'पावन , निर्मल प्रेम सदा ही -- रहा शक्ति मानवता की , जग में ये नीड़ अनोखा है - जहाँ जगह नहीं मलिनता की ;; मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
मेरी प्रिय मित्र मंडली
शुक्रवार, 14 नवंबर 2025
सुनो बालक!
तुम्हारे ये धरती - अम्बर
तपो रे ! संघर्ष -अगन में,
बंद मुट्ठी में देखो अपनी!
तुम्हारे ये धरती - अम्बर
बुधवार, 9 जुलाई 2025
शिशु -सी माँ!!
देखते -देखते ब्लॉग -लेखन को आठ साल हो चले!
इस अवसर पर अपने स्नेही पाठकों के प्रति आभार प्रकट करना चाहती हूँ !सभी साथी रचनाकारों के अतुलनीय सहयोग और मार्गदर्शन के बिना कुछ भी संभव ना था! सभी का हार्दिक अभिनन्दन और आभार🙏

** ***********

शिशु- सी होती जाती माँ!
अब हर बात समझ न पाती माँ!
कुछ भूली कुछ याद रही
जो याद है कह ना पाती माँ!
स्मृति लोक हुए धुंधले,
ना भटकती बीते लम्हों में !
जो आज है वो सबसे बेहतर
ये सोच के खुश हो जाती माँ !
साथ ना देती जर्ज़र काया
हुआ सफर जीवन का दूभर अब
पर चलती जाती अपनी धुन में
तनिक भी ना घबराती माँ!
पाने की ख़ुशी ना खोने का गम
हर तृष्णा छोड़ बढ़ी आगे
ना कोई समझाइश देती अब
विरक्त सी होती जाती माँ!
गिला रहा ना कोई शिकवा
भीतर दुआ बस शेष यही
हर बात में दे आशीष हरदम
मंद- मंद मुस्काती माँ!
रविवार, 29 जून 2025
कहो कवि!
कवि! तुम कहाँ लिख सकोगे
कहानी नारी के अधिकार की!
मुक्त न हो पाई जिससे कभी
उस मन के कारागार की!!
ना पढ़ पाओगे सूने नयन के
खंडित सपनों की ये भाषा !
ना आ सकी विदीर्ण मन के
काम कोई जग की दिलासा!
सब खोये अपनी लगन में
कौन था अपना यहाँ?
असहनीय थी ,बेगानों से ज्यादा
चोट अपनों की मार की!
कवि! तुम कहाँ लिख सकोगे
कहानी नारी के अधिकार की
पिंजरे में बन्द मैना युगों से
गाती सबसे रसीला गान कवि!
उन्मुक्त उड़ान की चाह को उसकी
कोई कब पाया जान कवि!
समाएगी कैसे अस्फुट स्वरों में
पीर स्वर्णिम कैद की!
गीत में ना ढल सका जो
उस निःशब्द हाहाकार की!
कवि! तुम कहाँ लिख सकोगे
कहानी नारी के अधिकार की!
सत्य पर भ्रमित पति से
क्या प्रेम का प्रतिफल मिला?
ऋषि गौतम के शाप से
जो बन गई शापित शिला!
आगंतुकों की ठोकर में
पड़ी रही निस्पंद जो
कौन व्यथा जान सका
उस अहल्या नार की! //
कवि! तुम कहाँ लिख सकोगे
कहानी नारी के अधिकार की
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)
विशेष रचना
मन पाखी की उड़ान -- प्रेम गीत ( prem geet)
मन पाखी की उड़ान तुम्हीं तक मन मीता जी का सम्बल तुम एक भरते प्रेम घट रीता ! नित निहारें नैन चकोर ना नज़र में कोई दूजा हो...
