'पावन , निर्मल प्रेम सदा ही -- रहा शक्ति मानवता की , जग में ये नीड़ अनोखा है - जहाँ जगह नहीं मलिनता की ;; मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
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विशेष रचना
मन पाखी की उड़ान -- प्रेम गीत ( prem geet)
मन पाखी की उड़ान तुम्हीं तक मन मीता जी का सम्बल तुम एक भरते प्रेम घट रीता ! नित निहारें नैन चकोर ना नज़र में कोई दूजा हो...
बाल दिवस पर बहुत ही सुंदर कविता ।
जवाब देंहटाएंसकारात्मकता और ऊर्जा से परिपूर्ण अति प्रेरणा देता सार्थक सृजन।
जवाब देंहटाएंहमारा उज्जवल भविष्य नन्हें बच्चों की रचनात्मकता और खुशहाली ही सबसे बेशकीमती आशीर्वाद और प्रार्थना है।
सस्नेह प्रणाम दी।
बहुत दिनों बाद आपकी रचना पढ़कर मन मुदित हुआ।
सादर।
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नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १८ नवंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
उव्वाहहहह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
वंदन
सादर
तप और श्रम से क्या दुर्लभ है जो पाया नहीं जा सकता, सुंदर सृजन!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह
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