छह साल का क्षितिज 🙏🙏
शुक्रिया और आभार स्नेही पाठक वृन्द
छह सालों की सुखद रचना -यात्रा में आत्मीयता भरा साथ देने के लिए 🙏🙏🌹🌹
शुरू करूँगी जिस दिन
जिदंगी की किताब मैं
लिख दूँगी पल-पल का
तब इसमें हिसाब मैं |
सौंप दूँगी फिर तुम्हें
जिदंगी की किताब मैं
लिख दूँगी पल-पल का
तब इसमें हिसाब मैं |
सौंप दूँगी फिर तुम्हें
मन भीतर रख लेना इसे,
नज़र बचा दुनिया की
चुपके से पढ़ लेना इसे!
चुपके से पढ़ लेना इसे!
तुम्हारे हवाले ही करुँगी
अनकहे सब राज़ मैं!
व्यर्थ दौड़ाया उम्र भर,
तितलियों ने आस की।
अनकहे सब राज़ मैं!
व्यर्थ दौड़ाया उम्र भर,
तितलियों ने आस की।
बढ़े अनगिन साल पर ,
ना बढ़ी उम्र एहसास की।
ना बढ़ी उम्र एहसास की।
आखर-आखर पिरो दूँगी
भीतर संजोये खाब मैं!
भीतर संजोये खाब मैं!
किस-किस ने सताया और
रुलाया यूँ ही बेवजह मुझे,
रहा जिसका इन्तजार सदा
रहा जिसका इन्तजार सदा
ना नज़र आई वो सुबह मुझे,
अपने किसी सवाल का कब
पा सकी कोई जवाब मैं?
शुरू करूँगी जिस दिन
जिदंगी की किताब मैं
लिख दूँगी पल-पल का
तब इसमें हिसाब मैं
जिदंगी की किताब मैं
लिख दूँगी पल-पल का
तब इसमें हिसाब मैं
चित्र -गूगल से साभार
जहाँ से शुरु हुआ था सफर 🙏🙏
(ब्लॉग पर पहला लेख )
https://renuskshitij.blogspot.com/2017/07/blog-post.html
शुरू करूँगी जिस दिन
जवाब देंहटाएंजिदंगी की किताब मैं
लिख दूँगी पल-पल का
तब इसमें हिसाब मैं
व्वाहहहहहहह
सादर
शुक्रिया और आभार प्रिय दीदी।🙏
हटाएंलंबे समय के उपरांत आपकी इस भांति उपस्थिति अत्यन्त सुखद है रेणु जी। ज़िन्दगी की किताब अगर लिखनी है तो शुरु कर ही दीजिए (अब तक शुरु नहीं की है तो)।
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक स्वागत है जितेन्द्र जी।जीवन की किताब लिखना अत्यंत दुष्कर कार्य है।इसके लिए बहुत चिंतन और मनन दरकार है।फिर भी यदि संकल्प है तो रास्ता बन ही जाता है।आभार आपका एक सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए 🙏
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका 🙏
हटाएंजो बीत गयी सो बात गयी !
जवाब देंहटाएंअब तुझको आगे बढ़ना है, अपनी शर्तों पर जीना है ---
जी आदरणीय गोपेश जी।जीवन चलने का नाम।हार्दिक आभार आपकी भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए 🙏
हटाएंबहुत ख़ूब … जिस पल लिखना हो जीवन का हर हिसाब लिख देना … पर वो समय आ ही नहीं पाता … जीवन की गति ऐसी है समय नहीं देती …
जवाब देंहटाएंकोमल एहास पिरोए हैं आपने इस भावपूर्ण गहरी रचना में … बहुत बधाई रेणु जी …
आपकी स्नेहिल उपस्थिती के लिए हार्दिक आभार आपका दिगम्बर जी 🙏
हटाएंखूबसूरत भाव अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार आपका अनीता जी 🙏
हटाएंबहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआपका आभार और अभिनंदन भारती जी 🙏
हटाएंबहुत सुंदर मनोभावों से सजी रचना!
जवाब देंहटाएंनवसृजन की प्रेरणा देता लाजवाब गीत। बहुत शुभकामनाएँ और बधाई।
प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए आभार आपका प्रिय जिज्ञासा 🙏
हटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति । छह साल की सफल सृजन यात्रा हेतु आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्द्धक और आत्मीयता भरी प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार प्रिय मीनाजी 🙏
हटाएंशुरू करूँगी जिस दिन
जवाब देंहटाएंजिदंगी की किताब मैं
लिख दूँगी पल-पल का
तब इसमें हिसाब मैं
सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय ।
हार्दिक आभार आपका दीपक जी 🙏
हटाएंवाह! प्रिय रेणु जी ,बहुत खूब । जिंदगी की किताब और पल-पल का हिसाब ....वाह!!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका प्रिय शुभा जी।आपकी वाह अत्यंत उत्साहवर्धक है।🙏
हटाएंज़िंदगी की किताब में दर्ज होता है पल पल का हिसाब, कोई पढ़ने वाला चाहिए, सुंदर रचना, बहुत बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार और अभिनंदन प्रिय अनीता जी 🙏
हटाएंदेखो कहीं गँवा न दो,
जवाब देंहटाएंइसी हिसाब किताब में।
किसने सताया और रुलाया,
इसी सवाल जवाब में।
मानो मेरी, बढ़ी चलो,
ठिठको न कभी ठाँव में।
ज़िंदा जिंदगानी ये,
कभी धूप, कभी छांव में।
वाह! इस प्रेरक और भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार और प्रणाम आदरणीय विश्वमोहन जी।🙏
हटाएंब्लॉग के छठे सालगिरह की बधाई।ज़िंदगी में हिसाब करना दुरूह है, कभी भी दो और दो मिल के चार नहीं होते!
