'पावन , निर्मल प्रेम सदा ही -- रहा शक्ति मानवता की , जग में ये नीड़ अनोखा है - जहाँ जगह नहीं मलिनता की ;; मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
आज कविता सोई रहने दो, मन के मीत मेरे ! आज नहीं जगने को आतुर सोये उमड़े गीत मेरे ! ना जाने क्या बात है जो ये मन विचलित हुआ जाता है ! अना...
दिवस तो बीता
जवाब देंहटाएंगौरैय्या नहीं बीतने वाली
रहेंगी वे हरपल,हर क्षण
सादर
बेशक! जाने नहीं देंगे ।
हटाएंहार्दिक आभार और प्रणाम प्रिय दीदी🙏🙏
हटाएंजी सही कहा आपने नुपूरम जी।
हटाएं🙏❤
गौरैया को याद करती प्यारी रचना ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और प्रणाम प्रिय दीदी🙏🙏
हटाएंगौरैया को याद करती प्यारी रचना ।
जवाब देंहटाएंगौरैया पर बहुत ही सुंदर रचना, रेणु दी। मैं भी जब अपने बगीचे में उन्हें दाना डालती तब उन्हें दाना चुगते देखना दिल को बहुत ही सुकून देता है।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय ज्योति जी 🙏🙏
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 22 मार्च 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
पुनः अभिनन्दनम 🙏🙏❤
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय भारती जी 🙏❤ दीदी🙏🙏
हटाएंबहुत सुंदर प्यारी रचना ।
जवाब देंहटाएंइस समय मेरे किचन के ऊपर खिड़की में घोंसला बना लिया है,सुबह शाम मेरे साथ रहती हैं, मैं भी प्रफुल्लित वो भी । दिन भर तिनका लाती हैं, मेरे शमी के पेड़ को गंजा कर दिया है, पर क्या कहूं मेरी बचपन की दोस्त हैं न गौरैया रानी😀😀
जी जिज्ञासा जी,बहुत भाग्यशाली हैं आप जो गौरैया के इस जीवट कर्म की साक्षी बनी हुई हैं।मेरे यहाँ बहुत तरह की रंग बिरंगी चिडियाँ नित दिखाई देती हैं।बहुत अच्छा लगता है उन्हें आँगन में स्वछन्द फुदकते देखकर।हार्दिक आभार आपकी आत्मीयता भरी प्रतिकिया के लिए ❤❤
हटाएंचिड़िया पर लिखी बहुत प्यारी और मन को छूती रचना
जवाब देंहटाएंबधाई
हार्दिक आभार और प्रणाम आदरनीय सर 🙏🙏
हटाएंचिङिया में जीवन का स्पंदन अनुभव करती कविता । साधुवाद ।
जवाब देंहटाएंअभिनंदन और आभार प्रिय नुपूरम जी 🙏❤
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और प्रणाम आदरनीय आलोक जी 🙏🙏
हटाएंकितना सुंदर -कितना प्यारा
जवाब देंहटाएंहै ये नीड़ तुम्हारा चिड़िया !
तिनका-तिनका गूँथा हुआ है
इसमें प्यार तुम्हारा चिड़िया |
बेहद खूबसूरत रचना ।
सुस्वागतम और आभार प्रिय मीना जी 🙏❤
हटाएंउड़ता निर्मम समय का पाखी
जवाब देंहटाएंना आता लौट दुबारा चिड़िया |
जीवन के दर्शन को चिड़िया के नीड़ के तिनके-तिनके में पिरोती अद्भुत रचना।
हार्दिक आभार और प्रणाम आदरणीय विश्वमोहन जी 🙏🙏
हटाएंआजन्म निर्बंध और उन्मुक्त
जवाब देंहटाएंफिर भी जग-भर की प्यारी तुम !
तूफानों से भिड़-भिड़ जाती
कहाँ कभी हिम्मत हारी तुम !
जिधर जी चाहे,फुर्र से उड़ जाती
है सारा जहाँ तुम्हारा चिड़िया !
