मेरी प्रिय मित्र मंडली

शनिवार, 22 जून 2019

कभी अलविदा ना कहना तुम



कभी अलविदा ना कहना तुम 
मेरे साथ  यूँ ही रहना तुम !

 तुम  बिन थम जाएगा  साथी ,

 मधुर गीतों का ये सफर ;
रूँध  कंठ में  दम तोड़ देगें 
आत्मा के स्वर प्रखर ;
 बसना मेरी मुस्कान में नित  
 ना संग आँसुओं के बहना तुम

 तुम ना होंगे ,हो जायेगी गहरी

 भीतर की    तन्हाईयां, 
टीसती  विकल करेंगी
 यादों की ये  परछाईयाँ
 गहरे   भंवर में संताप के 
 देखो !ना  डुबो देना तुम !

निःशब्द   रह सहेज लेना 
 अक्षय स्नेहकोष  मेरा, 
 रखना याद ये स्नेहिल पल 
 भुला देना हर दोष मेरा ;
  दूर  आँखों से  हो जाओं
ये सजा कभी मत देना तुम !

मेरे साथ यूँ ही रहना तुम! 
कभी अलविदा ना कहना तुम!! 

  (**चित्र - गूगल से साभार, **) 

73 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय रेणु दी जी ,मन के कोमल भावों से उकेरा बहुत ही सुन्दर और हृदयस्पर्शी अंतर्मन को हिलता हुआ नवगीत |ढेरों शुभकामनायें आप को
    सादर स्नेह

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    1. प्रिय अनिता सस्नेह आभार तुम्हारी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए |

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  2. भावनाओं की सघनता से निःसृत मन का निश्छल उच्छवास!!!

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (24-06-2019) को "-- कैसी प्रगति कैसा विकास" (चर्चा अंक- 3376) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. मन के आर्त भाव कितनी आकुलता के साथ व्यक्त हुए हैं!!!
    रेणु बहन आप कम लिखती हैं लेकिन जब भी लिखती हैं, पूरी गहराई और संजीदगी के साथ ! बहुत बहुत बधाई इस सुंदर रचना के लिए।

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    1. प्रिय मीना बहन आपके प्रेरक शब्दों के लिए सस्नेह आभार |

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  5. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 23/06/2019 की बुलेटिन, " अमर शहीद राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी जी की ११८ वीं जयंती - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  6. कोमल मनोभावों का सुंदर वर्णन या कल्पनाकाश में मुक्त विचरण.
    सुंदर.

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    1. आदरणीय अयंगर जी -- अत्यंत आभार आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया का |

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  7. रेणु दी, मन के कोमल भावों को बहुत ही खूबसूरती से उकेरा हैं आपने। बहुत सुंदर।

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  8. अहा..मन में उतरती बेहद गहन अभिव्यक्ति... सुंदर भावपूर्ण कविता दी...शब्द शब्द जीवंत हो मन को छूने में सक्षम है। बधाई दी उत्कृष्ट सृजन👌

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    1. प्रिय श्वेता -- स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार |

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  9. कोमल भावों से अंतर्मन को हिलता हुआ नवगीत खूबसूरती से उकेरा हैं

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    1. प्रिय संजय - आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया बहुत प्रेरक है | सस्नेह आभार |

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  10. उत्तर
    1. हार्दिक आभार और अभिनन्दन प्रिय वाणी जी |

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  11. मन के कोमल भाव किसी की परछाई बन के आते हैं और कभी तन्हाई भी बन जाते हैं ...
    ये किसी की याद के लम्हे होते हैं जो कभी मुखर हो जाते हैं और मिलन की कामना में खिल भी जाते हैं ...
    मन के कोमल भावों में गुंथी राचना ...

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  12. बेहद भावपूर्ण. मन के अन्तरभावों को कितनी सुघड़ता से पन्नों पर उकेरा है 🙏 🙏 🙏

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    1. प्रिय सुधा जी -- ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आपके आने के बाद बहुत ख़ुशी हुई | सस्नेह आभार सखी |

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  13. निःशब्द हो सहेज लेना
    अक्षय स्नेहकोष मेरा, ....
    निशब्द और मन्त्रमुग्ध करते भाव.. हर पदबंध कोमलकान्त शब्दावली में गुंथा हुआ... उत्कृष्ट सृजन रेणु जी ।! सस्नेह....

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    1. प्रिय मीना जी -- बहुत आभारी हूँ आपके स्नेह भरे उद्गारों के लिए |

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  14. उत्तर
    1. प्रिय रिंकी आपका स्वागत है | सस्नेह आभार |

      हटाएं
  15. निःशब्द हो सहेज लेना
    अक्षय स्नेहकोष मेरा,
    रखना याद ये स्नेहिल पल -
    भुला देना हर दोष मेरा ;
    दूर आखों से हो जाओं
    ये सजा कभी मत देना तुम !
    वाहवाह!!!!
    कोमल एहसासों से सजी प्रेमपगी बहुत ही खूबसूरत भावाभिव्यक्ति....
    प्रेम की पराकाष्ठा को शब्दरूप में ढालना कोई आपसे सीखे..आपकी इस रचना को मैं न जाने कितनी बार पढ चुकी रेणु जी ....प्रतिक्रिया न दे पायी हर शब्द बौना लगता है ऐसी रचनाओं के लिए...... बस शुभकामनाएं ढ़ेर सारी....सस्नेह....।

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    1. प्रिय सुधा जी -- निशब्द हूँ | आपकी स्नेहिल प्रेरक प्रतिक्रिया किसी पुरस्कार से कम नहीं मेरे लिए | सस्नेह आभार और मेरा प्यार आपके लिए |

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  16. अपने हमकदम से प्यार के ना बिछुड़ने का मनुहार ... निःशब्द ...

