सभी को अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏🌹🌹
तुझ बिन रह जाती अधूरी-सी
माँ हिन्दी तू ही परिचय मेरा
तूने ही मिलाया खुद से
तू है स्नेहिल प्रश्रय मेरा!
प्रीत राग गाऊँ तुझ संग
सृजन का आधार तुम ही!
समर्पित अरूप-अनाम को जो
हो पावन मंगलाचार तुम ही!
तुम सागर और सरिता सी मैं
आ तुझमें हुआ विलय मेरा!
माधुर्य कण्ठ का है तुझसे ,
तेरा शब्द-शब्द है यश मेरा !
ढल कविता में जो बह निकला
तू अलंकार, नवरस मेरा!
अतुलकोश सहेज भावों का
है कृतज्ञ बड़ा हृदय मेरा!
तुलसी के हिय बसी तू ही
सूर का तू ही भ्रमर गीत!
अनकही पीर मीरा की तू
रचती जो प्रेम की नवल रीत!
मुझसे भी अटूट बंधन तेरा
तुझ पर गौरव अक्षय मेरा!
माँ हिन्दी तू ही परिचय मेरा!
🙏🙏
तुलसी के हिय बसी तू ही
जवाब देंहटाएंसूर का तू ही भ्रमर गीत!
अनकही पीर मीरा की तू
रचती जो प्रेम की नवल रीत!
मातृभाषा हिंदी की गरिमा को रेखांकित करती अत्यंत सारगर्भित पंक्तियां। बहुत सुंदर रचना।
हार्दिक आभार आदरणीय विश्वमोहन जी |
हटाएंसुन्दर हिंदी-गीत रेणुबाला !
जवाब देंहटाएंहिंदी की समृद्ध परंपरा की हम कब तक ब्याज ही खाएंगे?
उसके मूल को अब और अधिक आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.
आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ आदरणीय गोपेश जी |
हटाएंमां हिन्दी तुम ही परिचय मेरा बेहतरीन
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय ऋतु जी 🙏
हटाएंबेहद खूबसूरत गीत सखी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका 🙏
हटाएंबेहद खूबसूरत गीत सखी
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय अनुराधा जी 🙏
हटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार 16 जनवरी 2023 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
हार्दिक आभार प्रिय दीदी 🙏
हटाएंमाधुर्य कण्ठ का है तुझसे ,
जवाब देंहटाएंतेरा शब्द-शब्द है यश मेरा !
ढल कविता में जो बह निकला
तू अलंकार, नवरस मेरा!
अतुलकोश सहेज भावों का
है कृतज्ञ बड़ा हृदय मेरा!
... सच ! हिंदी भाषा की वैज्ञानिकता और समृद्धता अब संसार से छुपी नहीं है,
हिंदी को विभूषित करती सुंदर अभ्यर्थना।
स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ प्रिय जिज्ञासा ♥️
हटाएंबहुत सुन्दर गीत…आपको भी हिन्दी दिवस की बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत…आपको भी हिन्दी दिवस की बधाई
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय उषा जी 🙏
हटाएंतुलसी के हिय बसी तू ही
जवाब देंहटाएंसूर का तू ही भ्रमर गीत!
अनकही पीर मीरा की तू
रचती जो प्रेम की नवल रीत!
मुझसे भी अटूट बंधन तेरा
तुझ पर गौरव अक्षय मेरा!
माँ हिन्दी तू ही परिचय मेरा!
वाह!!!!
हिन्दी के सम्मान में बहुत ही लाजवाब गीत
हिन्दी ही है हमारा परिचय
हिंदी है तो हिंदुस्तान है
बहुत ही सारगर्भित।
आपकी का प्रतिक्रिया सदैव ही स्वागत है प्रिय सुधा जी 🙏
हटाएंमाँ हिंदी तू ही परिचय मेरा... क्या बेहतरीन रचना लिखी हैं दी।
जवाब देंहटाएंलाज़वाब...।
हिंदी भाषा नहीं भाव है
संस्कृति हमारी चाव है
सबको एक सूत्र में जोड़े
कश्मीरी हो या हो सिंधी
.....
सादर स्नेह दी।
लिखती रहें सक्रिय रहें अच्छा लगता है।
तुम्हारी शानदार काव्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ प्रिय श्वेता ♥️
हटाएंबहुत ही मोहक रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय भारती जी 🙏
हटाएंबहुत ही अच्छी रचना विश्व हिंदी दिवस की बधाई.
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक स्वागत है तुषार जी 🙏
हटाएंआदरणीया रेणु जी ! प्रणाम !
जवाब देंहटाएंसचमुच ! हिंदी हमारा स्वाभिमान और पहचान है , बस उसे अपने घर आँगन में उचित आदर देने की आवश्यकता है !
अभिनन्दन ! सुन्दर पंक्तियों के लिए
जय श्री राम !
ईश्वर आपके प्रयास क पूर्णता एवं श्रेष्ठता प्रदान करे , शुभकामनाएं !
आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ तरुण जी।मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है 🙏
हटाएंभाषा माँ है जीवन है ... नित नई प्रगति करे ... सबका साझा प्रयास सफल होगा तो प्रगति सम्भव है ...
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका दिगम्बर जी 🙏
हटाएंइस सुंदर व सार्थक सारगर्भित रचना के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई।हिंदी की बात ही निराली है। आपकी इस रचना पर बहुत सुंदर-सुंदर प्रतिक्रयाएं पढ़ने को मिली। इनके लिए भी आपको बहुत-बहुत बधाईयाँ। सादर।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका वीरेंद्र जी।आपका ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है 🙏
हटाएंमातृभाषा की परिपूर्णता व्यक्त करती बहुत ही सुंदर रचना। हिंदी हमारी आन - बान- शान है, हिंदी हमारी पहचान है।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी कोई रचना सोमवार 6 मार्च 2023 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
आपकी और पाँच लिंकों की सदैव ही आभारी हूँ |
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