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शनिवार, 8 जुलाई 2023

जिस दिन लिखूँगी

छह साल का क्षितिज 🙏🙏
शुक्रिया और आभार स्नेही पाठक वृन्द
छह सालों की सुखद  रचना -यात्रा में  आत्मीयता भरा साथ देने के लिए 🙏🙏🌹🌹


शुरू करूँगी जिस दिन
जिदंगी की किताब मैं
लिख दूँगी  पल-पल का 
तब इसमें हिसाब मैं |

सौंप दूँगी  फिर तुम्हें
मन भीतर रख लेना इसे,
नज़र बचा दुनिया की 
चुपके से पढ़ लेना इसे!
तुम्हारे हवाले ही करुँगी
अनकहे  सब  राज़   मैं!

व्यर्थ दौड़ाया उम्र भर,
तितलियों ने आस की।
बढ़े  अनगिन  साल  पर ,
ना  बढ़ी उम्र   एहसास की।
आखर-आखर पिरो दूँगी 
भीतर संजोये खाब मैं!

किस-किस ने सताया और 
रुलाया  यूँ ही बेवजह मुझे,
रहा जिसका  इन्तजार सदा 
ना नज़र आई वो सुबह मुझे,
अपने किसी सवाल का कब 
पा सकी कोई जवाब मैं?

शुरू करूँगी जिस दिन
जिदंगी की किताब मैं
लिख दूँगी  पल-पल का 
तब इसमें हिसाब मैं 
 
चित्र -गूगल से साभार 

जहाँ से शुरु हुआ था सफर 🙏🙏
(ब्लॉग पर पहला लेख )

https://renuskshitij.blogspot.com/2017/07/blog-post.html

50 टिप्‍पणियां:

  1. शुरू करूँगी जिस दिन
    जिदंगी की किताब मैं
    लिख दूँगी पल-पल का
    तब इसमें हिसाब मैं
    व्वाहहहहहहह
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. लंबे समय के उपरांत आपकी इस भांति उपस्थिति अत्यन्त सुखद है रेणु जी। ज़िन्दगी की किताब अगर लिखनी है तो शुरु कर ही दीजिए (अब तक शुरु नहीं की है तो)।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका हार्दिक स्वागत है जितेन्द्र जी।जीवन की किताब लिखना अत्यंत दुष्कर कार्य है।इसके लिए बहुत चिंतन और मनन दरकार है।फिर भी यदि संकल्प है तो रास्ता बन ही जाता है।आभार आपका एक सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए 🙏

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  3. जो बीत गयी सो बात गयी !
    अब तुझको आगे बढ़ना है, अपनी शर्तों पर जीना है ---

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    1. जी आदरणीय गोपेश जी।जीवन चलने का नाम।हार्दिक आभार आपकी भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए 🙏

      हटाएं
  4. बहुत ख़ूब … जिस पल लिखना हो जीवन का हर हिसाब लिख देना … पर वो समय आ ही नहीं पाता … जीवन की गति ऐसी है समय नहीं देती …
    कोमल एहास पिरोए हैं आपने इस भावपूर्ण गहरी रचना में … बहुत बधाई रेणु जी …

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    1. आपकी स्नेहिल उपस्थिती के लिए हार्दिक आभार आपका दिगम्बर जी 🙏

      हटाएं
  5. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  6. जिज्ञासा सिंह10 जुलाई 2023 को 3:03 am बजे

    बहुत सुंदर मनोभावों से सजी रचना!
    नवसृजन की प्रेरणा देता लाजवाब गीत। बहुत शुभकामनाएँ और बधाई।

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    1. प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए आभार आपका प्रिय जिज्ञासा 🙏

      हटाएं
  7. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति । छह साल की सफल सृजन यात्रा हेतु आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ ।

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    1. उत्साहवर्द्धक और आत्मीयता भरी प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार प्रिय मीनाजी 🙏

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  8. शुरू करूँगी जिस दिन
    जिदंगी की किताब मैं
    लिख दूँगी पल-पल का
    तब इसमें हिसाब मैं
    सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय ।

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह! प्रिय रेणु जी ,बहुत खूब । जिंदगी की किताब और पल-पल का हिसाब ....वाह!!

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    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आपका प्रिय शुभा जी।आपकी वाह अत्यंत उत्साहवर्धक है।🙏

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  10. ज़िंदगी की किताब में दर्ज होता है पल पल का हिसाब, कोई पढ़ने वाला चाहिए, सुंदर रचना, बहुत बहुत बधाई !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सस्नेह आभार और अभिनंदन प्रिय अनीता जी 🙏

      हटाएं
  11. देखो कहीं गँवा न दो,
    इसी हिसाब किताब में।
    किसने सताया और रुलाया,
    इसी सवाल जवाब में।
    मानो मेरी, बढ़ी चलो,
    ठिठको न कभी ठाँव में।
    ज़िंदा जिंदगानी ये,
    कभी धूप, कभी छांव में।

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    1. वाह! इस प्रेरक और भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार और प्रणाम आदरणीय विश्वमोहन जी।🙏

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  12. ब्लॉग के छठे सालगिरह की बधाई।ज़िंदगी में हिसाब करना दुरूह है, कभी भी दो और दो मिल के चार नहीं होते!
    मत आंको ज़िंदगी को किताब में,
    ये ऐसे ही मिला करती है,
    कभी हक़ीक़त, कभी ख़्वाब में!☺️💐

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    उत्तर
    1. प्रिय रश्मि जी,इन प्रेरक और स्नेहिल उदगारों के साथ आपकी ब्लॉग पर उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार!

