ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति के लिए सादर आभार🙏🙏💐💐
हटाएंप्यार तो अनमोल होता है. उसके सामने किसी कोहिनूर की क्या बिसात !
जवाब देंहटाएंआपने बहुत ही अनमोल बात कही आदरणीय गोपेश जी! आपकी प्रतिक्रिया और ब्लॉग पर आगमन के लिए सादर आभार आपका🙏🙏 💐💐
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