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नवम्बर को भारत की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गये ऐतहासिक निर्णय के लिए न्यायपालिका के सम्मान में कुछ पंक्तियाँ --
नमन न्यायपालिका के
चित्र गूगल से साभार
सम्पूर्ण अधिकार की शक्ति को,
न्याय मिला , भले देर हुई ,
वन्दन इस द्वार शक्ति को !
समय बढ़ गया आगे,
लिख सौहार्द की नई परिभाषा;
प्यार जीता नफरत हारी ,
बो हर दिल में नयी आशा ;
हर कोई अपलक देख रहा
इस प्यार की शक्ति को !
समभाव भरी ये पुण्यधरा
गीता भी जहाँ , क़ुरान भी है
कुनबा ये वासुदेव का है,
यहाँ राम है ,तो रहमान भी है,
कभी ना आंको कम,
इस परिवार की शक्ति को !
ज्ञान- बुद्धि श्रद्धा से हारे
कब तर्क आस्था ने माने ?
राह दिखाते मानवता को जो
पगचिन्ह मानव ने पहचाने ,
शीश झुकाया मान सभी ने
सच्चे करतार की शक्ति को !
राम आराध्य जन- जन के
युगपुरुष चेतना के उत्तम,
जगहित दिया मर्यादित रामपथ ,
हुये सृष्टि के नायक सर्वोत्तम ;
रामराज्य के रूप में जग जाना
राघव सरकार की शक्ति को !!
चित्र गूगल से साभार
बस इस समय तो मन यही कह रहा है - इस प्यार को, सौहार्द्र को, इस भाईचारे को किसी की नजर ना लगे !!! मेरे देश को किसी की बुरी नजर ना लगे। न्यायपालिका के निर्णय तो पहले भी बहुत आए परंतु अब मेरे देश के लोगों ने जो सामंजस्य दिखाया है वह यही दर्शाता है कि लोग शांति से जीना चाहते हैं। समसामयिक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम पर आपकी यह रचना एकता को मजबूत और महफूज़ रखने का संदेश देती है।
जवाब देंहटाएंप्रिय मीना बहन , बस यूँ ही , इस विषय पर कुछ लिखने का मन था इसी के | आपको रचना पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ | हार्दिक आभार आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए!!!!!
हटाएंजी दी,
जवाब देंहटाएंसमसामयिक घटनाक्रम पर आपकी यह रचना सार्थक सकारात्मक संदेश देती हुई। भारत की पवित्र भूमि पर निवाष करने वाले सभी मनुष्य किसी भी धर्म और संप्रदाय के हो पर सर्वप्रथम मानवता की जाति का अनुकरण करें और इंसानियत का धर्म निभाये तो ऐसे बेतुके झगड़े स्वतः ही समाप्त हो जाये।
बेहतरीन सृजन दी।
प्रिय श्वेता , रचना के विषय को बढ़ाती , सुंदर प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार | सभी महान पुरुषों ने मानवता को ही सबसे बड़ा धर्म बताया है |माननीय न्यायमूर्तियों ने इंसानियत की मिसाल रखी है ,अपने निर्णय के लिए द्वारा |
हटाएंज्ञान- बुद्धि श्रद्धा से हारे .
जवाब देंहटाएंना तर्क आस्था ने माने ;
राह दिखाते मानवता को ,
पगचिन्ह वो मानव ने पहचाने ;
शीश झुकाया मान सभी ने .
सच्चे करतार की शक्ति को ! न्यायपालिका के फैसले को सभी ने स्वीकारा,बस यह शांति यूँ हीं बरकरार रहे। बहुत सुंदर और सार्थक सृजन प्रिय रेणु जी।
प्रिय अनुराधा बहन , आपने सच कहा | सस्नेह आभार आपके लिए |
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-11-2019) को "गठबन्धन की नाव" (चर्चा अंक- 3518) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आदरणीय सर |
हटाएंराम आराध्य जन- जन के,
जवाब देंहटाएंयुगपुरुष चेतना के उत्तम;
जगहित दिया मर्यादित रामपथ ,
हुये सृष्टि के नायक सर्वोत्तम ;
रामराज्य के रूप में जग जाना .
राघव सरकार की शक्ति को !!!!!!
