मेरी प्रिय मित्र मंडली

शुक्रवार, 14 नवंबर 2025

सुनो बालक!

तुम्हारे ये धरती - अम्बर 
ये विश्व तुम्हारा हो!
आज भले  दुविधा में उलझा 
उज्जवल भविष्य तुम्हारा हो !

तपो रे ! संघर्ष -अगन में, 
बन जाओ दमकता कुंदन!
वरण करो न्याय -पथ का ही 
पाओ विपुल यश- वैभव धन !
बनो गौतम-गाँधी से ,
गौरव अक्षय तुम्हारा हो !

  

बंद मुट्ठी में देखो अपनी!
श्रम असीम छुपा है!
तम को जो मिटा दे जग से
वो पावन उजास छुपा है!
पीड़ मानवता की  हरना 
बस लक्ष्य तुम्हारा हो !!

तुम्हारे ये धरती - अम्बर 
ये विश्व तुम्हारा हो ,
भले आज दुविधा में उलझा 
उज्जवल भविष्य तुम्हारा हो
!!

6 टिप्‍पणियां:

  1. बाल दिवस पर बहुत ही सुंदर कविता ।

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  2. सकारात्मकता और ऊर्जा से परिपूर्ण अति प्रेरणा देता सार्थक सृजन।
    हमारा उज्जवल भविष्य नन्हें बच्चों की रचनात्मकता और खुशहाली ही सबसे बेशकीमती आशीर्वाद और प्रार्थना है।
    सस्नेह प्रणाम दी।
    बहुत दिनों बाद आपकी रचना पढ़कर मन मुदित हुआ।
    सादर।
    -----+
    नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १८ नवंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. उव्वाहहहह
    बेहतरीन
    वंदन
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. तप और श्रम से क्या दुर्लभ है जो पाया नहीं जा सकता, सुंदर सृजन!

    जवाब देंहटाएं

Yes

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