पीला, हरा,गुलाबी, लाल सखी!
किसने रंग दीना डाल सखी ?
मोहक चितवन, चंचल नयना,
अधरों पर रुके -रुके बयना!
ये जादू ना किसी अबीर में था
सब प्रेम ने किया कमाल सखी!
क्यों इतनी मुग्ध हुई गोरी?
कर सकी ना जो जोराजोरी,
यूँ बही प्रीत गंगधार नवल
सुध- बुध खो हुई निहाल सखी!
कलान्त हृदय हुआ शान्त,
महक उठा प्रेमिल एकान्त !
दो प्राण हो बहे एकाकार
बिसरे जग के जंजाल सखी!
चित्र-गूगल से साभार
होली पर दो नशे सिर चढ़कर बोलते हैं -
जवाब देंहटाएंभाँग का और प्रेम का।
बाकी सब फालतूगिरी तो बहुत होती है पर वह होली नहीं।
मोहक चितवन, चंचल नयना,
अधरों पर रुके -रुके बयना!
ये जादू ना किसी अबीर में था
सब प्रेम ने किया कमाल सखी!
वैसे मुझे तो इन रंगों से बहुत डर लगता है शुरू से ही, पता नहीं क्यों !!!
प्रिय मीना,बहुत-बहुत आभार इस भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए।असल ये कुछ पंक्तियाँ,ब्लॉग जगत की शीर्ष रचनाकार और हमारी अत्यंत स्नेही मित्र इंदिरा गुप्ताजी के लिए पिछ्ले साल होली पर लिखी थी। उन्होने अपनी रंगों से पुती बहुत प्यारी तस्वीर मुझे व्हात्ट्स अप्प पर भेजी,तो मैने उन्हें ये पंक्तियाँ लिख भेजी।और इस दिन प्रेम भी रंगों से सजकर ही पूर्णता पाता है।आपको ढेरों शुभकामनाएं और प्यार ❤❤
हटाएंमोहक चितवन, चंचल नयना,
जवाब देंहटाएंअधरों पर रुके -रुके बयना!
ये जादू ना किसी अबीर में था
सब प्रेम ने किया कमाल सखी!
बहुत सुंदर सृजन, रेणु दी।
हार्दिक आभार प्रिय ज्योति जी।आपकी उपस्थिति बहुत उत्साहवर्धक है🙏❤
हटाएंइस प्रीत की गंगधार में बहना ही तो वो कमाल है जो जादू सा मोह लेता है। जिस छलिया का यह रंग होता है उस पर तो कोई दूसरा रंग चढ़ता भी नहीं है।बस दिग्दिगंत तक महकता रहता है वही प्रेमिल एकांत.....
जवाब देंहटाएंआपकी प्रेमिल और उत्साहवर्द्धक प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ प्रिय अमृता जी🙏❤
हटाएंप्रेम का रंग सबसे चोखा
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा प्रिय कविता जी।हार्दिक आभार और अभिनंदन आपका🙏❤
जवाब देंहटाएंरंगोत्सव पर्व और प्रेमिल भावों से सजी बहुत सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंस्नेहिल उपस्थिति के लिये आपका हार्दिक आभार प्रिय मीना जी 🙏❤
हटाएंपरिवारिक व्यसताओं के कारण बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आना हुआ प्रेमिल भावों से सजी बहुत सुन्दर रचना रेणु दी 🙏
जवाब देंहटाएंकोई बात नहीं प्रिय संजय।अच्छा लगा ब्लॉग पर तुम्हारा इतने दिनों के बाद आना।हार्दिक आभार ।
हटाएंये जादू ना किसी अबीर में था
जवाब देंहटाएंसब प्रेम ने किया कमाल सखी!
सही कहा प्रेम का ही कमाल होता है होली पर अबीर का कहाँ...
बहुत ही लाजवाब सृजन
वाह!!!