इस विषय पर जितना पढें कम ही लगता है। राम, एक अथाह प्रेरणा स्रोत हैं उन्हें नमन है।
जी पुरुषोत्तम जी , राम एक अनोखा जीवन दर्शन और राष्ट्र का एक सनातन संस्कार हैं | आभार आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए |
हटाएंआज के समय का सबसे उत्तम निर्णय ... और इससे ज्यादा अच्छा निर्णय होना शायद आसान नहीं होता ... माननीय न्याय की परिभाषा को नया मुकाम दे गए ... बहुत सुन्दर और अलग अंदाज़ की याचना है ... ये शक्ति भी शायद प्रभु राम ने ही दी है उन्हें और आपको भी इन शब्दों के लिए ...
जवाब देंहटाएंआदरणीय दिगम्बर जी , राम मंदिर का निर्णय आसान ना होते हुए , न्यायपालिका द्वारा अविस्मरनीय बना दिया गया | सादर आभार आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए|
हटाएंसुन्दर, सार्थक सृजन प्रिय बहन
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार अभिलाषा बहन |
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 12 नवंबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद! ,
प्रिय श्वेता, मुखरित मंच के लिए हार्दिक आभार |
हटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंjyoti Dehliwal
हटाएंवर्तमान स्थिति में सार्थक और सकारात्मक संदेश देती बहुत ही सुंदर रचना, रेणु दी। हमारे देश में ऐसे ही अमन शांती बनी रहे...हर समस्या का समाधान निकलता रहे यहीं राम जी से प्रार्थना हैं।
प्रिय ज्योति बहन आपने सही कहा , हमें यही प्रार्थना करनी चाहिए कि ये शांति बनी रहे |सस्नेह आभार आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए |
अंतरात्मा की आवाज सुनकर भी न्याय किया जाता है , तब न किसी न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ता है और ना ही पंच परमेश्वर के चौखट पर जाना पड़ता है, जो न्याय अंतरात्मा की आवाज से संभव है, वस्तुतः वही मानवता के सर्वश्रेष्ठ मूल्य की स्थापना करता है।
जवाब देंहटाएंन्यायालय के निर्णय के पश्चात समसामयिक रचना के माध्यम से आपने आपसी सद्भाव बना रहे , इसकी मंशा सुंदर शब्दों में व्यक्त की है।
प्रणाम दी।
जी शशि भाई , ये ही प्रार्थना है कि सब ठीक रहे |सचमुच इस ऐतहासिक न्याय प्रक्रिया को निष्पक्षता के लिए हमेशा याद रखा जाएगा | आपका सस्नेह आभार |
हटाएंKamini Sinha
सकारात्मक संदेश देती हुई बेहतरीन रचना सखी ,बस अब ये शांति और सदभाव हमेसा बनी रहे यही कामना हैं ,सादर स्नेह
प्रिय कामिनी , देशवासियों के अत्यंत सद्भावनापूर्ण दृष्टिकोण ने तो यही जाहिर कर दिया है |तुम्हारे स्नेह भरे शब्दों के लिए मेरा आभार सखी |
सुना है जिस दिन फैसला आना था अयोध्या से 90% मुस्लिम आबादी के बच्चों व महिलाओं ने पलायन करके दूसरी जगह शरण ली।
जवाब देंहटाएंये इस बात की पुष्टि है कि ये हमारा भाईचारा, सद्भावना दिखावा मात्र है। ये बात इस विचार से और भी स्पष्ट हो जाता है कि अगर फ़ैसला इसके उलट हिंदू बाहुल्य के ख़िलाफ़ जाता तो इस शांति का यथावत बने रहने की कितनी सम्भावना थी??
