दीपमाल के उत्सव में
अनायास तुम याद आये ,
जा तुममें ही उलझा चितवन
हर दीप में तुम्हीं नजर आये ! !
जीवन अभिनय से कोसों दूर
तुम स्नेही सखा मेरे मन के ,
ओझल नजरों से दुनिया की
पावन- सिन्धु अपनेपन के .
पल सुखद तुम्हारी यादों के
मेरा विचलित मन सहलाएं !
रहा तुममें ही उलझा चितवन
हर दीप में तुम्हीं नजर आये !!
अवनि -अम्बर को जोड़ रहीं -
उजालों की अनगिन लड़ियाँ
पर मन को लगी बींधने क्यों
कण -कण में बिखरती फुलझड़ियाँ .
सघन नैन कुहासों में बरबस ,
बन चन्द्र-नवल तुम मुस्काए !
जा तुममें ही उलझा चितवन
हर दीप में तुम्हीं नजर आये
मौन स्वर ये प्रार्थना के
तुम्हें समर्पित अविराम मेरे .
उपहार तुम्हारा अनमोल वो पल
जो लिख दिए तुमने नाम मेरे ;
प्रेम -प्रदीप्त दो नयन तुम्हारे
जब भी सुधियों में छाये !
जा तुममें ही उलझा चितवन
हर दीप में तुम्हीं नजर आये !!
चित्र गूगल से साभार
सभी साहित्य- प्रेमियों को दीपावली की मंगलकामनाएं और बधाई |
पर्व की खुशियाँ तभी है, जब कोई अपना हो और हम उसके प्रति समर्पित हो। रचना की प्रत्येक पंक्ति भावपूर्ण है।
जवाब देंहटाएंप्रकाश पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ । आपसभी के सुख,समृद्धि और यश में वृद्धि हो--।
परमात्मा से मेरी एक और प्रार्थना है..
इक दीप जले मेरे मन में प्रभु
जहाँ तम न हो,कोई ग़म न हो
जग से मेरा कोई अनुबंध न हो
जो बंधन हो , तेरे संग अब हो..
बहुत अच्छा संकल्प है शशि भाई | आपकी शुभकामनायें और स्नेह मेरे लिए अनमोल है | आप भी स्वस्थ और सकुशल रहिये | देर से प्रतिउत्तर के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ |
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (२८ -१०-२०१९ ) को " सृष्टि में अँधकार का अस्तित्त्व क्यों है?" ( चर्चा अंक - ३५०२) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
हार्दिक आभार प्रिय अनिता और चर्चा मंच |
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 27 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार यशोदा दीदी और मुखरित मौन मंच |
हटाएंबहुत सुन्दर ... दीपावली का त्यौहार हो और अपनों की याद, उनका स्मृति में रहना ... उनके प्रति समर्पण होना ही प्रेम और उल्लास है जो पर्व पर प्रगट होता है ... हर छंद भावपूर्व, प्रेम की अनंत ज्तोती जैसे जग रही हो मन में और शब्दों के दीप जला रही है ... बहुत सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई आपको दीप पर्व की ...
हार्दिक आभार है आपका दिगम्बर जी |
हटाएंअवनि -अम्बर को जोड़ रही -
जवाब देंहटाएंउजालों की अनगिन लड़ियाँ
पर मन को लगी बींधने क्यों
कण -कण में बिखरती फुलझड़ियाँ .
सघन नैन कुहासों में बरबस ,
बन चन्द्र-नवल तुम मुस्काए !
जा तुममें ही उलझा चितवन
हर दीप में तुम्हीं नजर आये ...वाह! अभिव्यक्ति की सघनता की पराकाष्ठा! सराहना से परे। अद्भुत भाव। बधाई एयर आभार।
अत्यंत आभार विश्वमोहन जी |
हटाएंयाद ही तो बेवकूफ़ है
जवाब देंहटाएंहर खुशी के मौके पर बरबस ही टपक पड़ती है
त्योहार भी तो यादों का साथ देता है।
अपने दुःखी नीरस मन से कोई याद आये वो भी खिलखिलाते हुए,मुस्काते हुए.... यही तो प्रेम है और यही तो त्योहार के खुशनुमा माहौल का असर है।
बहुत ही खूबसूरत रचना है।
यहाँ स्वागत है 👉👉 कविता
प्रिय रोहिताश जी , बहुत आभार और शुक्रिया , इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए |
हटाएंपल सुखद तुम्हारी यादों के
जवाब देंहटाएंविचलित मेरा मन सहलाएं !
रहा तुममें ही उलझा चितवन
हर दीप में तुम्हीं नजर आये !!
प्रेमरस में डूबी लाजबाब रचना सखी ,हर शब्द शब्द में स्नेह झलक रहा हैं ,सादर स्नेह सखी
प्रिय कामिनी , हार्दिक आभार और स्नेह सखी |
हटाएंवाह रेणु बहन समर्पित मन की सरस अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंअभिनव सृजन।
भाव पक्ष सबल सरस काव्य पक्ष अप्रतिम।
प्रिय कुसुम बहन , रचना पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति के लिए आभारी हूँ |
हटाएंप्रेम -प्रदीप्त दो नयन तुम्हारे
जवाब देंहटाएंजब भी सुधियों में छाये !
जा तुममें ही उलझा चितवन
हर दीप में तुम्हीं नजर आये !!
रेणु दी,कहा जाता हैं कि हर सुख और दुख की घड़ी में इंसान को सबसे पहले जो उसके सबसे करीब होता हैं वो ही याद आता हैं। बहुत बढ़िया कल्पना की हर दिप में तुम्ही नजर आएं। बहुत सुंदर।
प्रिय ज्योति जी , रचना में समाहित भावों के मर्म को छूती आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार |
हटाएंगुज़री दीपावली पर लिखी गई आपकी इस भावभीनी कविता को मैं बहुत विलम्ब से पढ़ रहा हूँ जब ढाई मास के उपरांत अगली दीपावली है | कविता का शब्द-शब्द आपके हृदय के भीतर से निकला प्रतीत होता है और पढ़ने वाले के हृदय पर अमिट छाप छोड़ता है |
जवाब देंहटाएंजितेंद्र जी, आपके स्नेहिल उद्गारों से मेरी साधारण सी रचना असाधारण हो गयी है। कोटि आभार और अभिनंदन🙏🙏💐🙏🙏
हटाएंशुभ दीपोत्सव!!!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और शुभकामनाएं|
हटाएंवाह!प्रिय सखी ,सुंदर सृजन । दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँँ ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार और शुभकामनाएं प्रिय शुभा जी |
हटाएंबहुत खूबसूरत रचना, है सदैव मंगलमय कामना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार भारती जी। ब्लॉग पर आपका स्वागत है 🙏🙏❤❤🌹🌹
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