हार्दिक आभार और शुभकामनाएं प्रिय सुधाजी ❤🌺🌺❤
हटाएंप्रेमिल भावों से सजी बहुत सुन्दर रचना बहुत दिन बाद आपके ब्लॉग पर आया ..बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय संजय।समय निकालकर मेरे ब्लॉग पर आये,अच्छा लगा 🌺🌺🙏
हटाएंआदरणीया मैम, एक अत्यंत करुण रचना को पढ़ने के बाद होली का आनंद मनाती हुई सुंदर रचना पढ़ कर मन आनंदित है। होली सौहार्द और आनंद का त्योहार है और प्रेमियों और दम्पत्तियों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। इन तीन साल होली और अन्य त्योहार कोरोना के कारण फीके रहे, आशा है २०२३ की होली सब के जीवन में प्रेम और उल्लास के रंग बिखेर कर , सभी के दुखों का नाश करे । बहुत सुंदर और आनंदकर रचना के लिए आभार एवं प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार और प्यार प्रिय अनंता इस सुन्दर और भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए।
हटाएंसब प्रेम ने किया कमाल सखी .. बिखरे जग के जंजाल सखी। .
जवाब देंहटाएंगजब शब्द संयोजन। सब प्रेम के रंगों का ही कमाल है, जहां प्रेम वहां जीवन.. मन में उतरता उत्कृष्ट गीत।
हार्दिक आभार प्रिय जिज्ञासा इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए |
हटाएंपीला, हरा,गुलाबी, लाल सखी!
जवाब देंहटाएंकिसने रंग दीना डाल सखी ?
बहुत सुन्दर सृजन ।
रंगोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ प्रिय रेणु जी !
होली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत आभार मीना जी |
हटाएंशृंगार सज्जित सुंदर रंग बिखेरती सरस अभिव्यक्ति रेणु बहन।
जवाब देंहटाएंहोली पर हार्दिक शुभकामनाएं।
आपको भी होली की हार्दिक बधाई प्रिय कुसुम बहन | स्नेहासिक्त टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आपका |
हटाएंक्यों इतनी मुग्ध हुई गोरी?
जवाब देंहटाएंकर सकी ना जो जोराजोरी,
यूँ बही प्रीत गंगधार नवल
सुध- बुध खो हुई निहाल सखी!
वाह!!!!
दोबारा पढ़ा आज वाकई अद्भुत
पाठक भी निहाल होते हैं आपको उत्कृष्ट रचनाओं से...।
रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं आपको ।
प्रिय सुधा जी , मेरी रचना को आप जैसे सुधि काव्य रसिक सार्थक करते हैं | दुबारा इस रचना पर आकर आपने मुझे ख़ुशी से भर दिया | होली की हार्दिक बधाई और प्यार आपके लिए |
हटाएंतन रंग लो जी आज मन रंग लो.
जवाब देंहटाएंहार्दिक स्वागत है आपका शिखा जी | होली आपके लिए शुभ हो यही कामना है |
हटाएंमोहक चितवन, चंचल नयना,
जवाब देंहटाएंअधरों पर रुके -रुके बयना!
ये जादू ना किसी अबीर में था
सब प्रेम ने किया कमाल सखी!
जी उम्दा अभिव्यक्ति , सादर ।
मोहक चितवन, चंचल नयना,
जवाब देंहटाएंअधरों पर रुके -रुके बयना!
ये जादू ना किसी अबीर में था
सब प्रेम ने किया कमाल सखी!
जी उम्दा अभिव्यक्ति , सादर ।
हार्दिक आभार और अभिनन्दन दीपक जी |
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंमोहक चितवन, चंचल नयना,
जवाब देंहटाएंअधरों पर रुके -रुके बयना!
ये जादू ना किसी अबीर में था
सब प्रेम ने किया कमाल सखी!
हाँ सखी,बस प्रेम ही कमाल करता बाकी सब तो मन बहलाने भर का होता है।
होली की हार्दिक शुभकामनायें तुम्हें
तुम्हें भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं प्रिय कामिनी |रचना के मर्म को छूती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सखी |
हटाएंमोहक चितवन, चंचल नयना,
जवाब देंहटाएंअधरों पर रुके -रुके बयना!
ये जादू ना किसी अबीर में था
सब प्रेम ने किया कमाल सखी!
बेहद खूबसूरत रचना। होली की हार्दिक शुभकामनाएं रेणु जी।
आपको भी शुभकामनाएं और आभार अनुराधा जी 🙏
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