ऐसा लगा कि मेजोरिटी के सामने किसी ने केवल डर के कारण सहम कर सब बातें स्वीकारी गयी और हां में हामी भरी गयी।
खैर ये फैसला सटीक, उचित और न्यायप्रिय रहा। देश बच गया, देश की धर्मनिरपेक्षता बच गयी।
भ्रातृत्व की हकीकत पर हम बोलें या ना बोलें लेकिन हमें इसका भान तो है।
आपकी रचना उम्दा है।
भक्ति रस में सराबोर।
कुछ पंक्तियां आपकी नज़र 👉👉 ख़ाका
प्रिय रोहिताश , सबसे पहले सारगर्भित और अनछुए बिन्दुओं को स्पर्श करते आपके विचारों का हार्दिक स्वागत है | जैसा कि उस दिन आपने से अयोध्या 90प्रतिशत बच्चों और महिलाओं ने दूसरी जगह शरण ली | मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता | वैसे भी राजनैतिक विषयों पर मेरा ज्ञान कम है |पर यदि ये निर्णय सरकारी था , तो किसी अनिष्ट की आशंकाको रोकने के लिए न्यायोचित था |क्योकि अवांछित तत्व ऐसे अवसरों को फसाद में बदलने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं | और हमारा भाईचारा दिखावा नहीं बल्कि अवसरवादियों ने अपने मौके भुनाकर इसे बदरंग कर दिया है | और जैसा कि आपने कहा कि यदि ये निर्णय हिन्दू बाहुल्य के खिलाफ जाता तो ये शांति शायद यथावत ना रहती | तो रोहिताश भाई मैं तो इस बात में यकीन रखती हूँ अंत भला सो भला | और भारत की न्यायपालिका इतनी कमजोर नहीं है जो मेजोरिटी के सामने घुटने टेक दे | न्यायमूर्तियों ने लम्बे विमर्श के बाद ये निर्णय लिया क्योंकि कि ये एक ऐसा विषय है जो जनमानस की आस्थाओं पर आधारित था और आस्थाएं तर्क आधारित नहीं होती , श्रद्धा और विश्वास ही इनके आधार होते हैं | इस निर्णय में जरा सी चूक इतिहास की बड़ी गलती बन सकती थी |कहीं ना कहीं भाईचारे का सहयोग भी रहा ही है इसके पीछे | एक बार फिर से आपके सटीक विश्लेषणात्मक विचारों के लिए आभार |देर से प्रतिउत्तर के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ |मेरा कंप्यूटर ठप्पहो गया था , आज ही ठीक होकर आया है \ सस्नेह |
हटाएंराम आराध्य जन- जन के,
जवाब देंहटाएंयुगपुरुष चेतना के उत्तम;
जगहित दिया मर्यादित रामपथ ,
हुये सृष्टि के नायक सर्वोत्तम ;
रामराज्य के रूप में जग जाना .
राघव सरकार की शक्ति को !!!
आहा रेणु जी
वाह सच कहूं तो आपने आज हर भारतीय ( Inidan नहीं केह रही :P, उम्मीद हे आप समझेंगी मेरा मतलब ) के दिल की बात कह दी इतनी सरलता और सटीकता से
इक कुंठा ने कहीं अपनी जड़े फैला रखीं थी। ..अब जड़ से उखड़ गयी
इतनी सुंदर रचना के लिए आप बधाई की सुपात्र हैं
जी जोया जी , आपका हार्दिक स्वागत है ब्लॉग पर |और आपने सच कहा किन्ही कुंठाओं के वशीभूत देश के वो संस्कार बदलते जा रहे हैं , जिनके लिए ये विश्व में पहचाना जाता रहा है | राजनीति से इतर श्री राम भारतवर्ष के दर्शन का चेहरा हैं नाकि धर्म विशेष का | उनके
हटाएंमर्यादित आचरण और आर्दश जीवन ने समस्त जनमानस को सदैव ही प्रभावित किया है | नयी विचारधारा के लोग उन्हें कपोलकल्पित पात्र मानते हैं | तो भी उनकी कथा सर्वहिताय विचारों का आदर्श रचती है | आपका हार्दिक आभार अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत करवाने के लिए |
हटाएं
राह दिखाते मानवता को ,
जवाब देंहटाएंपगचिन्ह वो मानव ने पहचाने ;
शीश झुकाया मान सभी ने .
सच्चे करतार की शक्ति को !
..... बहुत सुंदर और सार्थक सृजन प्रिय रेणु जी !!
