मेरी प्रिय मित्र मंडली

सोमवार, 9 मार्च 2020

देखो मतवाला दिन आया

देखो मतवाला दिन आया
बिखरे होली के रंग गलियों में,
टेसू  फूले ,गुलाब महके
उडी भीनी पुष्प गंध गलियों में

 श्वेत -श्याम एक हुए 
 ना   ऊँच- नीच का भेद रहा ,
 रंग एक रंगे  सभी  देखो 
 एक दूजे के  संग -संग गलियों में !
 
  ढोल बजे हुडदंग मचे
फूला मन उड़ा  पतंग   जैसे ,
गोरी गुलाल से लाल हुई 
फैले   मधुर आनन्द  गलियों में !
   
घोंट ठंडाई   खूब  चढाये 
ना कोई बस   में  कर आये,
बड़े लाला  घूम  रहे हैं  
 मस्ती में  पी भंग गलियों में  !
  

उत्सव जगा ठहरे  जीवन में 
मस्ती के मेले  खूब सजे , 
महकी हवायें गुझिया  से  
छाई अजब  उमंग गलियों  में 
टेसू  फूले ,गुलाब महके . 
उडी भीनी पुष्पगंध गलियों में !!





36 टिप्‍पणियां:

  1. सुख, शान्ति एवम समृद्धि की मंगलमयी कामनाओं के साथ आप एवं आप के समस्त परिजनों को पावन पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ व शुभ प्रभात

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर


    1. आदरणीय पुरुषोत्तम जी , आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई

      हटाएं
  2. वाह!सखी रेनू जी ,बहुत सुंदर सृजन ! होली की ढेरों शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय शुभा जी , आपके स्नेह की आभारी हूँ | आपको भी होली मुबारक हो | सपरिवार आपकी कुशलता की कामना करती हूँ |

      हटाएं
  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 10 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार दीदी | आपको और मुखरित मौन मंच को होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

      हटाएं
  4. घोंट ठंडाई खूब चढाये
    ना कोई बस में कर आये
    बड़े लाला घूम रहे हैं
    मस्ती में पी भंग गलियों में
    टेसू फूले ,गुलाब महके .
    उडी भीनी पुष्पगंध गलियों में !!
    टेसू गुलाब के फूलों से गलियां रंगीन तो की ही साथ ही रंग में भंग घोंट कर होली का हुड़दंग मचा कर कमाल कर दिया..बहुत ही सुन्दर मनभावन लाजवाब सृजन
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय सुधा जी , आत्मीयता से भरपूर आपकी टिप्पणी मेरी रचना के लिए अनमोल हैं |सस्नेह आभार और रंग पर्व की ढेरों शुभकामनाएं और बधाई |

      हटाएं
  5. बहुत सुंदर रंग भरी रचना दी।
    भाव और प्रवाह लाज़वाब है।
    शब्दों की रंगीली पिचकारी यूँ ही बिखेरती रहे सदैव।
    मेरी स्नेहिल शुभकामनाएँ स्वीकार करें।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता . तुमने अपने स्नेह भरे शब्दों से रचना का मान बढाया | सस्नेह आभार साथ में होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई |

      हटाएं

  6. Rohitas ghorela
    मैंने ऐसी गलियां नहीं देखी
    खैर
    बहुत ही सुंदर चित्रण
    काश ऐसी गलियां हकीकत में सब के गांव में होती।

    जवाब देंहटाएं
  7. " उत्सव जगा ठहरे जीवन में
    मस्ती के मेले खूब सजे ,
    महकी हवायें गुझिया से
    छाई अजब उमंग गलियों में "
    बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ आदरणीया दीदी जी। होली की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको। सादर प्रणाम 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय आँचल , सस्नेह आभार | तुम्हें भी होली मुबारक हो | हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई |

      हटाएं
  8. श्वेत -श्याम एक हुए
    ना ऊंच- नीच का भेद रहा
    रंग एक रंगे सभी देखो
    एक दूजे के संग -संग गलियों में
    बहुत खूब...होली के रंगों की लाजवाब अभिव्यक्ति रेणु जी !! रंगोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँँ ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय मीना जी , आपके स्नेह की आभारी हूँ | आपको भी होली की ढेरों बधाईयाँ और शुभकामनायें |

      हटाएं
  9. Rohitas ghorela
    मैंने ऐसी गलियां नहीं देखी
    खैर
    बहुत ही सुंदर चित्रण
    काश ऐसी गलियां हकीकत में सब के गांव में होती

