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गुरुवार, 13 जुलाई 2017

गाँव में कोई फिर लौटा है -- नवगीत

              

मुद्दत      बाद   सजी   गलियां     रे   
गाँव    में    कोई    फिर   लौटा    है   !
जीवन     बना    है     इक    उत्सव    रे   -
गाँव    में    कोई  फिर  लौटा    है     !  !

रोती  थी    घर    की    दीवारें    
छत    भी    यूँ     ही    चुपचाप      पड़ी  थी  ,
जीवन   न   था    जीने   जैसा  
मौत      से  बढ़कर    एक    घडी    थी
 लेकर   घर    भर    की   खुशियाँ     रे 
गाँव    में  कोई    फिर   लौटा   है   ! !

पनधट  पे   चर्चा  उसकी  
घर  -  घर   में   होती     बात  यही   ,
लौटी     है   गलियों    की   रौनक   -
जो     थी   उसके  साथ   गई    ;
 लेकर  साथ  समय  बीता  रे   
गाँव  में  कोई   फिर   लौटा  है ! !

उसके  साथी  जब  जब करते  थे
उसका जिक्र चौपालों में ,
उसके  आने  की  खातिर -
 नित जुड़ते  थे हाथ   शिवालों  में ;
 बन  पुरवैया  का झोंका रे --
गाँव में कोई फिर लौटा  है

अमृत    बने   किसी  के   आँसू
 रोदन      बदले     शहनाई    में ,
लाज    से  बोझिल      पलकों    पर
सज     गए    सपने    तन्हाई  में ;
बनकर     राधा  का  कान्हा   रे-
 गाँव  में  कोई  फिर  लौटा     है ! 
मुद्दत      बाद   सजी   गलियां     रे  -
गाँव    में    कोई    फिर   लौटा    है   !
जीवन     बना    है     इक    उत्सव    रे
गाँव    में    कोई  फिर  लौटा    है     !! 


चित्र -- निजी संग्रह - 
गूगल प्लस से अनमोल टिप्पणी साभार Kailash Sharma's profile photo
Kailash Sharma

+1
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति...अपने ब्लॉग से रजिस्टर करने की आवश्यकता हटा दें तो कमेंट्स देने में सुविधा रहेगी...
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42 टिप्‍पणियां:


  1. पनधट पे चर्चा उसकी -
    घर - घर में -होती बात यही ,
    लौटी है गलियों की रौनक -
    जो थी उसके साथ गई ;
    सुंदर पंक्तियाँ.............. 👌

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    उत्तर
    1. आदरणीय पुरुषोत्तम जी -- हार्दिक आभार आपका -- रचना पढ़कर अपनी राय से अवगत कराने केलिए -- स्वागत करती हूँ आपका अपने ब्लॉग पर -------

      हटाएं
  2. दिल को छूती हुयी रचना .... मन के कोमल भाव ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    2. आदरणीय दिगंबर जी बहुत आभारी हूँ आपकी --

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. आदरणीय सागर जी स्वागत है मेरे ब्लॉग पर आपका ----- और अच्छा लगा कि आपको रचना पसंद आई !!

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  4. उत्तर
    1. आदरणीय पम्मी जी -- हार्दिक स्वागत करती हूँ आपका ब्लॉग पर -- और आभार आपका कि आपने रचना पढ़ी --

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. आदरनीय संजय जी - हार्दिक स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर -- बहुत आभार आपका रचना पर अपनी राय देने के लिए |

      हटाएं
  6. आपकी रचना पढ़ के ददिहाल की याद आगई

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    उत्तर
    1. जी प्री शकुन्तला -- आपकी यादों से मेरे शब्द जुड़े तो मेरा लेखन सफल हुआ | सस्नेह आभार आपको |

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  7. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" सशक्त महिला रचनाकार विशेषांक के लिए चुनी गई है एवं सोमवार २७ नवंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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  8. लेकर घर भर की खुशियाँ
    गांव में कोई फिर लौटा है.....
    बहुत ही सुन्दर
    वाह!!!!