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  17. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 14 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीय दीदी और मुखरित मौन मंच |

      हटाएं
  18. निःशब्द हो सहेज लेना
    अक्षय स्नेहकोष मेरा,
    रखना याद ये स्नेहिल पल -
    भुला देना हर दोष मेरा ;
    दूर आखों से हो जाओं
    ये सजा कभी मत देना तुम !

    मन को द्रवित करती विलक्षण कृति हृदय तक उतरती सच्चे मन की अनुभूति।
    अप्रतिम रेनु बहन ।

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    1. प्रिय कुसुम बहन , आपकी स्नेहिल उपस्थिति और भावनाओं से भरी सराहना के लिए आभार नहीं मेरी शुभकामनायें आपके लिए |

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  19. वाह वाह...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,हृदयस्पर्शी भाव
    अप्रतिम पंक्तियाँ आदरणीया दीदी जी
    सादर नमन

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  20. कभी अलविदा ना कहना तुम
    मेरे साथ यूँ ही रहना तुम
    तुम बिन थम जाएगा साथी
    मधुर गीतों का ये सफर

    यही प्रार्थना हैं आपका साथी कभी ना बिछड़े और ये मधुर गीतों का सफर कभी भी ना रुके ,बेहद प्यारी रचना सखी,मैं इसे नहीं पढ़ पाई थी शायद उन दिनों मैं अपने दुखों में गुम थी ,ढेरों शुभकामनाएं तुम्हारे इन मधुर मधुर गीतों के लिए ,स्नेह

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    1. प्रिय कामिनी , आभार सखी | इसके साथ तुम्हारे भावनाओं से भरे शब्दों के लिए मेरे पास सिर्फ प्यार है |

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  21. एक सच्चे प्रेमी के अपने प्रियतम के लिए जो स्थायी भाव होते हैं, उन्हीं को शब्दों में पिरोया है आपने रेणु जी | और बहुत अच्छे ढंग से पिरोया है | अभिनंदन आपका |

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    1. आपका हार्दिक आभार है जितेंद्र जी। 🙏🙏💐🙏🙏

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  22. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 02 मई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  23. निःशब्द रह सहेज लेना
    अक्षय स्नेहकोष मेरा,
    रखना याद ये स्नेहिल पल
    भुला देना हर दोष मेरा ;
    दूर आँखों से हो जाओं
    ये सजा कभी मत देना तुम !..बहुत सुंदर,स्नेहिल भावों से भरी और मर्म तक पहुंचती उत्कृष्ट रचना,आपकी रचना पढ़कर मन खुश हो गया रेणु जी । बहुत शुभकामनाएं रेणु जी ।

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    1. मेरी पुरानी रचना पढ़कर स्नेहिल प्रतिक्रिया देने के लिए, आपका हार्दिक आभार जिज्ञासा जी! आपको रचना पसंद आई मेरा लिखना सफल हुआ 🌹💐🙏❤❤

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  24. बहुत खूबसूरती से एहसासों की माला पिरोयी है आपने

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    1. सस्नेह आभार और अभिनंदन प्रिय प्रीति ❤🌹💐❤

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  25. मन के कोमल भावों का सम्प्रेषण ।।खूबसूरत रचना ।

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    1. सादर आभार प्रिय दीदी! आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया किसी उपहार से कम नहीं 🙏🙏🌹🌹❤

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  26. आदरणीया मैम, प्रेम- भाव से भरी हुई अत्यंत भावपूर्ण रचना। यहाँ आपकी सभी रचनयूएन पढ़ी हुईं हैं मैं ने पर जितनी बार पढ़ती हूँ उतना आनंद आता है। सच हमारा कोई भी प्रिय व्यक्ति हमें सदा अपने समीप चाहिए , उस से दूर होना या उसका हम से रूठ जाना असहनीय हो जाता है। हृदय से आभार इस सुंदर रचना के लिए व आपको प्रणाम ।

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    1. प्रिय अनन्ता, तुम्हारी समीक्षक दृष्टि बहुत प्रखर है। इतनी भावपूर्ण व्याख्या के लिए तुम्हें हार्दिक आभार और प्यार 🌹🌹❤❤💐💐

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  27. भावपूर्ण ,मर्मस्परसी अभिव्यक्ति।

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    1. सादर आभार और अभिनंदन प्रिय उर्मि दीदी🙏🙏❤❤🌹🌹

      हटाएं
  28. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 26 मई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार और अभिनन्दन यशोदा दीदी |

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  29. व्यग्रता से कहीं परे शब्दों की स्पष्ट थाप।

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  30. वाह!प्रिय सखी रेनु जी , खूबसूरत भावों से सजी उत्कृष्ट कृति ।

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  31. पुनः रचना को पढ़ना और उससे जुड़ना बहुत अच्छा लगा ।
    हर पंक्ति मन की सच्चाई को कहती हुई .....
    पढ़ते हुए ऐसा लगा कि मेरे ही मन के भावों को इस रचना में उतार दिया है ।
    आज शायद इन्हीं एहसासों से गुज़र रही होऊँगी । तभी एक एक पंक्ति हृदय के अंतस को छू रही है ।
    स्नेह

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  32. बहुत सुंदर ! मार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत रचना

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  33. रखना याद ये स्नेहिल पल
    भुला देना हर दोष मेरा ;
    दूर आँखों से हो जाओं
    बहुत ही मार्मिक भावनाओं को समेटें खूबसूरत रचना

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    1. हार्दिक आभार और अभिनन्दन प्रिय मनीषा |

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