मेरी प्रिय मित्र मंडली

मंगलवार, 10 जनवरी 2023

माँ हिन्दी तू ही परिचय मेरा!

 

सभी को अन्तर्राष्ट्रीय  हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏🌹🌹

तुझ बिन रह जाती अधूरी-सी 

माँ हिन्दी तू ही परिचय मेरा 

तूने ही मिलाया  खुद से 

तू है स्नेहिल प्रश्रय मेरा!


प्रीत राग गाऊँ तुझ संग 

सृजन का आधार तुम ही!

समर्पित अरूप-अनाम को जो 

हो पावन  मंगलाचार तुम ही!

तुम सागर और सरिता सी मैं 

आ तुझमें हुआ विलय मेरा!


माधुर्य कण्ठ का है तुझसे ,

तेरा शब्द-शब्द  है यश मेरा !

ढल कविता में जो बह निकला 

तू  अलंकार, नवरस मेरा!

अतुलकोश  सहेज भावों का 

है कृतज्ञ बड़ा हृदय मेरा!



तुलसी के हिय बसी तू ही 

सूर  का तू ही भ्रमर गीत!

अनकही पीर मीरा की तू 

रचती जो प्रेम की नवल रीत!

मुझसे भी अटूट  बंधन तेरा 

तुझ पर गौरव अक्षय मेरा!

माँ हिन्दी तू ही परिचय मेरा!

🙏🙏

34 टिप्‍पणियां:

  1. तुलसी के हिय बसी तू ही

    सूर का तू ही भ्रमर गीत!

    अनकही पीर मीरा की तू

    रचती जो प्रेम की नवल रीत!
    मातृभाषा हिंदी की गरिमा को रेखांकित करती अत्यंत सारगर्भित पंक्तियां। बहुत सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर हिंदी-गीत रेणुबाला !
    हिंदी की समृद्ध परंपरा की हम कब तक ब्याज ही खाएंगे?
    उसके मूल को अब और अधिक आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ आदरणीय गोपेश जी |

      हटाएं
  3. मां हिन्दी तुम ही परिचय मेरा बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहद खूबसूरत गीत सखी।

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी लिखी रचना सोमवार 16 जनवरी 2023 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    जवाब देंहटाएं
  6. माधुर्य कण्ठ का है तुझसे ,
    तेरा शब्द-शब्द है यश मेरा !
    ढल कविता में जो बह निकला
    तू अलंकार, नवरस मेरा!
    अतुलकोश सहेज भावों का
    है कृतज्ञ बड़ा हृदय मेरा!
    ... सच ! हिंदी भाषा की वैज्ञानिकता और समृद्धता अब संसार से छुपी नहीं है,
    हिंदी को विभूषित करती सुंदर अभ्यर्थना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ प्रिय जिज्ञासा ♥️

      हटाएं
  7. बहुत सुन्दर गीत…आपको भी हिन्दी दिवस की बधाई

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर गीत…आपको भी हिन्दी दिवस की बधाई

    जवाब देंहटाएं
  9. तुलसी के हिय बसी तू ही

    सूर का तू ही भ्रमर गीत!

    अनकही पीर मीरा की तू

    रचती जो प्रेम की नवल रीत!

    मुझसे भी अटूट बंधन तेरा

    तुझ पर गौरव अक्षय मेरा!

    माँ हिन्दी तू ही परिचय मेरा!
    वाह!!!!
    हिन्दी के सम्मान में बहुत ही लाजवाब गीत
    हिन्दी ही है हमारा परिचय
    हिंदी है तो हिंदुस्तान है
    बहुत ही सारगर्भित।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी का प्रतिक्रिया सदैव ही स्वागत है प्रिय सुधा जी 🙏

      हटाएं
  10. माँ हिंदी तू ही परिचय मेरा... क्या बेहतरीन रचना लिखी हैं दी।
    लाज़वाब...।
    हिंदी भाषा नहीं भाव है
    संस्कृति हमारी चाव है
    सबको एक सूत्र में जोड़े
    कश्मीरी हो या हो सिंधी
    .....
    सादर स्नेह दी।
    लिखती रहें सक्रिय रहें अच्छा लगता है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तुम्हारी शानदार काव्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ प्रिय श्वेता ♥️

      हटाएं
  11. बहुत ही अच्छी रचना विश्व हिंदी दिवस की बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  12. आदरणीया रेणु जी ! प्रणाम !
    सचमुच ! हिंदी हमारा स्वाभिमान और पहचान है , बस उसे अपने घर आँगन में उचित आदर देने की आवश्यकता है !
    अभिनन्दन ! सुन्दर पंक्तियों के लिए
    जय श्री राम !
    ईश्वर आपके प्रयास क पूर्णता एवं श्रेष्ठता प्रदान करे , शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ तरुण जी।मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है 🙏

      हटाएं
  13. भाषा माँ है जीवन है ... नित नई प्रगति करे ... सबका साझा प्रयास सफल होगा तो प्रगति सम्भव है ...

    जवाब देंहटाएं
  14. इस सुंदर व सार्थक सारगर्भित रचना के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई।हिंदी की बात ही निराली है। आपकी इस रचना पर बहुत सुंदर-सुंदर प्रतिक्रयाएं पढ़ने को मिली। इनके लिए भी आपको बहुत-बहुत बधाईयाँ। सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आपका वीरेंद्र जी।आपका ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है 🙏

      हटाएं
  15. मातृभाषा की परिपूर्णता व्यक्त करती बहुत ही सुंदर रचना। हिंदी हमारी आन - बान- शान है, हिंदी हमारी पहचान है।

    जवाब देंहटाएं
  16. आपकी लिखी कोई रचना सोमवार 6 मार्च 2023 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी और पाँच लिंकों की सदैव ही आभारी हूँ |

      हटाएं

Yes

विशेष रचना

पुस्तक समीक्षा और भूमिका --- समय साक्षी रहना तुम

           मीरजापुर  के  कई समाचार पत्रों में समीक्षा को स्थान मिला।हार्दिक आभार शशि भैया🙏🙏 आज मेरे ब्लॉग क्षितिज  की पाँचवी वर्षगाँठ पर म...