    प्रिय रोहित, , हार्दिक आभार आपने रचना पढ़ी | और ये रचना मेरे यहाँ शहर की होली का हूबहू वर्णन है | जिसे मैंने अपने यहाँ कालोनी के होली मिलन आयोजन में से में से लौटकर लिखा था | पिछले साल और उससे पिछले सालों की होली बहुत उल्लासमयी रही |, पर अबकी बार कोरोना की वजह से होली में वो बात नहीं थी | यहाँ सूखे रंगों की होली खेली जाती है | कालोनी की विकास एसोसिएसन द्वारा पुरे कालोनी निवासियों को हर्बल गुलाल उपलब्ध करवाया जाता है तो मंदिर में सिर्फ फूलों की होली खेली खेली जाती है |मात्र बच्चे पिचकारी से होली खेलते नजर आते हैं | दोपहर में सामूहिक नाश्ते तो रात में सामूहिक भोजन की व्यवस्था भी रहती है | | आत्ममुग्ध लोग इस दिन खूब प्यार और आपसी सौहार्द के साथ दिन बिताते हैं | मुझे लगता है शहरी जीवन का ये सौहार्द किन्ही अर्थों में गाँव से भी कहीं बेहतर है| और मेरे गाँव की होली मैंने शादी के बाद नहीं देखी , पर हमारे बचपन में पानी में रंग घोलकर खूब भिगोया जाता था |यदि सब लोग अच्छे से पहल करें तो ऐसी होली हर जगह मन सकती है | हाँ यदि हम सुधार के लिए दूसरों पर निर्भर रहेंगे तो शायद वो दिन आने में बहुत देर हो जाए |

    जवाब देंहटाएं
  10. टेसू फूले ,गुलाब महके .
    उडी भीनी पुष्पगंध गलियों में !!... बहुत अभिराम होली दृश्य। होली की शुभकामनाएं!!!

    जवाब देंहटाएं
  11. सादर आभार विश्वमोहन जी। आपको भी होलो मुबारक हो। हार्दिक शुभकामनायें 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  12. श्वेत -श्याम एक हुए
    ना ऊंच- नीच का भेद रहा
    रंग एक रंगे सभी देखो
    एक दूजे के संग -संग गलियों में
    होली का सच्चा रंग रूप तो यही हैं ,तुम सौभाग्यशाली हो कि आज भी इसे जी पा रही हूँ ,हमारे लिए तो अब ये गुजरे दिनों की बात हो गई।
    बहुत सुंदर रचना सखी ,सादर स्नेह

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हाँ प्रिय कामिनी , आजकल भी इस सौहार्द भरी होली का हिस्सा होना बहुत बड़ा सौभाग्य है | रचना पर आत्मीयता भरे शब्दों के लिए हार्दिक आभार सखी |

      हटाएं
  13. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (13-03-2020) को भाईचारा (चर्चा अंक - 3639) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    आँचल पाण्डेय

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-१ हेतु नामित की गयी है। )

    12 मार्च २०२० को साप्ताहिक अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/


    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।



    आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'





    जवाब देंहटाएं
  15. श्वेत -श्याम एक हुए
    ना ऊंच- नीच का भेद रहा
    रंग एक रंगे सभी देखो
    एक दूजे के संग -संग गलियों में
    टेसू फूले ,गुलाब महके .
    उडी भीनी पुष्पगंध गलियों में !!
    बहुत सुंदर रचना, रेणु दी। लेकिन आजकल ऐसा बहुत कम देखनव मिलता हैं। पहले की होली ऐसी ही होती थी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत आभार ज्योति जी। आज भी कहीं कहीं होली का ये सौहार्द बाद रूप नज़र आता है। 🙏🙏

      हटाएं
  16. होली का त्योहार ही ऐसा है जिसमें बार नेह के रंग रहते हैं और हर श्वेत श्याम रंग हर्ष उल्लास के रंगों में सरोबर हो जाता है ... फागुन के मौसम में अबीर पूरे माहोल को रंगीन कर जाता है ...
    आपके शब्दों में सहज प्रेम के रंग समाए हैं और नाशिक को ख़ुशनुमा कर रहे हैं ... बहुत बहुत बधाई इस रचना की होली की ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार दिगम्बर जी |रचना के मर्म तक पहुँचते आपके शब्द मेरे लिए अमूल्य है | सादर

      हटाएं
  17. उत्तर
    1. आदरणीय सवाई सिंह जी , सबसे पहले मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है | रचना पढने के किये आपकी आभारी हूँ | सादर

      हटाएं
  18. प्यारी कविता ,होली के रंग लिए

    जवाब देंहटाएं
  19. आदरणीया मैम, पुनः बहुत ही सुंदर कविता। पढ़ कर होली के उत्सव के आनंद और रंगों का उमंग मन में भर जाता है। साथ ही साथ एकता और प्रेम के बहुत सुंदर सन्देश।
    सुंदर रचना के लिये बहुत बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय अनंता , आप ना सिर्फ अच्छी रचनाकार हैं , एक अच्छी पाठिका भी है | आपको रचना पसंद आई अच्छा लगा | आपको हार्दिक आभार और प्यार |

      हटाएं
  20. उत्तर
    1. सस्नेह आभार प्रिय अमृता जी, ब्लॉग पर आपके उन्मुक्त भ्रमण से मन आहलादित है❤❤🙏🌹🌹

      हटाएं

Yes

विशेष रचना

पुस्तक समीक्षा और भूमिका --- समय साक्षी रहना तुम

           मीरजापुर  के  कई समाचार पत्रों में समीक्षा को स्थान मिला।हार्दिक आभार शशि भैया🙏🙏 आज मेरे ब्लॉग क्षितिज  की पाँचवी वर्षगाँठ पर म...