ख़त नहीं दिल भेजा था
क्या तुमने अंजाम किया ?
बेहतर बात ये तुम तक रहती
तुमने चर्चा आम किया !
वफ़ा का इकरार किया
बेइन्तहा प्यार किया ,
इश्क खुमारी सर चढ़ बोली
सजदा रात- भिनसार किया !!
दावते -इश्क तुम्हीं ने दी थी ,
भेज गुलाब उम्मीदों के ,
फिर क्यों बैठ सरे महफ़िल
नाम मेरा बदनाम किया ?
तुम्हें पाने की कोशिश
तमाम हुई, नाकाम हुई ,
फिजूल चाहत में ख्वाब मिटे ,
रुसवा यूँ सरेआम किया !!
संदर्भ ---- हमकदम -- पञ्च लिंक --रचना लेखन -विषय निम्न पंक्तियाँ -
इन्तजार , इज़हार ,गुलाब ,ख्वाब , नशा
उसे पाने की कोशि श तमाम हुई - सरेआम हुई
द्वारा- रोहितास घोडेला जी --
स्वरचित --रेणु
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (14-05-2017) को "माँ है अनुपम" (चर्चा अंक-2970) ) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आदरणीय राधा जी --- आपके सहयोग की आभारी हूँ
हटाएंअच्छे भाव.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएं
हटाएंआदरणीय अयंगर जी -- सादर आभार और नमन |
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १४ मई २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
प्रिय श्वेता -- आपका सहयोग उत्साहवर्धक है |
हटाएंसूंदर रचना रेणु जी विषय से जुड़ा और विषय को समेटे अपनी पहचान लीए शब्दसंकलन का सुंदर स्वरूप शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंप्रिय सुप्रिया -- आपके प्रेरक स्ज्ब्दों के लिए आभारी हूँ | सस्नेह --
हटाएंवाह!!रेनु जी ,बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंप्रिय शुभा जी -- सस्नेह आभार आपका |
हटाएंसुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंलिखते रहिएगा।
आदनी रोहितास जी -- आपके प्रेरक शब्दों के लिए शुक्रिया |
हटाएंवाह दी , बहुत सुदर शब्द आलेख ।
जवाब देंहटाएंप्रिय सागर -- आपको सस्नेह आभार |
हटाएंवाह ! एकदम अलग मूड की कविता....शिकवे शिकायतें भी जरूरी हैं.....
जवाब देंहटाएंप्रिय मीना बहन --सस्नेह ,सादर आभार |
हटाएंयदि इसे गजल या गीतिका के मापदंडों पर और रख दिया जाए तो यह उत्तम सृजन होगा ।
जवाब देंहटाएंउत्तम सृजन की हार्दिक बधाइयाँ
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हटाएंआदरनीय नवीन जी --आपके विद्वतापूर्ण विवेचन के लिए अभारी हूँ | आपने बहुत ही उत्तम विचार लिखा पर मैं बहुत आभारी रहूंगी यदि आप इस रचना अथवा दूसरी रचना के माध्यम से मेरा मार्गदर्शन करें | यही सुझाव मुझे परम आदरणीय रंगराज अयंगार जी ने भी दिया था -- पर मैं समझ नही पाती कि कौन सुधार अपेक्षित है | मैं तो त्वरित उमड़े भाव स्वछन्द हो लिख देती हूँ | आशा है मार्गदर्शन देंगे |
हटाएंख़त नही दिल भेजा था --
जवाब देंहटाएंक्या तुमने अंजाम किया ?
बेहतर बात ये तुम तक रहती -
तुमने चर्चा आम किया !
बहुत उम्दा रचना आदरणीया
आदरणीय लोकेश जी --सादर आभार आपका |
हटाएंख़त नही दिल भेजा था --
जवाब देंहटाएंक्या तुमने अंजाम किया ?
बेहतर बात ये तुम तक रहती -
तुमने चर्चा आम किया !
bahut sundar ,ati uttam,Renu ji
आदरणीय शैल जी -- आपके अनमोल शब्दों के लिए आभार और स्वागत आपका मेरे ब्लॉग पर |
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंनिमंत्रण
जवाब देंहटाएंविशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
प्रिय ध्रुव ---- लिंक संयोजन पर आपका शोध प्रशंसनीय है | सस्नेह --
हटाएंप्रेम तो बेवफ़ा होता है रुसवा करता है बदनाम करता है पर इसपे बस भी कहाँ होता है ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब अहसास झलकता है प्रेम शब्दों में ...
आदरणीय दिगम्बर जी -- सादर आभार आपका !!!
हटाएंख़त नही दिल भेजा था --
जवाब देंहटाएंक्या तुमने अंजाम किया
अत्यन्त सुन्दर रचना रेणु जी ।
प्रिय मीना जी -- सस्नेह आभार रचना पसंद करने के लिए |
हटाएंबहुत ही अच्छा लेखन
जवाब देंहटाएंप्रिय मयंक -- सस्नेह आभार आपका |
हटाएंक्या खूबसूरत अंदाज़ है. मन को उभरानेवाली एक दिलकश रचना
जवाब देंहटाएंप्रिय संजय -- हार्दिक आभार आपका | सस्नेह |
हटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंआदरणीय हिमकर जी -- हार्दिक स्वगी है आपका ब्लॉग पर | रचना पसंद करने के लिए आभारी हूँ |
हटाएंवाह ! क्या बात है ! लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजेश जी -- बहत दिनों बाद ब्लॉग पर आपके भ्रमण से मन को अपार हर्ष हुआ है | सादर आभार |
हटाएंबहुत सुन्दर मनोभाव पर आधारित रचना ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दीदी |
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