प्रिय संजय , आपका हार्दिक आभार , रचना पर स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए |
हटाएंनमन राम के द्वारा स्थापित उस मर्यादा की महान परंपरा का जिसके अनुपालन में न्यायपालिका सहित आज की सारी संस्थाएं काम कर रही है। उसी मर्यादा में बंधकर राम ने भी अपनी जन्मभूमि के मुक्त होने की प्रतीक्षा में इतना लंबा काल तंबू में बिता दिया। अच्छी कविता का आभार रेणुजी।
जवाब देंहटाएंविश्वमोहन जी , विषय पर विमर्श में अपने विचारों के अनमोल योगदान के लिए आपका हार्दिक आभार | मर्यादा ही श्रीराम जी के चरित्र की ऐसी विशेषता है जिसकी आज जनमानस , न्यायपालिका और सत्ता सभी को बहुत जरूरत है | पुनः आभार |
जवाब देंहटाएंजय श्री राम
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है राकेश जी। हार्दिक आभार और अभिनंदन🙏🙏🙏
हटाएंराम आराध्य जन- जन के,
जवाब देंहटाएंयुगपुरुष चेतना के उत्तम;
जगहित दिया मर्यादित रामपथ ,
हुये सृष्टि के नायक सर्वोत्तम
नमन🙏 मनमोहक सृजन को..आपका यह सृजन अभिभूत करने वाला है प्रिय रेणु बहन ।
प्रिय मीना जी ,हार्दिक आभार इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए 🙏🙏🙏
हटाएंजन-जन में बसें हैं राम हमारे
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
कविता जी, आपके शब्द अनमोल हैं इस अतुल्य स्नेह के लिए हार्दिक आभार 🙏🙏
हटाएंबहुत ही खूब। जय हो।
जवाब देंहटाएंसुस्वगतम् और आभार दुलकांति जी 🙏🙏🙏😊
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (27-01-2020) को 'धुएँ के बादल' (चर्चा अंक- 3593) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
सादर आभार रवींन्द्र जी |
हटाएंसमभाव भरी ये पुण्यधरा .
जवाब देंहटाएंगीता भी जहाँ , क़ुरान भी है
कुनबा ये वासुदेव का है,
यहाँ राम है ,तो रहमान भी है;
कभी ना आंकों कम,
इस परिवार की शक्ति को !
बहुत ही सुन्दर ,सार्थक सृजन...
वर्षों से विवादित मसला हल हुआ और वह भी शान्तिपूर्ण तरीके से.....। इससे बड़ी बात क्या हो सकती है
आपकी रचना समसामयिक और बहुत ही लाजवाब है
वाह!!!
सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं सखी
रचना पर सारगर्भित समीक्षा के लिए सस्नेह आभार प्रिय सुधा जी |
हटाएंसमभाव भरी ये पुण्यधरा .
जवाब देंहटाएंगीता भी जहाँ , क़ुरान भी है
कुनबा ये वासुदेव का है,
यहाँ राम है ,तो रहमान भी है;
कभी ना आंकों कम,
इस परिवार की शक्ति को !
शानदार सृजन सखी ,सादर स्नेह
सस्नेह आभार प्रिय सखी कामिनी |
हटाएंआपकी लेखनी को सलाम रेणु बहन ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सार्थक और सामायिक सौहार्द्र का सुंदर सृजन।
सस्नेह आभार प्रिय कुसुम बहन |
हटाएंआदरणीया मैम ,
जवाब देंहटाएंपुनः अति सुंदर और उत्साह से भर देने वाली कविता।
हाँ , राम मंदिर के निर्माण का निर्णय हम सब के लिए बहुत आनंद की बात है।
मुझे भी पांच अगस्त की प्रतीक्षा है।
हाँ परसों ही है पर फिर भी लग रहा है जल्दी आ जाये।
देश की एकता का भी बहुत सुंदर संदेश।
भारत की महानता बहुत सुंदर रूप से दर्शायी आपने। जब जब यहाँ आती हूँ , नई प्रेरणा लेकर जाती हूँ। मन आनंदित क्र दिया , ह्रदय से आभार।