जवाब देंहटाएंमत आंको ज़िंदगी को किताब में,
ये ऐसे ही मिला करती है,
कभी हक़ीक़त, कभी ख़्वाब में!☺️💐
प्रिय रश्मि जी,इन प्रेरक और स्नेहिल उदगारों के साथ आपकी ब्लॉग पर उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार!
हटाएं
जवाब देंहटाएंसुनो! कुछ आँसू और दर्द
न लेकर चल बे-रूख़ी का गर्द
सफ़र की सुनहरी यादों वाली
सौंपनी है सौगात पीढ़ियों को
तुम ज़िंदगी की किताब में
अपने पल-पल के हिसाब में
एहसास और ख़्वाब की खुशबू
पन्नों पे लिखना जीने की जुस्तजू..।
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मेरी प्यारी दी,
आपकी लेखनी की यात्रा निरंतर चलती रहे और सबसे अलग एक पहचान बनाती रहे मेरी भी शुभकामनाएं स्वीकार करिए दी।
हर कविता की तरह आपने इस कविता में भी ज़ज़्बात पिरोया है।
बेहतरीन अभिव्यक्ति।
सप्रेम
सादर।
प्रिय श्वेता बहुत ही शानदार काव्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए ढेरों आभार।।जितनी बार पढी उतने ही नये अर्थ मिले। तुम सबके साथ ये छह साल बहुत शानदार गुजरे आगे भी सबका साथ बना रहे यही कामना है।हार्दिक स्नेह के साथ अनंत शुभकामनाएं।
हटाएंवाह | शुभकामनाएं|
जवाब देंहटाएंस्वागत और आभार आदरनीय सुशील जी 🙏
हटाएंबड़ी ही उम्दा अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका सदैव ही स्वागत है प्रिय मनोज 🙏
हटाएंवाह ! सराहनीय अभिव्यक्ति रेणु जी!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और स्वागत आदरणीय मिश्र जी 🙏
हटाएंआप लिखते रहें।
जवाब देंहटाएंये रचना दिमाग़ी रचना लगी मुझे.
इस रचना ने शायद जन्म नहीं लिया.
लिखने की यात्रा लंबी हो या कि छोटी,,,,
शानदार रचनाएँ चिरस्थायी होती रही है.
मैं लय खो चुका हूँ… ये नया मलाल जुड़ गया है.
रोहित घोड़ेला
हटाएंप्रिय रोहित,सबसे पहले तो इतने दिन बाद मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार।तुम्हारी बेबाक टिप्पणी का दिल से स्वागत है।एक गम्भीर पाठक जब इतनी बड़ी बात कहता है तो निश्चित रूप से ये रचना पर गहन चिंतन के बाद कही गई है।तुम लय खो चुके मैं भी अपने बारे में यही सोचने लगी हूँ।शायद ये सच नहीं,असल में दूसरे दायित्व अक्सर हमें हमारे शौक या अभिव्यक्ति से दूर कर देते हैं। तुम भी लय में लौटने की कोशिश करो।मैने भी प्रयास शुरु कर दिया है।इस बेबाक विचार के लिए एक बार फिर आभार।
जवाब देंहटाएंआपके कहने पर मैंने प्रयास किया है, आप जानते हैं.
हटाएंआप अपनी रचनाओं से अवगत करवाते रहें बहना.
अच्छा लगता है आपको पढ़कर.
शुक्रिया रोहित!
हटाएंवाह बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंरहा जिसका इन्तजार सदा
जवाब देंहटाएंना नज़र आई वो सुबह मुझे,
अपने किसी सवाल का कब
पा सकी कोई जवाब मैं?
बस यही तो मलाल रहता है.. परन्तु कितनी की किताबें लिख लें , वे कभी नहीं समझेंगे उन भावों को ,जो साथ होकर भी मन नहीं समझते या परवाह नहीं करते ....हमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब एवं हृदयस्पर्शी सृजन ।
वाह!!!
प्रिय सुधा जी, आपकी विस्तृत आत्मीयता भरी प्रतिक्रिया के लिए कोटि- कोटि आभार!🙏
हटाएंबहुत सुंदर रचना है आप की रचना के माध्यम से लगा जैसे आप से मुलाक़ात हो गई, मैं भी अपनी डायरी में क़भी सुख कभी दुख के पल संजोती रहती हूँ,,स्नेह और शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंइस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत आभार मधुलिका जी | ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
हटाएंशुरू करूँगी जिस दिन
जवाब देंहटाएंजिदंगी की किताब मैं
लिख दूँगी पल-पल का
तब इसमें हिसाब मैं |
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
स्वागत और आभार हरीश जी 🙏
हटाएंबहुत ही से सुंदर किताब होगी यह।:)
जवाब देंहटाएंस्वागत और आभार प्रिय वंदना जी🙏
हटाएंस्वागत और आभार वंदना जी🙏
हटाएंबहुत अच्छी कविता. बधाई और सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंस्वागत है तुषार जी🙏
हटाएंशानदार रचना ...सौंप दूँगी फिर तुम्हें
जवाब देंहटाएंमन भीतर रख लेना इसे...वाह क्या बात है...रेणु जी
आपका हार्दिक अभिनंदन है अलकनंदा जी🙏🌹
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