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    उत्तर
    1. आदरणीय सुधा जी-- आपके शब्द अनमोल हैं| सादर आभार और नमन |

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  9. रोती थीं घर की दीवारें
    छत भी यूँ चुपचाप पड़ी थी
    जीवन ना था जीने जैसा
    ले घर भर की ख़ुशियाँ गाँव को कोई लौटा रे
    सच में आज का सच जीवन्त चित्रण रेणु जी

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  10. अमृत बने किसी के आंसू -
    रोदन बदले शहनाई में ,
    लाज से बोझिल पलकों पर
    सज गए सपने तन्हाई में ;
    बनकर राधा का कान्हा रे-
    गाँव में कोई फिर लौटा है !!!! ......वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने रेनू जी।

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    उत्तर
    1. स्वागतम प्रिय दीपा जी -- आपको रचना पसंद आई इसके लिए सस्नेह आभार सखी |

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  11. वाह ! गाँव के दृश्य को जीवंत करती हृदयस्पर्शी प्रस्तुति। बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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  12. आशा और उम्मीद का लौटना माहोल को खुशनुमा कर देता है ...
    फिर प्रेम का लौटना ... क्या बात है ... लाजवाब नवगीत ...

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    उत्तर
    1. आदरनीय दिगम्बर जी -- रचना के अंतर्निहित भाव को समझने के लिए आभारी हूँ आपकी | सादर --

      हटाएं
  13. अमृत बने किसी के आंसू -
    रोदन बदले शहनाई में ,
    लाज से बोझिल पलकों पर
    सज गए सपने तन्हाई में ;
    बनकर राधा का कान्हा रे-
    गाँव में कोई फिर लौटा है !!!! .... बहुत सुंदर रचना

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    उत्तर
    1. सुस्वागतम और सस्नेह आभार आदरणीय वन्दना जी |

      हटाएं
  14. पनधट पे चर्चा उसकी -
    घर - घर में -होती बात यही ,
    लौटी है गलियों की रौनक -
    जो थी उसके साथ गई ;
    लेकर साथ समय बीता रे --
    गाँव में कोई फिर लौटा है ! !

    लाजवाब रचना

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  15. Meena Sharma's profile photo
    Meena Sharma
    गाँव से जो चले जाते हैं वे गाँव में लौटते हैं तो बड़ा स्वागत होता है उनका ! क्यों ना हो, मेहमान बनकर आते हैं चंद दिनों के लिए ! छोटी छोटी खुशियों को सरल शब्दों में सहेज देती हैं आप । सस्नेह शुभकामनाओं के साथ.....

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  16. इतना सुंदर!इतना भावपूर्ण!इतना मनभावन गीत है यह।
    मन विभोर हो उठा। आपकी लेखनी में कोई तो जादू है।
    कोटिशः प्रणाम आपको और आपकी लेखनी को।

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    उत्तर
    1. ये तुम्हारा प्यार है प्रिय आँचल | सनेह आभार और प्यार |

      हटाएं
  17. गाँव में कोई लौटा है .... मुझे गाँव का बहुत पता नहीं है लेकिन
    कल्पना में मुझे लग रहा जैसे देश का कोई प्रहरी गाँव लौट कर आया है उसके स्वागत में ये मन के भाव कविता के रूप में उतर आए हैं ।
    बेहतरीन रचना ।।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी दीदी , ये रचना बहुत पुरानी है | एक रिश्तेदार के बेटे के , वर्षों बाद विदेश से वापस आने की बात सुनकर लिखी थी , जब उस के आने पर गाँव की गलियों में ढेरों फूल बिछाए गए थे | रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से अपार हर्ष हुआ | सादर आभार आपका |

      हटाएं
  18. बहुत सुन्दर !
    घर आया मेरा परदेसी ---

    जवाब देंहटाएं

Yes

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