एक समय था जब चिड़ियाँ हर वर्ष में कम से कम दो बार घर के छज्जे में लगे बीम के नीचे घोंसले बनाती थीं। कई बार उनके बच्चे घोंसले से नीचे गिर जाते, फिर उनका वो बच्चों को उड़ना सिखाना...
अब तो कभी कभी ही दर्शन होते हैं गोरैया के। मनमोहक व सार्थक रचना हेतु बधाई प्रिय रेणु।
प्रिय मीना,आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ।आपने सच कहा है कि गौरैया-दर्शन दुर्लभ आजकल। फिर भी इस मनमोहक गौरैया से सबको प्यार है 🌺🌺🌹🌹🙏
हटाएंतिनका-तिनका गूँथा हुआ है
जवाब देंहटाएंइसमें प्यार तुम्हारा चिड़िया |
बेहद खूबसूरत चिड़िया पर लिखी प्यारी रचना 👍
हार्दिक आभार प्रिय संजय🌺🌺🌹🌹
हटाएंलाजबाब
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय मनोज जी।ब्लॉग पर आपका सदैव
हटाएंस्वागत है 🌺🌺🙏
जवाब देंहटाएंपढ़ी कभी न विद्यालय में,
अनथक खोयी अपनी ही लय में!
धीरज , श्रम अलंकार तुम्हारे
डूबी ना कभी संशय में!
नीड़कला की माहिर तुम
हुनर ये जग में न्यारा चिड़िया !
कितना सटीक लिखा है सच बड़ा आश्चर्य होता है इनकी कला से....
बहुत ही सुन्दर मनमोहक सृजन
वाह!!!
हार्दिक आभार प्रिय सुधा जी।
हटाएंबहुत अच्छी कविता।हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार तुषार जी 🙏🙏
हटाएंचिड़िया का अनथक श्रम और लगन वाकई कितनों को प्रेरणा से भर जाती है, सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय अनीता जी 🌺❤🙏
हटाएंवाह कितनी प्यारी कविता
जवाब देंहटाएंहार्दिक स्वागत और आभार प्रिय विभा जी ❤🌺🙏
हटाएंडूबी ना कभी संशय में!
जवाब देंहटाएंनीड़कला की माहिर तुम
हुनर ये जग में न्यारा चिड़िया !
कितना सटीक लिखा है
शुक्रिया प्रिय संजय!!
हटाएंसचमुच यदि हम चिडिय़ा से ही कुछ सीख सखें तो जीवन धन्य हो जाए। बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और अभिनंदन विमल भाई 🙏
हटाएंवाह चिड़िया के श्रम को मान देती सुन्दर रचना!!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय अनुपमा 🙏
हटाएंचिड़िया पर बहुत ही सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंहिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
हार्दिक आभार आदरनीय 🙏🙏
हटाएंआदरणीया मैम, एक के बाद एक सुंदर और आनंदकर रचनायें पढ़ कर मन प्रसन्न है । प्रकृति का विशेष उपहार है हमें यह सुंदर प्यारी चिड़िया। कठोर परिश्रम से अपना घोंसला बनाने वाली और सद्य मधुर बोलने वाली और आनंदित रहने वाली चिड़िया हर किसी के लिए प्रेरणा स्रोत है और हम सब के लिए प्रातःकाल का पहला स्वर जो हमें नींद से जगाता है। चिड़िया को समर्पित आपकी यह रचना एक प्रकार से गृहनी का भी प्रतीक है । रंग सपनों में नित भर-भरकर,
जवाब देंहटाएंखूब सजाओ छोटा-सा ये घर! हमारी माँ भी तो यही करती है ।
तुम्हारे विचारों से सहमत हूँ प्रिय अनंता।चिड़िया से पढ़कर प्रेरक और जीवट प्राणी इस संसार में नहीं। नीड़ के रूप में उसका कलात्मक कार्य अद्भूत है।
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