प्रिय अनंता आपके पास रचना के मर्म को पहचानने की अद्भुत शक्ति है और भाषा का अद्भुत संस्कार भी है |ये माननीय न्याय पालिका के सम्मान में मेरी भावनाएं थी जिसने जन जन के आराध्य श्रीराम जी के अधिकार को मान्यता दी | माँ शारदे आपकी इस सरलता और जिज्ञासा को हमेशा अपनी आशीष से अनुग्रहित करे | मेरा आभार और प्यार आपके लिए |
हटाएंआदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंआपकी बातें सदा ही मेरा मनोबल बढ़ातीं हैं और नई प्रेरणा देती हैं।
आपका मेरे प्रति स्नेह बहुत अमूल्य है। हाँ, मैं आपको यह पहले भी बोल चुकी हूँ और आगे भी बोलती रहूँगी।
मैं आपसे कभी मिली तो नहीं पर मेरे प्रति आपका अपनत्व मन को सदा ही छू जाता है। आपका यह स्नेहमयी स्वभाव मेरे लिये भी सदाचरण की प्रेरणा है। हृदय से आभार और आपको सादर नमन।🙏😊🌹🌺💐
निशब्द हूँ और तुम्हारे स्नेह की ऋणी हूँ नन्ही परी|हमेशा खुश रहो
हटाएंआदरणीया मैम ,
जवाब देंहटाएंराम- मंदिर शिलान्यास की हार्दिक बधाई हो आपको। पुरे भारतवर्ष के लिए अत्यंत शुभ और सुखद दिन. हमने पूरा कार्यक्रम देखा, मन आनंद से भर गया। आपकी कविता भी याद आ गयी तो सोंचा की बधाई दे दूँ।
तुम्हें भी बधाई प्रिय अनंता |
हटाएंआदरणीया मैम ,
जवाब देंहटाएंराम- मंदिर शिलान्यास की हार्दिक बधाई हो आपको। पुरे भारतवर्ष के लिए अत्यंत शुभ और सुखद दिन. हमने पूरा कार्यक्रम देखा, मन आनंद से भर गया। आपकी कविता भी याद आ गयी तो सोंचा की बधाई दे दूँ।
मेरा सौभाग्य कि तुम्हें इस विराट अवसर पर मेरी ये साधारण सी रचना याद रही | तुम्हारे जैसी मेधावी और स्नेही नन्ही निश्छल पाठिका को पा मेरा ब्लॉग धन्य हुआ | पुनः प्यार
हटाएंआदरणीया मैम,
हटाएंसौभाग्य सारा मेरा ही है कि मुझे आप से जुड़ने का अवसर मिला।
आपका आशीष और मेरे प्रति अशर्त स्नेह बहुत अनमोल है। हृदय से आभार और सादर नमन।
बहुत बहुत प्यार प्रिय अनंता |
हटाएंआपकी रचना आधारशिला है इस भविष्य की जबकि भव्य राम मंदिर
जवाब देंहटाएंसबके सामने होगा..जय श्री राम
सबकी मंगल कामना अवश्य ही फलीभूत होगी। आपकी प्रतिक्रिया अनमोल है। जय श्री राम 🙏🙏
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 18 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका प्रिय दीदी 🙏👌
हटाएंसमभाव भरी ये पुण्यधरा
जवाब देंहटाएंगीता भी जहाँ , क़ुरान भी है
कुनबा ये वासुदेव का है,
यहाँ राम है ,तो रहमान भी है,
कभी ना आंको कम,
इस परिवार की शक्ति को !
ऐसी सोच काश हर भारतीय की हो । यहाँ तो सब अवसरवादी हैं अफवाहें फैला कर आपस में लड़वा देते हैं ।
बहुत सुंदर सोच के साथ मन के भाव इस रचना में उतारे हैं ।बहुत खूब ।
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के साथ आपका स्नेह यहां अंकित हुआ।
हटाएंहार्दिक आभार आपका प्रिय दीदी 🙏🙏🌷🌷
जवाब देंहटाएंराम आराध्य जन- जन के
युगपुरुष चेतना के उत्तम,
जगहित दिया मर्यादित रामपथ ,
हुये सृष्टि के नायक सर्वोत्तम ;
रामराज्य के रूप में जग जाना
राघव सरकार की शक्ति को !!..बहुत सुंदर भाव भगवान श्रीराम जी के लिए, न्यायालय का ये फैसला आया,उस वक्त पूरे भारतवर्ष में खुशी की लहर दौड़ गई,आखिर बहवान राम का वनवास जो खत्म हुआ था।, इतनी महान खुशी के लिए हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई।
हार्दिक आभार प्रिय जिज्ञासा जी 🙏🌷🌷❤️💐
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