मेरी प्रिय मित्र मंडली

शनिवार, 19 अगस्त 2017

सुनो मनमीत ------------ नवगीत -------

सुनो  --   मनमीत ---------नवगीत -



प्रेम  - पगे मन से आ मिल कर 
इक अमर - गीत लिखें हम -तुम ! 
हार के भी सदा जीती है 
जग में प्रीत लिखें हम - तुम !  

तन पर अनगिन जख्म सहे 
तब जाकर साकार हुई   ,
मंदिर में रखी मूर्त यूँ हुई 
पूज्य -पुनीत लिखें हम -तुम ! 
हार  के  भी सदा  जीती  है -
जग  में प्रीत  लिखे  हम  तुम ! 
जो उलझ गई तूफानों से 
वो भवसागर से पार हुई ,
उल्टी लहरों पर कश्ती ने  
रचा जीवन - संगीत लिखें हम- तुम !
हार  के  भी सदा  जीती  है 
जग  में प्रीत  लिखे  हम  तुम !! 
जब  राह ना  मिलती  इस  जग  से 
तो चुनके  राह सितारों की ,
मिलते   जीवन  के पार  कहीं 
वो  मन के  मीत  लिखें  हम -तुम !!
हार  के  भी सदा  जीती  है 
जग  में प्रीत  लिखे  हम  तुम !! 

36 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह.....सुंदर ,मंदिर की पवित्र ज्योत सी शुद्ध भाव लिये सुंदर कविता रेणु जी।

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    1. आदरणीय श्वेता जी -- आपके प्रेरक शब्द उत्साहवर्धन करते हैं ------- हार्दिक आभार आपका -------

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    1. आदरणीय लोकेश जी ------ हार्दिक आभार आपका ---

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 21 अगस्त 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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    1. प्रिय एकलव्य ------- हार्दिक आभारी हूँ आपकी - इस सम्मान के लिए --------

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  4. बहुत ही सुंदर शब्दों एवं भावों से सजी रचना ।
    जब राह ना मिलती इस जग से
    तो चुनके राह सितारों की ,
    मिलते जीवन के पार कहीं --
    वो मन के मीत लिखें हम तुम !!
    बेहद सुंदर पंक्तियाँ ! बधाई रेणुजी।

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    1. आदरणीय मीना जी -- बहुत आभार आपका सशक्त टिप्पणी के लिए -----

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  6. वाह ! क्या कहने हैं ! बहुत ही खूबसूरत रचना की प्रस्तुति हुई है ! लाजवाब ! बहुत सुंदर आदरणीया ।

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    1. आदरणीय राजेश जी -------उत्साहवर्धन करते आपके सुन्दर शब्दों के लिए हार्दिक आभार -------

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  7. सुन्दर मनभावन सी.......
    मिलकर प्रीत लिखें हम तुम....
    लाजवाब...

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    1. आदरणीय सुधा जी ---- बहुत उत्साह वर्धक हैं आपके शब्द !!!! आभार आपका ---

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  8. प्रेम भी तो एक तूफ़ान है जिसको मनमीत के साथ ही पार करना होता है ...
    सुख दुःख और सह भाव जीवन को पार लगाता है ...

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  9. कल्पनाशीलता के तरंग पर आसन्नयये पंक्तियाँ कविता को ऊच्च आयाम दे रही हैं....

    जब राह ना मिलती इस जग से
    तो चुनके राह सितारों की ,
    मिलते जीवन के पार कहीं --
    वो मन के मीत लिखें हम तुम !!

    आदरणीय रेणु जी, सतत् यूँ ही लिखते रहें.... शुभकामनाएँ

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    1. आदरणीय पुरुषोत्तम जी आपकी शुभकामनाओं के लिए बहुत आभारी हूँ -----

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  10. आदरणीय रेणु जी आपका शब्द चयन और शैली अत्यंत प्रभावशाली है जिसमें गूंथे गए भाव सीधे दिल में उतरते हैं। प्रेम में आपने हार का ज़िक्र किया है जोकि प्रेम के पल्लवित होने की पराकाष्ठा है। कुछ ऐसे ही भावों के साथ आदरणीय मीना शर्मा जी ने भी रची है बड़ी ही ख़ूबसूरत रचना -"कबूल है हार " .
    बधाई एवं शुभकामनाऐं !

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    1. आदरणीय रविन्द्र जी -------- आपके उत्साहवर्धन करते शब्दों के लिए बहुत आभारी हूँ आपकी | आपने रचना में छुपे मर्म को पहचाना | सचमुच प्रेम की जीत उसका लौकिक पक्ष है तो हार उसको आलौकिक बना देती है | मैंने भी मीना जी की '' काबुल है हार '' पढ़ी है -- भले ही अभी तक मैं उस पर अपनी टिप्पणी नहीं कर पाई हूँ | इसमें प्रेम के स्वाभिमानी रूप को बड़ी ही सरलता और भावुकता से उकेरा गया है | निश्चित रूप से से बेहद उत्कृष्ट रचना है | आप के शब्द अनमोल हैं |

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  11. उत्तर
    1. आदरणीय आलोक जी ----- मेरे ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है आपका -- बहुत आभारी हूँ कि आपने रचना पढ़ी ----

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  12. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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    1. प्रिय अमन -- बहुत खुश हूँ कि आप ब्लॉग तक आ पाए | हार्दिक स्वागत है आपका मेरे रचनात्मक संसार में -----

      हटाएं
    2. प्रिय अमन -- बहुत खुश हूँ कि आप ब्लॉग तक आ पाए | हार्दिक स्वागत है आपका मेरे रचना संसार में -----

      हटाएं
  13. सुनो मनमीत ....बहुत प्यारी रचना

    जवाब देंहटाएं
  14. सुनो मनमीत......बहुत सुंदर रचना रेणु जी

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  15. वाह क्या लिखा हम तुम 👏👏👏👏👏
    रेनू जी सरस ओर भाव प्रवीण ।
    हम तुम गर यू ही साथ रहे तो
    लिखना सुनना सब सब हम तुम
    हम तुम तुम हम एहसास रहे तो
    जीवन संगीत लिखे हम तुम ।

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    उत्तर
    1. प्रिय इंदिरा जी -- हार्दिक स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर | आपको रचना पसंद आई मुझे बहुत ख़ुशी हुई | आपकी काव्यात्मक टिपण्णी ने रचना के अधूरे भावों को पूरा कर दिया बहना | ये शब्द सही अर्थ में रचना से भी कहीं सुंदर हैं सस्नेह आभार आपका

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  16. आप सचमुच काव्य पारखी समर्थ रचनाकारा हैं बहुत सुंदर लेखन है आपका जितनी प्रशंसा करुं कम
    लाजवाब सुंदर पावन रचना
    जैसे मन्दिर मे हो प्रज्जवलित दीपक।

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    1. प्रिय कुसुम जी --- मेरी रचना आपकी सराहना से सार्थक बन गयी है | आभारी रहूंगी आपकी |

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