      हटाएं

  13. सुनो! कुछ आँसू और दर्द
    न लेकर चल बे-रूख़ी का गर्द
    सफ़र की सुनहरी यादों वाली
    सौंपनी है सौगात पीढ़ियों को
    तुम ज़िंदगी की किताब में
    अपने पल-पल के हिसाब में
    एहसास और ख़्वाब की खुशबू
    पन्नों पे लिखना जीने की जुस्तजू..।
    ----
    मेरी प्यारी दी,
    आपकी लेखनी की यात्रा निरंतर चलती रहे और सबसे अलग एक पहचान बनाती रहे मेरी भी शुभकामनाएं स्वीकार करिए दी।
    हर कविता की तरह आपने इस कविता में भी ज़ज़्बात पिरोया है।
    बेहतरीन अभिव्यक्ति।
    सप्रेम
    सादर।

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    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता बहुत ही शानदार काव्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए ढेरों आभार।।जितनी बार पढी उतने ही नये अर्थ मिले। तुम सबके साथ ये छह साल बहुत शानदार गुजरे आगे भी सबका साथ बना रहे यही कामना है।हार्दिक स्नेह के साथ अनंत शुभकामनाएं।

      हटाएं
  14. बड़ी ही उम्दा अभिव्यक्ति

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    उत्तर
    1. ब्लॉग पर आपका सदैव ही स्वागत है प्रिय मनोज 🙏

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  15. वाह ! सराहनीय अभिव्यक्ति रेणु जी!

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    उत्तर
    1. हार्दिक आभार और स्वागत आदरणीय मिश्र जी 🙏

      हटाएं
  16. आप लिखते रहें।
    ये रचना दिमाग़ी रचना लगी मुझे.
    इस रचना ने शायद जन्म नहीं लिया.

    लिखने की यात्रा लंबी हो या कि छोटी,,,,
    शानदार रचनाएँ चिरस्थायी होती रही है.

    मैं लय खो चुका हूँ… ये नया मलाल जुड़ गया है.

    जवाब देंहटाएं
  17. प्रिय रोहित,सबसे पहले तो इतने दिन बाद मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार।तुम्हारी बेबाक टिप्पणी का दिल से स्वागत है।एक गम्भीर पाठक जब इतनी बड़ी बात कहता है तो निश्चित रूप से ये रचना पर गहन चिंतन के बाद कही गई है।तुम लय खो चुके मैं भी अपने बारे में यही सोचने लगी हूँ।शायद ये सच नहीं,असल में दूसरे दायित्व अक्सर हमें हमारे शौक या अभिव्यक्ति से दूर कर देते हैं। तुम भी लय में लौटने की कोशिश करो।मैने भी प्रयास शुरु कर दिया है।इस बेबाक विचार के लिए एक बार फिर आभार।

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    उत्तर
    1. आपके कहने पर मैंने प्रयास किया है, आप जानते हैं.
      आप अपनी रचनाओं से अवगत करवाते रहें बहना.
      अच्छा लगता है आपको पढ़कर.

      हटाएं
  18. रहा जिसका इन्तजार सदा
    ना नज़र आई वो सुबह मुझे,
    अपने किसी सवाल का कब
    पा सकी कोई जवाब मैं?
    बस यही तो मलाल रहता है.. परन्तु कितनी की किताबें लिख लें , वे कभी नहीं समझेंगे उन भावों को ,जो साथ होकर भी मन नहीं समझते या परवाह नहीं करते ....हमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब एवं हृदयस्पर्शी सृजन ।
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय सुधा जी, आपकी विस्तृत आत्मीयता भरी प्रतिक्रिया के लिए कोटि- कोटि आभार!🙏

      हटाएं
  19. बहुत सुंदर रचना है आप की रचना के माध्यम से लगा जैसे आप से मुलाक़ात हो गई, मैं भी अपनी डायरी में क़भी सुख कभी दुख के पल संजोती रहती हूँ,,स्नेह और शुभकामनाएँ ।

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    उत्तर
    1. इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत आभार मधुलिका जी | ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |

      हटाएं
  20. शुरू करूँगी जिस दिन
    जिदंगी की किताब मैं
    लिख दूँगी पल-पल का
    तब इसमें हिसाब मैं |
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ

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  21. बहुत ही से सुंदर किताब होगी यह।:)

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  22. बहुत अच्छी कविता. बधाई और सादर अभिवादन

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  23. शानदार रचना ...सौंप दूँगी फिर तुम्हें
    मन भीतर रख लेना इसे...वा‍ह क्या बात है...रेणु जी

    जवाब देंहटाएं

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