मेरी प्रिय मित्र मंडली

शुक्रवार, 14 नवंबर 2025

सुनो बालक!

तुम्हारे ये धरती - अम्बर 
ये विश्व तुम्हारा हो!
आज भले  दुविधा में उलझा 
उज्जवल भविष्य तुम्हारा हो !

तपो रे ! संघर्ष -अगन में, 
बन जाओ दमकता कुंदन!
वरण करो न्याय -पथ का ही 
पाओ विपुल यश- वैभव धन !
बनो गौतम-गाँधी से ,
गौरव अक्षय तुम्हारा हो !

  

बंद मुट्ठी में देखो अपनी!
श्रम असीम छुपा है!
तम को जो मिटा दे जग से
वो पावन उजास छुपा है!
पीड़ मानवता की  हरना 
बस लक्ष्य तुम्हारा हो !!

तुम्हारे ये धरती - अम्बर 
ये विश्व तुम्हारा हो ,
भले आज दुविधा में उलझा 
उज्जवल भविष्य तुम्हारा हो
!!

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